Diwali 2025 Lakshmi Puja: लक्ष्मी पूजा कैसे करें, कौन-सा मंत्र बोलें? जानें भोग और मुहूर्त

Published : Oct 19, 2025, 02:32 PM IST
Diwali 2025 Lakshmi Puja

सार

Diwali 2025 Lakshmi Puja: इस बार दिवाली 20 अक्टूबर, सोमवार को मनाई जाएगी। इस दिन शाम को लक्ष्मी पूजा की जाती है। मान्यता है कि इस दिन शुभ मुहूर्त में लक्ष्मी पूजा करने से घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है।

Diwali 2025 Puja Vidhi-Shubh Muhurat: धर्म ग्रंथों के अनुसार, हर साल कार्तिक मास की अमावस्या पर दीपावली मनाई जाती है। ये पर्व देवी लक्ष्मी को समर्पित है। मान्यता के अनुसार, समुद्र मंथन करने पर जब देवी लक्ष्मी प्रकट हुईं तो सभी देवताओं ने उनकी पूजा की। उस दिन कार्तिक अमावस्या तिथि थी। तभी से इस तिथि पर देवी लक्ष्मी की पूजा की परंपरा चली आ रही है। आगे जानिए दिवाली पर कैसे करें देवी लक्ष्मी की पूजा, कौन-सा मंत्र बोलें, शुभ मुहूर्त सहित पूरी डिटेल…

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दिवाली 2025 पूजा के शुभ मुहूर्त

अभिजीत मुहूर्त- दोपहर 11:49 से 12:34 तक
प्रदोष काल मुहूर्त- शाम 05:57 से 08:21 तक
गोधूलि बेला मुहूर्त- शाम 05:35 से 06:09 तक

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दिवाली 2025 स्थिर लग्न मुहूर्त

वृश्चिक लग्न - सुबह 08:35 से 10:54 तक
कुंभ लग्न - दोपहर 02:21 से 04:09 तक
वृषभ लग्न - रात 07:09 से 09:05 तक
सिंह लग्न - रात 01:41 से 03:58 तक

दिवाली 2025 चौघड़िया मुहूर्त

अमृत- सुबह 06:27 से 07:53 तक
शुभ- सुबह 09:19 से 10:45 तक
चर- दोपहर 01:38 से 03:04 तक
लाभ- दोपहर 03:04 से 04:30 तक
अमृत- शाम 04:30 से 05:56 तक
चर- शाम 05:56 से 07:30 तक
लाभ- रात 10:38 से 12:12 तक
(सभी मुहूर्त उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मितेश पाण्डे के अनुसार)

दिवाली पर लक्ष्मी पूजा की विधि और मंत्र

- 20 अक्टूबर, सोमवार यानी दिवाली की सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करें और हाथ में जल, चावल व फूल लेकर पूजा का संकल्प लें। दिन भर घर की पवित्रता बनाए रखें यानी कोई भी अपवित्र वस्तु जैसे मांस-मदिरा आदि घर में न लेकर आएं।
- पूजा के लिए चयनित स्थान को अच्छे से साफ करें और गंगाजल छिड़ककर पवित्र कर लें। शुभ मुहूर्त से पहले पूरी पूजन सामग्री एक स्थान पर एकत्रित करके रख लें। साफ कपड़े पहनें। बड़ा आसान बिछाएं, जिस पर पूरा परिवार बैठ सके।
- शुभ मुहूर्त में सबसे पहले पूजा स्थान पर लकड़ी की चौकी स्थापित कर, इसके ऊपर लाल कपड़ा बिछाएं। इस पर देवी लक्ष्मी, भगवान श्रीगणेश सहित देवी सरस्वती की प्रतिमा या चित्र रखें। चौकी पर पानी से भरा एक कलश भी रखें।
- पानी से भरे कलश पर कुंकुम से स्वस्तिक बनाएं और मौली बांधें। अब इसके ऊपर नारियल रखें। नारियल पर तिलक लगाएं। स्थापित किए हुए सभी देवी-देवताओं को तिलक लगाएं, चावल चढ़ाएं और फूलों की माला पहनाएं।
- नीचे लिखा मंत्र बोलकर पूजन सामग्री पर पानी छिड़कें-
ऊं अपवित्र: पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोपि वा।
य: स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स बाह्याभ्यन्तर: शुचि:।।
- चौकी पर ही शुद्ध घी का दीपक जलाएं और धूप बत्ती भी जलाएं। इसके अलावा 11 या 21 दीपकों में तेल भरकर रख दें। देवी लक्ष्मी, सरस्वती और श्रीगणेश को अबीर, गुलाल, हल्दी, चंदन आदि चीजें एक-एक करके चढ़ाते रहें।
- देवी लक्ष्मी को कमल का फूल अर्पित करें। सभी देवी-देवताओं पर इत्र छिड़कें, पान अर्पित करें। इसके बाद अपनी इच्छा अनुसार, फल व मिठाई का भोग भी लगाएं। संभव हो तो गाय के दूध से बनी खीर भी जरूर अर्पित करें।
- सभी दीपक एक-एक करके प्रज्वलित करें। इसके बाद सभी परिजन साथ मिलकर विधि-विधान से देवी लक्ष्मी सहित अन्य देवी-देवताओं की आरती करें। आरती के बाद हाथ में जल लेकर धरती पर छोड़े दें और ये मंत्र बोलें-
ऊं अनेन यथाशक्त्यर्चनेन श्रीमहालक्ष्मी: प्रसीदतु।
- इसके बाद हाथ में चावल लें इसे जमीन पर छोड़ते समय ये मंत्र बोलें-
यान्तु देवगणा: सर्वे पूजामादाय मामकीम्।
इष्टकामसमृद्धयर्थं पुनरागमनाय च।।
- इस प्रकार दीपावली पर देवी लक्ष्मी, सरस्वती और भगवान श्रीगणेश की पूजा करने से घर में सुख-समृद्धि का वास होता है। इस बात का ध्यान रखें पूजा में जलाया गया मुख्य दीपक रात भर जलते रहना चाहिए। इसे अगले दिन उठाएं।

मां लक्ष्मी की आरती लिरिक्स हिंदी में

ऊं जय लक्ष्मी माता, जय लक्ष्मी माता।
तुमको निसिदिन सेवत हर विष्णु-धाता।। ऊं।।
उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग माता।
सूर्य-चंद्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता।। ऊं...।।
दुर्गारूप निरंजनि, सुख-सम्पत्ति दाता।
जो कोई तुमको ध्यावत, रिद्धि-सिद्धि धन पाता।। ऊं...।।
तुम पाताल-निवासिनि, तुम ही शुभदाता।
कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनी, भवनिधिकी त्राता।। ऊं...।।
जिस घर तुम रहती, तहँ सब सद्गुण आता।
सब संभव हो जाता, मन नहिं घबराता।। ऊं...।।
तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न हो पाता।
खान-पान का वैभव सब तुमसे आता।। ऊं...।।
शुभ-गुण-मंदिर सुंदर, क्षीरोदधि-जाता।
रत्न चतुर्दश तुम बिन कोई नहिं पाता।। ऊं...।।
महालक्ष्मी(जी) की आरती, जो कोई नर गाता।
उर आनन्द समाता, पाप उतर जाता।। ऊं...।।

Disclaimer 
इस आर्टिकल में जो जानकारी है, वो धर्म ग्रंथों, विद्वानों और ज्योतिषियों से ली गईं हैं। हम सिर्फ इस जानकारी को आप तक पहुंचाने का एक माध्यम हैं। यूजर्स इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।

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