वैदिक काल से चली आ रही है यज्ञ की परंपरा, जानिए प्राचीन काल में कितनी तरह के यज्ञ होते थे

हिंदू धर्म में यज्ञ की परंपरा वैदिक काल से चली आ रही है। धर्म ग्रंथों में मनोकामना पूर्ति व किसी बुरी घटना को टालने के लिए यज्ञ करने के कई प्रसंग मिलते हैं।

उज्जैन. रामायण व महाभारत में ऐसे अनेक राजाओं का वर्णन मिलता है, जिन्होंने अनेक महान यज्ञ किए थे। देवताओं को प्रसन्न करने के लिए भी यज्ञ किए जाने की परंपरा है। आज हम आपको प्राचीन काल में किए जाने वाले प्रमुख यज्ञों के बारे में बता रहे हैं-

अश्वमेघ यज्ञ
यह यज्ञ चक्रवर्ती सम्राट बनने के किया जाता था। इसमें एक राजा अपने घोड़े को अन्य राज्यों में भेजता था। जो राजा उस घोड़े को पकड़ता, उसे चक्रवर्ती सम्राट बनने की इच्छा रखने वाले राजा से युद्ध करना पड़ता था।

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राजसूय यज्ञ
इसमें एक राजा अपनी सेना को अन्य राज्यों से कर( धन) लेने भेजता था। जो राजा कर नहीं देते उनके साथ युद्ध कर टैक्स (कर) वसूला जाता था।

पुत्रेष्ठि यज्ञ
यह यज्ञ पुत्र प्राप्ति के लिए किया जाता था। राजा दशरथ ने यही यज्ञ किया था, जिससे उनके यहां 4 पुत्रों का जन्म हुआ।

विश्वजीत यज्ञ
यह यज्ञ विश्व को जीतने के उद्देश्य से किया जाता था। भगवान श्रीराम के पूर्वज महाराज रघु ने ये यज्ञ किया था।

सोमयज्ञ
ये यज्ञ सभी के कल्याण की कामना के लिए किया जाता है। वर्तमान समय में ये यज्ञ किया जाता है।

पर्जन्य यज्ञ
यह यज्ञ अच्छी बारिश की कामना से किया जाता है। यह यज्ञ आज भी किया जाता है।

इन यज्ञों के अलावा विष्णु यज्ञ, शतचंडी यज्ञ, रूद्र यज्ञ, गणेश यज्ञ आदि किए जाते हैं। ये सभी परंपरा में हैं।

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