Hanuman Ashtami December 2024 Kab Hai: 23 दिसंबर, सोमवार को हनुमान अष्टमी का पर्व मनाया जाएगा। इस दिन हनुमानजी की पूजा विशेष रूप से की जाएगी। हनुमान अष्टमी से जुड़ी अनेक मान्यताएं हैं जो इसे खास बनाती हैं।
Hanuman Ashtami December 2024 Details: हर साल पौष मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को हनुमान अष्टमी का पर्व मनाया जाता है। वैसे तो पर्व पूरे देश में मनाया जाता है लेकिन मध्य प्रदेश के उज्जैन व इंदौर सहित इसके आस-पास के क्षेत्रों में इसकी विशेष मान्यता है। इस बार हनुमान अष्टमी का पर्व 23 दिसंबर, सोमवार को मनाया जाएगा। इस दिन हनुमानजी की पूजा कैसे करें, शुभ मुहूर्त आदि की जानकारी इस प्रकार है…
- सुबह 09:47 से 11:06 तक
- दोपहर 01:45 से 03:04 तक
- दोपहर 04:23 से शाम 05:43 तक
- शाम 05:43 से 07:23 तक
- हनुमान अष्टमी यानी 23 दिसंबर की सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करें और जैसा व्रत आप करना चाहते हैं वैसा संकल्प लें।
- शुभ मुहूर्त से पहले घर में किसी साफ स्थान पर लकड़ी के पटिए पर लाल कपड़ा बिछाकर पूजा की तैयारी करें।
- शुभ मुहूर्त में इस पटिए पर हनुमानजी का चित्र स्थापित करें। सबसे पहले तिलक लगाएं और फूलों की माला पहनाएं।
- शुद्ध घी का दीपक जलाएं। इसके बाद अबीर, गुलाल, सिंदूर आदि चीजें एक-एक करके हनुमानजी को चढ़ाते रहें।
- पूजा के दौरान ऊँ हं हनुमते नम: मंत्र का जाप करते रहें। हनुमानजी को भोग लगाएं। लौंग-इलाइची वाला पान भी चढ़ाएं।
- पूजा के बाद हनुमानजी की आरती करें। इस तरह हनुमानजी की पूजा करने से आपकी हर इच्छा पूरी हो सकती है।
आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ॥
जाके बल से गिरवर काँपे। रोग-दोष जाके निकट न झाँके ॥
अंजनि पुत्र महा बलदाई। संतन के प्रभु सदा सहाई ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ॥
दे वीरा रघुनाथ पठाए। लंका जारि सिया सुधि लाये ॥
लंका सो कोट समुद्र सी खाई। जात पवनसुत बार न लाई ॥
आरती कीजै हनुमान लला की॥
लंका जारि असुर संहारे। सियाराम जी के काज सँवारे ॥
लक्ष्मण मुर्छित पड़े सकारे। लाये संजिवन प्राण उबारे ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ॥
पैठि पताल तोरि जमकारे। अहिरावण की भुजा उखारे ॥
बाईं भुजा असुर दल मारे। दाहिने भुजा संतजन तारे ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ॥
सुर-नर-मुनि जन आरती उतरें। जय जय जय हनुमान उचारें ॥
कंचन थार कपूर लौ छाई। आरती करत अंजना माई ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ॥
जो हनुमानजी की आरती गावे। बसहिं बैकुंठ परम पद पावे ॥
लंक विध्वंस किये रघुराई। तुलसीदास स्वामी कीर्ति गाई ॥
आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ॥
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