Ahoi Ashtami 2025: अहोई अष्टमी व्रत कब है 13 या 14 अक्टूबर? जानें सही तिथि, पूजा विधि और महत्व

Published : Oct 04, 2025, 12:28 PM IST
Ahoi Ashtami 2025

सार

इस बार अहोई अष्टमी 2025 की तिथि को लेकर काफ़ी असमंजस है - क्या यह व्रत 13 अक्टूबर को रखा जाएगा या 14 अक्टूबर को? सही तिथि जानने से पहले, इसका शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व समझना ज़रूरी है। कौन सा दिन संतान सुख और दीर्घायु का वरदान देगा?

Ahoi Ashtami 2025 Date: अष्टमी व्रत संतान सुख और दीर्घायु की कामना के लिए रखा जाता है। यह व्रत विशेष रूप से महिलाएं रखती हैं। इस दिन देवी पार्वती और अहोई माता की पूजा करने का विधान है। ऐसा माना जाता है कि व्रत और पूजा विधिपूर्वक करने से संतान पर आने वाले सभी कष्ट दूर होते हैं और परिवार में सुख-समृद्धि आती है। आइए जानें कि 2025 में अहोई अष्टमी व्रत का पालन करने के लिए कौन सा दिन शुभ और फलदायी है, साथ ही इसकी सही पूजा विधि और महत्व भी।

अहोई अष्टमी 2025 तिथि

  • अष्टमी तिथि 13 अक्टूबर, 2025 को दोपहर 12:24 बजे शुरू होगी।
  • अष्टमी तिथि 14 अक्टूबर, 2025 को सुबह 1:09 बजे समाप्त होगी। अहोई अष्टमी पूजा मुहूर्त (पूजा का समय) शाम 5:53 बजे से शाम 7:08 बजे तक रहेगा।
  • पंचांग के अनुसार, इस वर्ष अहोई अष्टमी व्रत 13 अक्टूबर 2025 को मनाया जाएगा।

अहोई अष्टमी पूजा विधि

  • प्रातःकालीन संकल्प: व्रत के दिन, सुबह जल्दी उठकर स्नान करें। पूजा स्थल की सफाई करें और अहोई माता का ध्यान करें तथा निर्जला व्रत रखने का संकल्प लें।
  • चित्र स्थापना: संध्याकालीन पूजा शुरू करने से पहले, दीवार पर या कागज पर अहोई माता का चित्र बनाएं या स्थापित करें। इस चित्र में सेई और उसके बच्चों की छवि है।
  • कलश स्थापना और तैयारी: देवी के चित्र के पास जल से भरा कलश रखें। कलश के मुख पर सिंदूर से स्वस्तिक बनाएं। पूजा सामग्री तैयार करें: चावल, मूली, सिंघाड़े, आठ पूरियां और आठ पुए।
  • पूजा और कथा: अहोई माता के सामने दीपक जलाएं। रोली, चावल और दूध-भात से उनकी पूजा करें। इसके बाद, हाथ में गेहूं के दाने और फूल लेकर श्रद्धापूर्वक अहोई अष्टमी व्रत की कथा सुनें।

ये भी पढ़ें- Sharad Purnima 2025: क्या शरद पूर्णिमा की रात सचमुच बरसता है अमृत? जानें 3 रोचक फैक्ट

  • आरती: कथा समाप्त होने के बाद, अहोई माता की आरती करें और संतान प्राप्ति की प्रार्थना करें।
  • तारों को अर्घ्य: शाम को तारे दिखाई देने के बाद ही व्रत तोड़ा जाता है। तारों को अर्घ्य देने के बाद ही व्रत तोड़ा जाता है (भोजन)।
  • दान: पूजा के बाद, किसी गरीब व्यक्ति या ब्राह्मण को पूड़ियाँ और व्यंजन दान करें।

अहोई अष्टमी व्रत का महत्व

अहोई अष्टमी का व्रत मुख्य रूप से संतान की भलाई के लिए किया जाता है। जिन माताओं को गर्भधारण करने में कठिनाई होती है, वे भी पूरी श्रद्धा से यह व्रत रखती हैं। यह व्रत करवा चौथ के चार दिन बाद और दिवाली से ठीक आठ दिन पहले पड़ता है। यह व्रत संतान की लंबी आयु के लिए किया जाता है। मान्यता के अनुसार, इस व्रत को करने से अहोई माता, जिन्हें देवी पार्वती का ही एक रूप माना जाता है, प्रसन्न होती हैं और व्रती की संतान को दीर्घायु, उत्तम स्वास्थ्य और सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं।

ये भी पढ़ें- करवा चौथ 2025 बनाएं स्पेशल, पहनें राशि अनुसार खास रंग की ड्रेस, मैरिड लाइफ रहेगी खुशहाल

  • संतान रक्षा: माताएं अपनी संतान को जीवन में आने वाले सभी प्रकार के कष्टों और कष्टों से बचाने के लिए यह कठिन व्रत रखती हैं।
  • संतान प्राप्ति: निःसंतान महिलाएं भी संतान प्राप्ति की कामना से इस व्रत को रखती हैं, जिसे 'कृष्णाष्टमी' या 'दिवाली से पहले की अष्टमी' भी कहा जाता है।

Disclaimer: इस आर्टिकल में जो जानकारी है, वो धर्म ग्रंथों, विद्वानों और ज्योतिषियों से ली गईं हैं। हम सिर्फ इस जानकारी को आप तक पहुंचाने का एक माध्यम हैं। यूजर्स इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।

PREV
Read more Articles on

Recommended Stories

Akhurath Chaturthi 2025: अखुरथ संकष्टी चतुर्थी कब, 7 या 8 दिसंबर? जानें मुहूर्त-मंत्र सहित पूरी विधि
Religious Story: भगवान विष्णु की कितनी पुत्रियां हैं, क्या हैं इनका नाम? जानें रोचक कथा