22 अगस्त को करें कजरी तीज व्रत, जानें दिन भर के शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और कथा

Kajri Teej 2024: रक्षाबंधन के 2 दिन बाद कजरी तीज का पर्व मनाया जाता है। इस बार ये पर्व अगस्त 2024 में मनाया जाएगा। इस दिन कुंवारी लड़कियां मनचाहे जीवन साथी के लिए शिवजी और देवी पार्वती की पूजा करती हैं।

 

Manish Meharele | Published : Aug 17, 2024 9:23 AM IST / Updated: Aug 22 2024, 08:07 AM IST

Kajri Teej 2024 Kab Hai: कुंवारी लड़कियां मनचाहे जीवन साथी के लिए कईं व्रत करती हैं, कजरी तीज भी इनमें से एक है। ये व्रत भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि पर किया जाता है। इस दिन भगवान शिव के साथ देवी पार्वती की पूजा भी की जाती है। इस पर्व को बूढ़ी तीज और सतुड़ी तीज भी कहते हैं। आगे जानिए कब है कजरी तीज, इसका महत्व, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि व अन्य खास बातें…

कब है कजरी तीज 2024, जानें पूजा के शुभ मुहूर्त? (Kajri Teej 2024 Shubh Muhurat)
पंचांग के अनुसार, भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि 21 अगस्त, बुधवार की शाम 05 बजकर 07 मिनिट से शुरू होगी, जो 22 अगस्त, गुरुवार की दोपहर 01 बजकर 46 मिनिट तक रहेगी। चूंकि तृतीया तिथि का सूर्योदय 22 अगस्त को होगा, इसलिए इसी दिन कजरी तीज का व्रत किया जाएगा। ये हैं कजरी तीज पूजा के शुभ मुहूर्त…
- सुबह 10:54 से दोपहर 12:29 तक
- दोपहर 12:29 से 02:04 तक
- दोपहर 02:04 से 03:39 तक

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इस विधि से करें कजरी तीज की पूजा-व्रत (Kajari Teej 2024 Puja Vidhi)
- 22 अगस्त, गुरुवार की सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और इसके बाद व्रत-पूजा का संकल्प लें। पूजन सामग्री पहले से एक स्थान पर एकत्रित कर लें और ऊपर बताए गए किसी 1 शुभ मुहूर्त में पूजा शुरू करें।
- घर में किसी साफ स्थान पर लकड़ी की चौकी स्थापित करें। इसके ऊपर शिव-पार्वती की मूर्ति स्थापित कर पूजा करें। सबसे पहले कुमकुम से देवी-देवता को तिलक करें। शुद्ध घी का दीपक लगाएं।
- भगवान को फूलों की माला पहनाएं। इसके बाद भगवान शिव को धतूरा, बिल्व पत्र, फल, भांग, फूल, फल, चावल, रोली, अबीर आदि चीजें अर्पित करें। देवी पार्वती को सुहाग की सामग्री भेंट करें।
- पूजा के बाद कजरी तीज की कथा पढ़ें या सुनें। अंत में आरती करें और प्रसाद भक्तों को बांट दें। इस व्रत को वहीं कुंवारी कन्याओं को मनचाहा जीवनसाथी मिलता है और गृहस्थ महिलाओं को शुभ फल।

कजरी तीज की कथा (Kajari Teej Katha)
प्रचलित कथा के अनुसार, किसी गांव में एक गरीब ब्राह्मण रहता था। जब कजरी तीज का पर्व आया तो उसकी पत्नी ने पूजा के लिए उससे सत्तू लाने को कहा। पैसे न होने के कारण ब्राह्मण चोरी करने की योजना बनाई। रात में वह दुकान में चुपचाप घुसकर सत्तू चुराने लगा। तभी दुकानदार भी वहां आ गया और उसने ब्राह्मण को पकड़ लिया। ब्राह्मण ने दुकानदार को सारी बात सच-सच बता दी। ब्राह्मण की सच्चाई जानने के लिए दुकानदार खुद सत्तू लेकर ब्राह्मण के घर देने गया। दुकानदार ने ब्राह्मण की पत्नी को अपनी बहन बना लिया और खून धन भी दिया।


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Disclaimer
इस आर्टिकल में जो भी जानकारी दी गई है, वो ज्योतिषियों, पंचांग, धर्म ग्रंथों और मान्यताओं पर आधारित हैं। इन जानकारियों को आप तक पहुंचाने का हम सिर्फ एक माध्यम हैं। यूजर्स से निवेदन है कि वो इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।

 

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