Ayudha Puja Timing 2025: कब करें आयुध पूजा, 1 या 2 अक्टूबर? जानें सही डेट, मुहूर्त और विधि

Published : Sep 25, 2025, 03:59 PM IST

Ayudha Puja Timing 2025: शारदीय नवरात्रि के अंतिम दिन देश के अनेक हिस्सों में आयुध पूजा की जाती है। इस दिन लोग अपने वाहन व काम में उपयोग आने वाले वाले उपकरणों की पूजा करते हैं। जानें इस बार कब करें आयुध पूजा?

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जानें आयुध पूजा 2025 से जुड़ी हर बात

Ayudha Puja 2025 Kab Hai: शारदीय नवरात्रि का अंतिम दिन बहुत ही खास होता है। इस दिन देश के अनेक प्रांतों में आयुध पूजा करने की परंपरा है। इस परंपरा के अंतर्गत लोग अपने वाहनों और आजीविका के दौरान काम आने वाला उपकरणों की पूजा करते हैं। आयुध पूजा मुख्य रूप से कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में की जाती है। मान्यता है कि ऐसा करने से घर में सुख-समृद्धि बनी रहेगी और देवी का आशीर्वाद भी प्राप्त होगा। इस बार नवरात्रि 10 दिनों की है, इसलिए लोगों के मन में आयुध पूजा कब की जाए, इस बात को लेकर संशय है। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. प्रवीण द्विवेदी से जानें इस बार कब करें आयुध पूजा…


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कब करें आयुध पूजा 2025?

आयुध पूजा शारदीय नवरात्रि की नवमी तिथि पर की जाती है। पंचांग के अनुसार, इस बार नवमी तिथि 30 सितंबर, मंगलवार की शाम 06 बजकर 06 मिनिट से शुरू होगी जो 01 अक्टूबर, बुधवार की शाम 07 बजकर 01 मिनिट तक रहेगी। चूंकि नवमी तिथि का सूर्योदय 1 अक्टूबर को उदय होगा, इसलिए इसी दिन आयुध पूजा की जाएगी।


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आयुध पूजा 2025 के शुभ मुहूर्त

सुबह 07:50 से 09:19 तक
सुबह 10:47 से दोपहर 12:16 तक
दोपहर 03:13 से शाम 04:42 तक
शाम 04:42 से 06:10 तक

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कैसे करें आयुध पूजा? जानें विधि

1 अक्टूबर, बुधवार को जल्दी उठकर स्नान आदि करें और साफ वस्त्र पहन लें। अपने आजीविका के साध जैसे वाहन, औजार, उपकरण आदि पर कुमकुम का तिलक लगाएं, फिर चावल चढ़ाएं। इसके बाद फूल अर्पित करें और मौली (पूजा का धागा) बांधें। मिठाई का भोग भी लगाएं। इस तरह पूजा करने के बाद इनकी आरती करें। इस प्रकार शारदीय नवरात्रि के अंतिम दिन आयुध पूजा करने से जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है।

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क्यों की जाती है आयुध पूजा?

धर्म ग्रंथों के अनुसार, किसी समय महिषासुर नाम का एक पराक्रमी दैत्य था। उसने अपनी शक्तियों के बल पर स्वर्ग पर भी अधिकार कर लिया, तब सभी देवताओं मां शक्ति का आवाहन किया। देवी प्रकट हुई तब देवताओं ने उन्हें अपने-अपने अस्त्र-शस्त्र प्रदान किए। इन्हीं शस्त्रों से देवी ने महिषासुर का वध किया। इस युद्ध में देवताओं के शस्त्र बहुत काम आए। इसी बात को ध्यान में रखते हुए हमारे पूर्वजों ने आयुध पूजा की परंपरा बनाई गई जो आज तक चली आ रही है।


Disclaimer
इस आर्टिकल में जो जानकारी है, वो धर्म ग्रंथों, विद्वानों और ज्योतिषियों से ली गईं हैं। हम सिर्फ इस जानकारी को आप तक पहुंचाने का एक माध्यम हैं। यूजर्स इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।

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