Narak Chaturdashi 2023: नरक चतुर्दशी आज, कैसे करें यमराज को दीपदान? जानें पूजा विधि, शुभ मुहूर्त-योग और कथा

Kab hai Narak Chaturdashi 2023: दीपावली उत्सव के दूसरे दिन नरक चतुर्दशी का पर्व मनाया जाता है। इसे रूप चतुर्दशी और छोटी दिवाली भी कहते हैं। इस पर्व से अनेक मान्यताएं और परंपराएं जुड़ी हुई हैं।

 

Manish Meharele | Published : Nov 7, 2023 5:39 AM IST / Updated: Nov 11 2023, 08:05 AM IST

Choti Diwali 2023 Kab hai: धर्म ग्रंथों के अनुसार, कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को नरक चतुर्दशी इसे काली चौदस, रूप चतुर्दशी और छोटी दिवाली के नाम से भी जाना जाता है। नरक चतुर्दशी से अनेक मान्यताएं और परंपराएं जुड़ी हुई हैं, जो इसे और भी खास बनाती हैं। इस बार नरक चतुर्दशी पर कईं शुभ योग बन रहे हैं। आगे जानिए इस बार कब है नरक चतुर्दशी, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि सहित पूरी डिटेल…

कब है नरक चतुर्दशी 2023? (Narak Chaturdashi 2023 Date)
पंचांग के अनुसार, इस बार कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि 11 नवंबर, शनिवार की दोपहर 01:58 से 12 नवंबर, रविवार की दोपहर 02:45 तक रहेगी। चूंकि चतुर्दशी तिथि पर पूजा शाम को की जाती है और ये स्थिति 11 नवंबर, शनिवार को बन रही है तो इसी दिन नरक चतुर्दशी का पर्व मनाया जाएगा।

नरक चतुर्दशी 2023 के शुभ मुहूर्त-योग (Narak Chaturdashi 2023 Shubh Yog)
ज्योतिषियों के अनुसार, इस बार नरक चतुर्दशी पर ग्रह-नक्षत्रों के संयोग से प्रीति और सर्वार्थसिद्धि नाम के 2 शुभ योग बन रहे हैं। ये दिन व्हीकल और मशीनरी की खरीदी के लिए विशेष शुभ रहेगा। शाम को पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 05.29 से रात 08.07 तक रहेगा।

इस विधि से करें दीपदान (Narak Chaturdashi 2023 Puja Vidhi)
नरक चतुर्दशी की शाम को यमराज के निमित्त दीपदान करने का विधान है। इसके लिए ऊपर बताए गए शुभ मुहूर्त में दक्षिण दिशा की ओर मुख करके तिल के तेल का दीपक जलाएं और ये मंत्र बोलें। ऐसा करने से साल भर के पाप नष्ट हो जाते हैं-
- ऊं यमाय नम:
- ऊं धर्मराजाय नम:
- ऊं मृत्यवे नम:
- ऊं अन्तकाय नम:
- ऊं वैवस्वताय नम:
- ऊं कालाय नम:
- ऊं सर्वभूतक्षयाय नम:
- ऊं औदुम्बराय नम:
- ऊं दध्राय नम:
- ऊं नीलाय नम:
- ऊं परमेष्ठिने नम:
- ऊं वृकोदराय नम:
- ऊं चित्राय नम:
- ऊं चित्रगुप्ताय नम:।

क्यों मनाते हैं नरक चतुर्दशी? (Narak Chaturdashi Ki Katha)
धर्म ग्रंथों के अनुसार, बलि नाम का एक पराक्रमी राक्षसों का राजा था। वह 100 यज्ञ पूर्ण कर स्वर्ग पर अधिकार करना चाहता था। तब भगवान विष्णु वामन अवतार लेकर उसके पास गए और उससे तीन पग धरती दान में मांग ली। बलि ने दान देना स्वीकार किया। तब भगवान वामन ने विशाल रूप धारण कर तीनो लोकों पर अधिकार कर लिया। तब राजा बलि ने उनसे प्रार्थना की ‘आपने कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी से लेकर अमावस्या की अवधि में मेरा संपूर्ण राज्य नाप लिया। इसलिए जो व्यक्ति चतुर्दशी पर यमराज के लिए दीपदान करे, उसे यम यातना नहीं होनी चाहिए। भगवान वामन ने बलि की ये प्रार्थना स्वीकार कर ली। तभी से नरक चतुर्दशी पर यमराज के निमित्त दीपदान करने की परंपरा चली आ रही है।


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Disclaimer : इस आर्टिकल में जो भी जानकारी दी गई है, वो ज्योतिषियों, पंचांग, धर्म ग्रंथों और मान्यताओं पर आधारित हैं। इन जानकारियों को आप तक पहुंचाने का हम सिर्फ एक माध्यम हैं। यूजर्स से निवेदन है कि वो इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।

 

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