Dussehra 2024: कैसे करें शमी वृक्ष की पूजा? जानें विधि-मंत्र और शुभ मुहूर्त

Shami Puja 2024: इस बार दशहरा 12 अक्टूबर, शनिवार को मनाया जाएगा। इस दिन रावण दहन, शस्त्र पूजन के साथ ही अन्य कईं परंपराओं का पालन भी किया जाता है, शमी पूजन भी इनमें से एक है।

 

Manish Meharele | Published : Oct 12, 2024 3:39 AM IST / Updated: Oct 12 2024, 09:48 AM IST

Shami Puja Vidhi-Mantra: हर साल आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि पर दशहरा पर्व मनाया जाता है। इस बार ये पर्व 12 अक्टूबर, शनिवार को मनाया जाएगा। इस दिन शमी पूजन करने की परंपरा भी है। इस परंपरा से जुड़ी कईं कथाएं हमारे धर्म ग्रंथों में मिलती है। मान्यता है कि शमी वृक्ष में साक्षात भगवान शिव का वास होता है। शमी वृक्ष पूजा की परंपरा आज भी अनेक क्षत्रिय घरों में निभाई जाती है। आगे जानिए कैसे करें शमी वृक्ष की पूजा, शुभ मुहूर्त व अन्य खास बातें…

शमी वृक्ष पूजा के शुभ मुहूर्त (Shami Puja 2024 Shubh Muhurat)
- सुबह 07:53 से 09:19 तक
- सुबह 11:50 से दोपहर 12:36 तक
- दोपहर 12:13 से 01:39 तक
- अमृत 03:06 से 04:33 तक

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शमी पूजा विधि (Shami Puja Vidhi 2024)
- विजयादशमी की सुबह 12 अक्टूबर को स्नान आदि करने के बाद किसी भी शुभ मुहूर्त में शमी वृक्ष की पूजा कर सकते हैं।
- संभव हो तो पूजा के दौरान लाल कपड़े पहनें। शमी वृक्ष पर कुमकुम से तिलक लगाएं, चावल अर्पित करें। लाल फूल चढ़ाएं।
-इसकी जड़ में जल अर्पित करें। शुद्ध घी का दीपक लगाएं और मौली (पूजा का धागा) बांधें। धूप और अगरबत्ती भी लगाएं।
- इस तरह पूजा करने के बाद हाथ जोड़ कर शमी वृक्ष के सामने अपनी मनोकामना कहें। ये मंत्र भी बोलें-
अमंगलानां च शमनीं शमनीं दुष्कृतस्य च।
दु:स्वप्रनाशिनीं धन्यां प्रपद्येहं शमीं शुभाम्

क्यों करते हैं शमी वृक्ष की पूजा?
हिंदू धर्म में शमी वृक्ष का विशेष महत्व बताया गया है। मान्यता है कि रावण का वध करने से पहले भगवान श्रीराम ने शमी वृक्ष की पूजा की जाती है। इस वृक्ष में भगवान शिव का वास माना जाता है। महाभारत के अनुसार, जब पांडव अज्ञातवास पर थे तब उन्होंने अपने सभी अस्त्र-शस्त्र शमी वृक्ष पर ही छिपाए थे। शमी वृक्ष से जुड़ी एक मान्यता ये भी है कि शमी वृक्ष की पूजा से शनिदेव प्रसन्न होते हैं। जिन लोगों को शनि दोष हो, उन्हें शमी वृक्ष की पूजा अवश्य करनी चाहिए।


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इस आर्टिकल में जो भी जानकारी दी गई है, वो ज्योतिषियों, पंचांग, धर्म ग्रंथों और मान्यताओं पर आधारित हैं। इन जानकारियों को आप तक पहुंचाने का हम सिर्फ एक माध्यम हैं। यूजर्स से निवेदन है कि वो इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।

 

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