Makar Sankranti 2024: मकर संक्रांति पर करें ये आसान उपाय, बच सकते हैं आने वाली परेशानियों से

Published : Jan 14, 2024, 08:26 AM IST
makar sankranti 2024

सार

Makar Sankranti Upay: जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है तो मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है। इस दिन सूर्यदेव की पूजा करने का विधान है। इस दिन सूर्यदेव से संबंधित कुछ खास उपाय करने से आने वाली परेशानियों से बचा जा सकता है। 

Kab Hai Makar Sankranti: इस बार मकर संक्रांति का पर्व 15 जनवरी, सोमवार को मनाया जाएगा। इस दिन से सूर्य उत्तरायण होता है यानी दक्षिण से उत्तरी गोलार्द्ध की ओर गति करने लगता है। इसलिए इसे सूर्य का उत्तरायण होना भी कहते हैं। मकर संक्रांति पर सूर्यदेव की पूजा का विशेष महत्व है। मान्यता है कि मकर संक्रांति पर विभिन्न स्त्रोतों व स्तुतियों से सूर्यदेव की पूजा की जाए तो हर मनोकामना पूरी हो सकती है। मकर संक्रांति पर सूर्यदेव को प्रसन्न करने के लिए इस विधि से अर्घ्य दें और इस स्त्रोत का पाठ करें…

मकर संक्रांति पर इस विधि से दें सूर्यदेव को अर्घ्य (Surya Ko Arghay Dene Ki Vidhi)
- 15 जनवरी, सोमवार यानी मकर संक्रांति की सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद तांबे के लोटे में शुद्ध जल लें। इस जल में थोड़ा केसर, तिल और लाल रंग के फूल डालें।
- अब सूर्यदेव की ओर मुख करके धीरे-धीरे ऊँ घृणि सूर्याय नम: बोलते हुए अर्घ्य दें। इस बात का ध्यान रखें कि अर्घ्य का पानी किसी के पैरों में नहीं आना चाहिए। ऐसा होना अशुभ होता है।
- सूर्यदेव को लाल रंग का वस्त्र अर्पित करें। बाद में इसे किसी योग्य ब्राह्मण को दान कर दें। सूर्यदेव को जल चढ़ाने के बाद शिव प्रोक्त सूर्याष्टक स्तोत्र का पाठ करें। इससे आप मुसीबतों से बचे रहेंगे।

ये है शिव प्रोक्त सूर्याष्टक स्तोत्र
आदिदेव नमस्तुभ्यं प्रसीद मम भास्कर।
दिवाकर नमस्तुभ्यं प्रभाकर मनोस्तु ते।।
सप्ताश्चरथमारूढं प्रचण्डं कश्यपात्ममज्म।
श्वेतपद्मधरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम।।
लोहितं रथमारूढं सर्वलोकपितामहम्।
महापापहरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यम् ।।
त्रैगुण्यं च महाशूरं ब्रह्मविष्णुमहेश्वरम्।
महापापहरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यम्।।
बृंहितं तेज:पुजं च वायु माकाशमेव च।
प्रभुं च सर्वलोकानां तं सूर्यं प्रणमाम्यहम्।।
बन्धूकपुष्पसंकाशं हारकुण्डलभूषितम्।
एकचक्रधरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम्।।
तं सूर्यं जगत्कर्तारं महातेज: प्रदीपनम्।
महापापहरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम्।।
तं सूर्य जगतां नाथं ज्ञानविज्ञानमोक्षदम्।
महापापहरं देवं तं सूर्यं प्रणामाम्यहम्।।


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