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Sharad Purnima 2025: क्या शरद पूर्णिमा की रात सचमुच बरसता है अमृत? जानें 3 रोचक फैक्ट
Sharad Purnima 2025: शरद पूर्णिमा हिंदुओं के प्रमुख त्योहारों में से एक है। इस पर्व से जुड़ी अनेक मान्यताएं हैं। ऐसा कहते हैं शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा की किरणों में अमृत होता है। वहीं शरद पूर्णिमा की रात को श्रीकृष्ण की रास लीला से भी जोड़ा जाता है।

जानें शरद पूर्णिमा से जुड़ी रोचक बातें
आश्विन मास की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा कहते हैं। इस बार ये पर्व 2 दिन मनाया जाएगा। 6 अक्टूबर, सोमवार को व्रत की और 7 अक्टूबर को स्नान-दान की पूर्णिमा रहेगी। शरद पूर्णिमा पर्व से जुड़ी अनेक मान्यताएं भी हैं। इनमें से सबसे बड़ी मान्यता ये है कि इस रात चंद्रमा की किरणों में अमृत होता है। ये मान्यता प्राचीन समय से ही चली आ रही है। लेकिन इस मान्यता के पीछे की वजह बहुत कम लोग जानते हैं। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. प्रवीण द्विवेदी से जानिए इस मान्यता से जुड़ी रोचक बातें…
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औषधियों का स्वामी है चंद्रमा
धर्म ग्रंथों के अनुसार, शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा सोलह कलाओं से युक्त होता है यानी अपनी उच्च स्थिति में रहता है। चंद्रमा की ये स्थिति बहुत ही शुभ फल देने वाली मानी गई है। चंद्रमा औषधियों का स्वामी भी है। जब चंद्रमा अपनी उच्च स्थिति में होता है कि इससे निकलने वाली किरणों में विशेष औषधीय गुण आ जाते हैं। इसलिए ऐसा कहते हैं कि शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा की किरणों में अमृत होता है।
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शरद पूर्णिमा की रात खीर क्यों रखते हैं आसमान के नीचे?
शरद पूर्णिमा से जुड़ी एक और परंपरा भी है। इस रात लोग खीर बनाकर खुले आसमान के नीचे रख देते हैं और अगली सुबह इसे खाते हैं। ऐसी मान्यता है कि चंद्रमा की किरणों से निकलने वाला अमृत उस खीर को औषधीयुक्त बना देती है। ये खीर खाने से सेहत को फायदा होता है और आंखों की रोशनी भी बढ़ती है। लोग प्रसाद समझकर भी इस खीर को खाते हैं।
धरती से निकट होता है चंद्रमा
खगोल शास्त्रियों की मानें तो पूरे साल में शरद पूर्णिमा के मौके पर चंद्रमा पृथ्वी के सबसे नजदीक स्थिति में होता है। इस समय चंद्रमा की सबसे ज्यादा रोशनी पृथ्वी तक पहुंचती हैं। ये स्थिति पूरे साल में और कभी नहीं बनती। हमारे पूर्वज ये बात जानते थे कि इस दिन चंद्रमा से आने वाली किरणें हमारी सेहत के लिए लाभदायक होती हैं, इसलिए उन्होंने इस रात को खीर बनाकर आसमान के नीचे रखने की परंपरा बनाई।