Achala Ekadashi 2024: अचला एकादशी 2 जून को, 4 शुभ योग में करें व्रत-पूजा, जानें शुभ मुहूर्त, मंत्र और आरती

Achala Ekadashi 2024: हिंदू धर्म में एकादशी तिथि का विशेष महत्व है। इस दिन व्रत करने और भगवान विष्णु की पूजा करने का विधान है। और भी कईं मान्यताएं और परंपराएं एकादशी तिथि से जुड़ी हुई हैं।

 

Manish Meharele | Published : May 28, 2024 4:10 AM IST / Updated: Jun 02 2024, 08:14 AM IST

Achala Ekadashi 2024 Kab Hai: धर्म ग्रंथों के अनुसार, ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को अचला एकादशी कहते हैं। इसका एक नाम अपरा एकादशी भी है। इस एकादशी पर भगवान विष्णु के त्रिविक्रम रूप की पूजा की जाती है। इस बार अचला एकादशी पर कईं शुभ योग भी बन रहे हैं, जिसके कारण इस तिथि का महत्व और भी अधिक हो गया है। आगे जानिए इस बार कब है अचला एकादशी, पूजा विधि, शुभ मुहूर्त, शुभ योग आदि की जानकारी…

कब है अचला एकादशी 2024?
पंचांग के अनुसार, इस बार ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 02 जून, रविवार की सुबह 05.04 से 03 जून, सोमवार की तड़के 02.41 तक रहेगी। चूंकि एकादशी तिथि का सूर्योदय 2 जून, रविवार को होगा और ये तिथि दिन भर भी रहेगी। इसलिए इसी दिन ये व्रत किया जाएगा। इस दिन वर्धमान, आनंद, आयुष्मान और सौभाग्य नाम के 4 शुभ योग होने से इसका महत्व और भी अधिक माना जाएगा।

अचला एकादशी 2024 शुभ मुहूर्त
- सुबह 07:24 से 09:04 तक
- सुबह 09:04 से 10:44 तक
- दोपहर 02:04 से 03:45 तक
- शाम 07:05 से 08:25 तक

इस विधि से करें अचला एकादशी व्रत-पूजा (Achala Ekadashi Puja Vidhi)
- 2 जून, रविवार की सुबह स्नान करने के बाद हाथ में जल-चावल लेकर व्रत-पूजा का संकल्प लें। शुभ मुहूर्त में घर के किसी साफ स्थान पर पटिया (बाजोट) रखें और इसके ऊपर भगवान विष्णु के साथ देवी लक्ष्मी की प्रतिमा स्थापित करें।
- भगवान की प्रतिमा को तिलक लगाएं और हार पहनाएं। बाजोट के ऊपर ही भगवान के सामने शुद्ध घी का दीपक लगाएं। भगवान को रक्षा सूत्र यानी पूजा का धागा अर्पित करें। ऊं नमो भगवते वासुदेवाय नम: मंत्र का जाप करते रहें।
- इसके बाद कुंकुम, चावल, रोली, अबीर, गुलाल, फूल आदि चीजें एक-एक करके भगवान को चढ़ाते रहें। इसके बाद भगवान को भोग अर्पित करें, इसमें तुलसी के पत्ते जरूर डालें। आरती करें और प्रसाद भक्तों में बांट दें।
- दिन भर नियम पूर्वक रहकर व्रत के नियमों का पालन करें। रात को सोएं नहीं, भगवान की प्रतिमा के समीप बैठकर भजन-कीर्तन करें। अगले दिन सुबह ब्राह्मणों को भोजन कराकर उन्हें दक्षिणा देकर पारणा करें। उसके बाद स्वयं भोजन करें।

भगवान विष्णु की आरती
ओम जय जगदीश हरे, स्वामी! जय जगदीश हरे।
भक्त जनों के संकट, क्षण में दूर करे॥ ओम जय जगदीश हरे।
जो ध्यावे फल पावे, दुःख विनसे मन का। स्वामी दुःख विनसे मन का।
सुख सम्पत्ति घर आवे, कष्ट मिटे तन का॥ ओम जय जगदीश हरे।
मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूं मैं किसकी। स्वामी शरण गहूं मैं किसकी।
तुम बिन और न दूजा, आस करूं जिसकी॥ ओम जय जगदीश हरे।
तुम पूरण परमात्मा, तुम अन्तर्यामी।
स्वामी तुम अन्तर्यामी। पारब्रह्म परमेश्वर, तुम सबके स्वामी॥ ओम जय जगदीश हरे।
तुम करुणा के सागर, तुम पालन-कर्ता। स्वामी तुम पालन-कर्ता।
मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥ ओम जय जगदीश हरे।
तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति। स्वामी सबके प्राणपति।
किस विधि मिलूं दयामय, तुमको मैं कुमति॥ ओम जय जगदीश हरे।
दीनबन्धु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे। स्वामी तुम ठाकुर मेरे।
अपने हाथ उठाओ, द्वार पड़ा तेरे॥ ओम जय जगदीश हरे।
विषय-विकार मिटाओ, पाप हरो देवा। स्वमी पाप हरो देवा।
श्रद्धा-भक्ति बढ़ाओ, संतन की सेवा॥ ओम जय जगदीश हरे।
श्री जगदीशजी की आरती, जो कोई नर गावे। स्वामी जो कोई नर गावे।
कहत शिवानन्द स्वामी, सुख संपत्ति पावे॥ ओम जय जगदीश हरे।


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Disclaimer : इस आर्टिकल में जो भी जानकारी दी गई है, वो ज्योतिषियों, पंचांग, धर्म ग्रंथों और मान्यताओं पर आधारित हैं। इन जानकारियों को आप तक पहुंचाने का हम सिर्फ एक माध्यम हैं। यूजर्स से निवेदन है कि वो इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।

 

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