Dasha Mata Vrat 2024: 4 अप्रैल को करें दशा माता व्रत, जानें पूजा विधि, मंत्र, आरती और कथा सहित पूरी डिटेल

Dasha Mata 2024: हिंदू धर्म में अनेक देवियों की पूजा की जाती है। दशा माता भी इनमें से एक है। दशा माता की पूजा चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की दशमी तिथि को किया जाता है। मान्यता है कि दशा माता की पूजा से घर की दशा सुधरती है।

 

Dasha Mata Vrat 2024 Details In Hindi: धर्म ग्रंथों के अनुसार, चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की दशमी तिथि को दशा माता की पूजा की जाती है। इस बार ये तिथि 4 अप्रैल, गुरुवार को है। दशा माता को देवी पार्वती का ही रूप माना जाता है। ऐसा कहते हैं कि भी दशा माता की पूजा सच्चे मन से करता है, उसके घर की दशा यानी स्थिति सुधर जाती है और वह परेशानियों से भी बचा रहता है। इस दिन वृक्षों की त्रिवेणी (पीपल, बरगद और नीम) की पूजा भी की जाती है। आगे जानिए दशा माता व्रत की विधि, कथा व अन्य खास बातें..

इस विधि से करें दशा माता की पूजा (Dasha Mata Puja and Vrat Vidhi 2024)
- 4 अप्रैल, शनिवार की सुबह स्नान आदि करने के बाद हाथ में जल और चावल लेकर व्रत-पूजा का संकल्प लें। पीपल वृक्ष को भगवान विष्णु का रूप मानकर प्रणाम और पूजा करें।
-पीपल वृक्ष की प्रदक्षिणा करते हुए भगवान विष्णु के मंत्र बोलें। पीपल के नीचे शुद्ध घी का दीपक लगाएं। इसके बाद अबीर, गुलाल, कुंकुम, चावल, फूल आदि चीजें एक-एक कर चढ़ाएं।
- पूजा करने के बाद पीपल के वृक्ष के नीचे बैठकर नल-दमयंती की कथा सुनें। घर के मुख्य दरवाजे के दोनों और हल्दी-कुमकुम के छापे लगाएं। इस दिन बिना नमक का भोजन करें।
- इस प्रकार जो दशा माता की पूजा करता है, उसके घर में हमेशा सुख-समृद्धि बनी रहती है और परेशानियां दूर रहती हैं। इस दिन पूजा के बाद दशा माता की कथा भी जरूर सुनें।

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ये है दशा माता व्रत की कथा (Dasha Mata Vrat Katha)
- प्राचीन समय में नल नाम के एक राजा थे, उनकी पत्नी का नाम दमयंती था। एक बार रानी दमयंती ने दशा माता का व्रत किया और पूजा का धागा गले में बांध लिया। राजा ने ये देखा तो उस धागे को निकालकर फेंक दिया।
- उसी रात दशा माता राजा के सपने में आई और कहा कि ‘तूने मेरा अपमान किया है, इसलिए तेरा अच्छा समय जा रहा है।’ इसके बाद कुछ ऐसा हुआ कि राजा नल को पत्नी सहित वन-वन में भटकना पड़ा।
- एक दिन राजा को सपने में फिर दशा माता दिखाई दी। राजा ने उनसे माफी मांगी और कहा कि ‘मैं पत्नी सहित आपकी पूजा करूंगा।’ राजा नल ने ऐसा ही किया और उन्हें अपना राज्य पुन: मिल गया।

ये है दशा माता की आरती (Dasha Mata Aarti)
आरती श्री दशा माता की |
जय सत-चित्त आनंद दाता की |
भय भंजनि अरु दशा सुधारिणी |
पाप -ताप-कलि कलुष विदारणी|
शुभ्र लोक में सदा विहारणी |
जय पालिनी दिन जनन की |
आरती श्री दशा माता की ||
अखिल विश्व- आनंद विधायिनी |
मंगलमयी सुमंगल दायिनी |
जय पावन प्रेम प्रदायिनी |
अमिय-राग-रस रंगरली की |
आरती श्री दशा माता की ||
नित्यानंद भयो आह्लादिनी |
आनंद घन आनंद प्रसाधिनी|
रसमयि रसमय मन- उन्मादिनी |
सरस कमलिनी विष्णुआली की |
आरती श्री दशा माता की ||


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Disclaimer : इस आर्टिकल में जो भी जानकारी दी गई है, वो ज्योतिषियों, पंचांग, धर्म ग्रंथों और मान्यताओं पर आधारित हैं। इन जानकारियों को आप तक पहुंचाने का हम सिर्फ एक माध्यम हैं। यूजर्स से निवेदन है कि वो इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।

 


 

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