Chaitra Navratri 2024: 10 अप्रैल को देवी के किस रूप की पूजा करें, क्या भोग लगाएं? जानें मंत्र, कथा और आरती
Chaitra Navratri 2024 Devi Brahmacharini: चैत्र नवरात्रि में रोज देवी के अलग रूप की पूजा का विधान है। इसी क्रम में नवरात्रि के दूसरे दिन देवी ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है। देवी ब्रह्मचारिणी को तप की देवी भी कहते हैं।
Chaitra Navratri 2024 Devi Brahmacharini Puja Vidhi: वासंती नवरात्रि का पर्व 9 अप्रैल, मंगलवार से शुरू हो चुका है। 10 अप्रैल, बुधवार को इसका दूसरा दिवस रहेगा। इस दिन देवी दुर्गा के ब्रह्मचारिणी स्वरूप की पूजा की जाएगी। देवी पार्वती ने शिवजी को पति रूप में पाने के लिए घोर तपस्या की थी, इसलिए उन्हें तप की देवी भी कहते हैं। आगे जानिए देवी ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि, मंत्र, आरती और कथा…
ये है देवी ब्रह्मचारिणी की कथा (Devi Brahmacharini Ki Katha)
देवी पुराण के अनुसार, भगवान शिव की पत्नी देवी सती ने जब अपने पिता दक्ष के यज्ञ में कूदकर आत्मदाह कर लिया तो अगले जन्म में उन्होंने पर्वतों के राजा हिमालय की पुत्री के रूप में जन्म लिया। इस जन्म में उन्होंने भगवान शिव को अपना पति रूप में पाने के लिए घोर तपस्या की। तपस्या करने से इन्हें तप की देवी कहा गया और इनका एक नाम ब्रह्मचारिणी प्रसिद्ध हुआ।
ऐसा है देवी ब्रह्मचारिणी का स्वरूप…( Navratri Ka Dusre Din Kis Devi Ki Puja Kare)
दधाना कर पद्माभ्याम अक्षमाला कमण्डलू। देवी प्रसीदतु मई ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा।। अर्थ- देवी ब्रह्मचारिणी का स्वरूप बहुत ही उज्जवल है। देवी के दाहिने हाथ मे जप की माला है और बांए हाथ में कमंडल है। ये सफेद वस्त्र धारण करती हैं। इनकी पूजा से मन को शांति का अनुभव होता है।
कैसे करें देवी ब्रह्मचारिणी की पूजा? (Devi Brahmacharini Ki Puja Vidhi)
- चैत्र नवरात्रि के दूसरे यानी 10 अप्रैल, बुधवार की सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करें और घर में एक साफ स्थान पर देवी ब्रह्मचारिणी की तस्वीर स्थापित करें। - देवी की तस्वीर के समीप पानी से भरा कलश रखें। देवी को तिलक लगाएं और शुद्ध घी का दीपक लगाएं। देवी को चुनरी अर्पित करें और ये मंत्र बोलें- या देवी सर्वभूतेषु मां ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।। दधाना कपाभ्यामक्षमालाकमण्डलू। देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा। - इसके बाद देवी को अबीर, गुलाल, फूल, फल, लौंग आदि चीजें एक-एक करके चढ़ाते रहें। देवी ब्रह्मचारिणी को ईख (गन्ना) का भोग विशेष रूप से लगाया जाता है। - इसके बाद विधि-विधान से देवी ब्रह्मचारिणी की आरती करें। आरती के बाद भोग –प्रसाद का वितरण करें।
ब्रह्माचारिणी देवी की आरती (Devi Brahmacharini Ki Aarti)
जय अंबे ब्रह्माचारिणी माता। जय चतुरानन प्रिय सुख दाता। ब्रह्मा जी के मन भाती हो। ज्ञान सभी को सिखलाती हो। ब्रह्मा मंत्र है जाप तुम्हारा। जिसको जपे सकल संसारा। जय गायत्री वेद की माता। जो मन निस दिन तुम्हें ध्याता। कमी कोई रहने न पाए। कोई भी दुख सहने न पाए। उसकी विरति रहे ठिकाने। जो तेरी महिमा को जाने। रुद्राक्ष की माला ले कर। जपे जो मंत्र श्रद्धा दे कर। आलस छोड़ करे गुणगाना। मां तुम उसको सुख पहुंचाना। ब्रह्माचारिणी तेरो नाम। पूर्ण करो सब मेरे काम। भक्त तेरे चरणों का पुजारी। रखना लाज मेरी महतारी।
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