Rukmini Ashtami 2024: हिंदू पंचांग के दसवें महीने पौष में रुक्मिणी अष्टमी का पर्व मनाया जाता है। इस बार ये पर्व दिसंबर 2204 में मनाया जाएगा। धर्म ग्रंथों के अनुसार, इसी तिथि पर देवी लक्ष्मी ने रुक्मिणी के रूप में धरती पर जन्म लिया था।
Rukmini Ashtami 2024 Kab Hai: धर्म ग्रंथों के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण की पत्नी रुक्मिणी साक्षात देवी लक्ष्मी का अवतार थीं। पुराणों की मानें तो पौष मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को देवी रुक्णिमी का जन्म हुआ था, इसलिए हर साल इसी तिथि पर रुक्णिमी अष्टमी का पर्व मनाया जाता है। इस दिन देवी रुक्मिणी की पूजा विशेष रूप से की जाती है। जानें इस बार कब है रुक्मिणी अष्टमी और पूजा विधि, शुभ मुहूर्त आदि की डिटेल…
पंचांग के अनुसार, पौष मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 22 दिसंबर, रविवार की दोपहर 02 बजकर 32 मिनिट से शुरू होगा, जो 23 दिसंबर, सोमवार की शाम 05 बजकर 08 मिनिट तक रहेगी। चूंकि अष्टमी तिथि का सूर्योदय 23 दिसंबर, सोमवार को होगा, इसलिए इसी दिन रुक्मिणी अष्टमी का पर्व मनाया जाएगा।
सुबह 09:47 से 11:06 तक
दोपहर 01:45 से 03:04 तक
दोपहर 12:04 से 12:47 तक
शाम 04:23 से 07:23 तक
- 23 दिसंबर, सोमवार की सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद व्रत-पूजा का संकल्प लें। शुभ मुहूर्त से पहले पूजा सामग्री एक स्थान पर लाकर रख लें और पूजा स्थान को गंगाजल से छिड़ककर शुद्ध कर लें।
- तय स्थान पर पूजा के लिए एक लकड़ी की चौकी रखें और इसके ऊपर देवी रुक्मिणी और भगवान श्रीकृष्ण की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें। सबसे पहले कुमकुम से तिलक करें, फूलों की माला पहनाएं।
- शुद्ध घी का दीपक जलाएं। श्रीकृष्ण को पीले और देवी रुक्मिणी को लाल वस्त्र अर्पित करें। अबीर, गुलाल, फूल हल्दी, इत्र, आदि चीजें चढ़ाते रहें। खीर का भोग लगाएं, इसमें तुलसी के पत्ते भी जरूर डालें।
- दिन भर उपवास करें। संभव न हो तो एक समय फलाहार कर सकते हैं। रात में सोए नहीं, जागरण करें, देवी रुक्मिणी के भजन-कीर्तन करें या मंत्र जाप भी कर सकते हैं। अगले दिन व्रत का पारण करें।
श्रीमद्भागवत के अनुसार, जब भगवान विष्णु ने श्रीकृष्ण के रूप में अवतार लिया तो देवी लक्ष्मी भी रुक्मिणी के रूप में धरती पर आईं। देवी रुक्मिणी के पिता का नाम भीष्मक और भाई का नाम रुक्मी था। देवी रुक्मिणी के भाई रुक्मी उनका विवाह शिशुपाल से करना चाहते थे। लेकिन देवी रुक्मिणी, श्रीकृष्ण को अपना पति मान चुकी थीं। जब ये बात श्रीकृष्ण को पता चली तो उन्होंने रुक्मिणी का हरण कर लिया और द्वारिक ले आए। द्वारिका में ही इनका विवाह हुआ।
ये भी पढ़ें-
Tulsi Pujan Diwas Kab Hai: कब है तुलसी पूजन दिवस 2024, ये क्यों मनाते हैं?
साल 2025 में भी Diwali Date को लेकर कन्फ्यूजन, 6 दिन का रहेगा ये त्योहार
Disclaimer
इस आर्टिकल में जो जानकारी है, वो ज्योतिषियों द्वारा बताई गईं हैं। हम सिर्फ इस जानकारी को आप तक पहुंचाने का एक माध्यम हैं। यूजर्स इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।