
Kaal Bhairav Ashtami Arti Lyrics In Hindi: धर्म ग्रंथों में भगवान शिव के अनेक अवतारों की कथाएं मिलती हैं, कालभैरव भी इन अवतारों में से एक हैं। भगवान कालभैरव महादेव के रौद्र अवतार हैं। इनकी पूजा तामसिक रूप से भी की जाती है जिसमें मदिरा और मांस आदि चीजें शामिल होती हैं। 12 नवंबर को कालभैरव अष्टमी का पर्व मनाया जाएगा। इस दिन भगवान कालभैरव की विशेष पूजा की जाती है, साथ ही आरती भी। आगे जानिए कैसे करें भगवान कालभैरव की आरती…
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- भगवान कालभैरव की आरती से पहले इनकी पूजा करें और भोग आदि लगाएं। इसके बाद आरती करें। शास्त्रीय नियमों के अनुसार किसी भी देवी-देवता की के चित्र या प्रतिमा के सामने से आरती की थाली कुल 14 बार घुमानी चाहिए।
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- सबसे पहले 4 बार चरणों से आरती घुमाएं, इसके बाद 2 बार नाभि से, 1 बार चेहरे पर से और 7 बार पूरे शरीर से। इस तरह 14 आरती की थाली घूमने के बाद आगे की प्रक्रिया करनी चाहिए। शास्त्रों में आरती की यही विधि बताई गई है।
- इस प्रकार विधि-विधान से भगवान की आरती करने से उनकी कृपा हमारे ऊपर हमेशा बनी रहती है। भगवान कालभैरव की आरती भी इसी तरह करें। इससे आपके जीवन में सुख-समृद्धि और शांति बनी रहेगी।
जय भैरव देवा, प्रभु जय भैरव देवा।
जय काली और गौरा देवी कृत सेवा।।
तुम्हीं पाप उद्धारक दुख सिंधु तारक।
भक्तों के सुख कारक भीषण वपु धारक।।
वाहन शवन विराजत कर त्रिशूल धारी।
महिमा अमिट तुम्हारी जय जय भयकारी।।
तुम बिन देवा सेवा सफल नहीं होंवे।
चौमुख दीपक दर्शन दुख सगरे खोंवे।।
तेल चटकि दधि मिश्रित भाषावलि तेरी।
कृपा करिए भैरव करिए नहीं देरी।।
पांव घुंघरू बाजत अरु डमरू डमकावत।
बटुकनाथ बन बालक जन मन हर्षावत।।
बटुकनाथ जी की आरती जो कोई नर गावें।
कहें धरणीधर नर मनवांछित फल पावें।।
Disclaimer
इस आर्टिकल में जो जानकारी है, वो धर्म ग्रंथों, विद्वानों और ज्योतिषियों से ली गईं हैं। हम सिर्फ इस जानकारी को आप तक पहुंचाने का एक माध्यम हैं। यूजर्स इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।