Bhimashankar Jyotirlinga: शिवपुराण के अनुसार 12 ज्योतिर्लिंगों में भीमाशंकर का स्थान छठा है। वर्तमान में ये महाराष्ट्र के पुणे के निकट स्थित सह्याद्रि पर्वत पर स्थित है। इस ज्योतिर्लिंग को लेकर असम और महाराष्ट्र सरकार का अपना-अपना दावा है।
उज्जैन. इस बार 18 फरवरी, शनिवार को महाशिवरात्रि (Mahashivratri 2023) का पर्व मनाया जाएगा। इसके लिए देश के सभी प्रमुख शिव मंदिरों में तैयारियां शुरू हो चुकी है। इन सब के बीच देश के छठे ज्योतिर्लिंग को लेकर असम और महाराष्ट्र सरकार के बीच नया विवाद छिड़ गया है (Bhimashankar Jyotirlinga controversy)। हाल ही में असम सरकार द्वारा जारी एक विज्ञापन में दावा किया गया है कि ग्रंथों में बताया गया छठा ज्योतिर्लिंग भीमाशंकर (Bhimashankar Jyotirlinga) असम के कामरूप में दाकिनी हिल्स (दाकिनी पर्वत शृंखला) पर स्थित है। जबकि अब तक ये माना जाता रहा है कि महाराष्ट्र के पुणे के निकट सह्याद्रि पर्वत पर ये ज्योतिर्लिंग स्थित है। सालों से भक्तजन पुणे को ज्योतिर्लिंग को ही भीमाशंकर के रूप में पूजते आ रहे हैं। आगे जानिए क्या है ये पूरा विवाद…
असम सरकार के विज्ञापन से शुरू हुआ विवाद
14 फरवरी को असम सरकार द्वारा एक विज्ञापन जारी किया गया, जिसमें लिखा था कि-असम के कामरूप जिले में दाकिनी पर्वत पर मौजूद देश के छठे ज्योतिर्लिंग में आपका स्वागत है। इस विज्ञापन में देश के सभी 12 ज्योर्तिलिंगों के नाम और वो कहां स्थित हैं ये बताया गया है, लेकिन महाराष्ट्र के पुणे में स्थित भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग के स्थान पर असम के भीमाशंकर को छठा ज्योतिर्लिंग बताया गया है। इस विज्ञापन में असम के मुख्यमंत्री हेमंता बिस्वा सरमा का फोटो भी लगा है।
क्या लिखा है शिवमहापुराण में? (Bhimashankar Jyotirling in Shivpuran)
शिवमहापुराण में सभी 12 ज्योतिर्लिंगों से जुड़ी कथा और उनके स्थानों के बारे में बताया गया है। उसके अनुसार…
सौराष्ट्रे सोमनाथं च श्रीशैले मल्लिकार्जुनम्।
उज्जयिन्यां महाकालं ओम्कारम् अमलेश्वरम्॥
परल्यां वैद्यनाथं च डाकिन्यां भीमशङ्करम्।
सेतुबन्धे तु रामेशं नागेशं दारुकावने॥
वाराणस्यां तु विश्वेशं त्र्यम्बकं गौतमीतटे।
हिमालये तु केदारं घुश्मेशं च शिवालये॥
एतानि ज्योतिर्लिङ्गानि सायं प्रातः पठेन्नरः।
सप्तजन्मकृतं पापं स्मरणेन विनश्यति॥
इस श्लोक के अनुसार, डाकिनी नामक स्थान पर जो ज्योतिर्लिंग है, वो भीमाशंकर है।
दोनों सरकारों का अपना-अपना दावा?
वर्तमान में जो ज्योतिर्लिंग भीमाशंकर के रूप में प्रतिष्ठित है, वो महाराष्ट्र में पुणे के निकट भीमा नदी के निकट स्थित है। हालांकि यहां डाकिनी नाम का कोई स्थान नहीं है। यहां सह्याद्रि पर्वत पर भगवान शिव विराजमान हैं। भीमा नदी के तट पर स्थित होने के कारण इसे ही भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग माना जाता रहा है। जबकि असम सरकार का दावा है कि 12 ज्योतिर्लिगों की स्तुति में जिस डाकिनी नाम के बारे में बताया गया है वो असम में स्थित कामरूप जिले में गुवाहाटी के पास ब्रह्मरूप पहाड़ी पर स्थित है। इसीलिए इस स्थान पर जो शिवलिंग है, वही भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग है।
ये है भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग की कथा (Bhimashankar Jyotirling Katha in Shivpuran)
- शिवपुराण के अनुसार, पौराणिक काल में रावण के छोटे भाई कुंभकर्ण का पुत्र भी नामक एक बलवान राक्षस था। तपस्या करके वो बहुत शक्तिशाली हो गया और उसने इंद्र आदि देवताओं को हरा दिया।
- इसके बाद उसने कामरूप देश के राजा सुदक्षिण जो शिवजी के परम भक्त थे, को बंदी बना लिया। कैद में रहते हुए राजा सुदक्षिण ने एक पार्थिव शिवलिंग बनाया और उसकी पूजा करने लगा।
- जब ये बात राक्षस भीम को पता चली तो उसने वहां पहुंचकर शिवलिंग पर जैसे ही तलवार से प्रहार किया, वहां स्वयं भगवान शिव प्रकट हो गए। भगवान शिव व राक्षस भीम के बीच भयंकर युद्ध हुआ।
- अंत में भगवान शिव ने भीम को सेना सहित भस्म कर दिया। सभी ने भगवान शिव से इसी स्थान पर रहने की प्रार्थना की। भक्तों की प्रार्थना सुनकर भगवान शिव उस स्थान पर भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग के रूप में स्थिर हो गए।
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