Kaal Bhairav Jayanti Vrat Katha: अगहन मास में कालभैरव अष्टमी का पर्व मनाया जाता है। इसे कालभैरव जयंती भी कहते हैं। कालभैरव भगवान शिव के रौद्र अवतार हैं। कालभैरव के अनेक प्रसिद्ध मंदिर हमारे देश में है।

Kaal Bhairav Ki Katha: शिवपुराण में भगवान शिव के अनेक अवतारों के बारे में बताया गया है। कालभैरव भी इनमें से एक है। हर साल अगहन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालभैरव जयंती का पर्व मनाया जाता है। इस बार ये पर्व 12 नवंबर, बुधवार को मनाया जाएगा। इस दिन प्रमुख भैरव मंदिरों में विशेष पूजा की जाती है और भक्तों की भीड़ उमड़ती है। भगवान कालभैरव की पूजा सात्विक और तामसिक दोनों तरीकों से की जाती है। भगवान शिव ने कालभैरव अवतार क्यों लिया, इससे जुड़ी कथा भी धर्म ग्रंथों में बताई गई है। आगे जानिए कालभैरव अवतार की कथा…

ये भी पढ़ें-
Vastu Tips: घर में भगवान कालभैरव की तस्वीर रखें या नहीं?

कालभैरव अष्टमी व्रत की कथा (Kaal Bhairav Avtar Ki Katha)

शिवपुराण के अनुसार, एक बार परमपिता ब्रह्मदेव को स्वयं पर अभिमान हो गया। वे तीनों देवों में खुद को ही श्रेष्ठ बताने लगे। उन्होंने जब वेदों से इसके बारे में पूछा गया तो उन्होंने महादेव को ही सर्वश्रेष्ठ बताया। उनकी बात भी ब्रह्मदेव ने नहीं मानी। उसी समय ब्रह्मदेव के निकट एक तेज प्रकाश दिखाई दिया जो एक भयंकर पुरुष में बदल गया।

ये भी पढ़ें-
Kaal Bhairav Jayanti 2025: कालभैरव जयंती पर कैसे करें पूजा? जानें मंत्र, मुहूर्त सहित पूरी डिटेल

तभी महादेव ने आकाशवाणी से बोला ‘आप काल के भी स्वामी हैं और भीषण होने से भैरव हैं। अत: आप कालभैरव हैं।’ शिवजी से आशीर्वाद पाकर कालभैरव ने उसी समय अपनी उंगली के नाखून से ब्रह्मा का पांचवां सिर काट दिया। ऐसा करने से कालभैरव पर ब्रह्महत्या का पाप लगा और ब्रह्मा का सिर भी उनके हाथ से चिपक गया।
ब्रह्महत्या के पास से मुक्ति पाने के लिए कालभैरव काशी गए, वहां ब्रह्मा का सिर उनके हाथ से अलग हो गया। इस तरह कालभैरव को ब्रह्महत्या के पाप से छुटकारा मिला। कालभैरव की भक्ति देख महादेव ने उन्हें काशी का कोतवाल बना दिया। काशी में आज भी भगवान कालभैरव का अति प्राचीन और प्रसिद्ध मंदिर हैं, जहां भक्तों की भीड़ उमड़ती है।
ऐसी मान्यता है कि यदि कोई व्यक्ति काशी आए और भगवान विश्वनाथ के दर्शन के बाद कालभैरव के दर्शन न करें तो उसे काशी तीर्थ यात्रा का पूरा फल नहीं मिलता। यही कारण है कि इस मंदिर में रोज भक्तों का तांता लगा रहता है। दूर-दूर से भक्त यहां दर्शन करने आते हैं और उनकी हर मनोकामना भी यहां पूरी होती है।

Disclaimer
इस आर्टिकल में जो जानकारी है, वो धर्म ग्रंथों, विद्वानों और ज्योतिषियों से ली गईं हैं। हम सिर्फ इस जानकारी को आप तक पहुंचाने का एक माध्यम हैं। यूजर्स इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।