चाणक्य नीति: जो व्यक्ति इन 3 से संतुष्ट नहीं रहता, उसकी लाइफ में हमेशा परेशानियां बनी रहती हैं

जिन लोगों के जीवन में असंतोष रहता है, उन्हें कभी भी सुख नहीं मिल पाता। ऐसे लोग हमेशा परेशानियों में घिरे रहते हैं और कार्यों में असफल होते हैं।

Asianet News Hindi | Published : Dec 14, 2019 3:46 AM IST

उज्जैन. जो वस्तुएं या सुख-सुविधाएं हमारे पास हैं, हमें उनसे संतुष्ट रहना चाहिए। आचार्य चाणक्य ने तीन ऐसी परिस्थितियां बताई हैं, जिसमें व्यक्ति को संतोष जरूर करना चाहिए।

संतोषषस्त्रिषु कर्तव्य: स्वदारे भोजने धने।
त्रिषु चैव न कर्तव्यो अध्ययने जपदानयो:।।

इन 3 में रहना चाहिए संतुष्ट
- आचार्य चाणक्य के अनुसार पत्नी अगर सुंदर न हो तो व्यक्ति को संतोष कर लेना चाहिए। विवाह के बाद किसी भी परिस्थिति में अन्य स्त्रियों पर मोहित नहीं होना चाहिए, क्योंकि इस आदत की वजह से कई परेशानियां शुरू हो जाती है।
- खाना जैसा भी मिले, प्रसन्नता से ग्रहण करना चाहिए। कभी भी खाने की बुराई न करें और जूठा खाना नहीं छोड़ना चाहिए।
- व्यक्ति के पास जितना पैसा हो, जितनी उसकी आय हो उसी में खुश रहना चाहिए। आय से अधिक खर्च नहीं करना चाहिए। जैसी आर्थिक स्थिति हो व्यक्ति को उसी के अनुसार व्यय करना चाहिए।

इन 3 में सदैव असंतुष्ट रहना चाहिए
- चाणक्य के अनुसार अध्ययन, दान और जाप में संतोष नहीं करना चाहिए। ये तीनों कर्म आप जितना अधिक करेंगे आपके पुण्यों में उतनी ही वृद्धि होगी।
- जितना ज्यादा अध्ययन करेंगे, उतना ज्यादा ज्ञान बढ़ेगा। ज्ञानी व्यक्ति जीवन में सुख-शांति से रह पाते हैं।
- दान करने में भी कभी संतोष नहीं करना चाहिए। दान करने से दूसरों की मदद होती है और हमें पुण्य लाभ मिलता है।
- मंत्र जाप करने में भी हमें संतुष्ट नहीं होना चाहिए। मंत्रों का जाप जितना ज्यादा करेंगे, उसके सिद्ध होने की संभावनाएं उतनी ज्यादा रहेंगी।

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