अखुरथ संकष्टी चतुर्थी व्रत 18 दिसंबर को, जानें पूजा विधि, मंत्र व शुभ मुहूर्त

सार

Akhuratha Sankashti Chaturthi 2024: धर्म ग्रंथों के अनुसार, पौष मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को अखुरथ संकष्टी चतुर्थी कहते हैं। इस बार ये चतुर्थी दिसंबर 2024 में है। इस व्रत में भगवान श्रीगणेश की पूजा विशेष रूप से की जाती है।

 

Akhuratha Sankashti Chaturthi 2024 Details: हिंदू धर्म में एक तिथि के एक विशेष देवता माने गए हैं। चतुर्थी तिथि के देवता भगवान श्रीगणेश है, इसलिए महीने के दोनों पक्षों की चतुर्थी तिथि को भगवान श्रीगणेश को प्रसन्न करने के लिए व्रत-पूजा की जाती है। पौष मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को अखुरथ संकष्टी चतुर्थी कहते हैं। इस बार ये व्रत दिसंबर 2024 में किया जाएगा। आगे जानिए कब है अखुरथ संकष्टी चतुर्थी, इसकी पूजा विधि, मुहूर्त आदि डिटेल…

दिसंबर 2024 में कब है अखुरथ संकष्टी चतुर्थी?

पंचांग के अनुसार, पौष मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 18 दिसंबर, बुधवार की सुबह 10 बजकर 06 मिनिट से शुरू होगी, जो 19 दिसंबर, गुरुवार की सुबह 10 बजकर 03 मिनिट तक रहेगी। चूंकि चतुर्थी तिथि का चंद्रोदय 18 दिसंबर, बुधवार को होगा, इसलिए इसी दिन अखुरथ संकष्टी चतुर्थी का व्रत किया जाएगा। इस दिन पुष्य नक्षत्र का संयोग होने से ये व्रत और भी शुभ फल देने वाला माना जाएगा।

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अखुरथ संकष्टी चतुर्थी दिसंबर 2024 शुभ मुहूर्त

- सुबह 11:04 से दोपहर 12:23 तक
- दोपहर 03:02 से शाम 04:21 तक
- शाम 04:21 से 05:40 तक
- शाम 07:21 से 09:02 तक

इस विधि से करें अंगारक चतुर्थी व्रत-पूजा (Angarak Chaturthi Puja Vidhi)

18 दिसंबर, बुधवार की सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करें और व्रत-पूजा का संकल्प लें। दिन भर व्रत के नियमों का पालन शुद्धतापूर्वक करें। शुभ मुहूर्त से पहले पूजन स्थान की साफ-सफाई करें और गंगाजल छिड़ककर पवित्र करें। पूजा स्थान पर लकड़ी का पटिया रखें और इसके ऊपर भगवान श्रीगणेश का चित्र या प्रतिमा स्थापित करें। श्रीगणेश को कुमकुम से तिलक लगाएं, फूलों की माला पहनाएं, दीपक जलाएं। एक-एक करके दूर्वा, अबीर, गुलाल, चावल रोली चढ़ाएं। ऊं गं गणेशाय नम: मंत्र का जाप भी करते रहें। लड्डू का भोग लगाएं और आरती करें। चंद्रोदय होने पर जल से अर्ध्य दें और फूल, चावल चढ़ाकर पूजा करें। इसके बाद भोजन करें।

भगवान श्रीगणेश की आरती (Lord Ganesha Aarti)

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी ।
माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
पान चढ़े फल चढ़े, और चढ़े मेवा ।
लड्डुअन का भोग लगे, संत करें सेवा ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया ।
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
'सूर' श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी ।
कामना को पूर्ण करो, जाऊं बलिहारी ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥


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इस आर्टिकल में जो जानकारी है, वो ज्योतिषियों द्वारा बताई गईं हैं। हम सिर्फ इस जानकारी को आप तक पहुंचाने का एक माध्यम हैं। यूजर्स इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।

 

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