Putrada Ekadashi 2024 Puja Vidhi: सावन में पुत्रदा एकादशी का व्रत किया जाता है। इस एकादशी का महत्व अनेक धर्म ग्रंथों में बताया गया है। इस बार पुत्रदा एकादशी पर कईं शुभ योग बन रहे हैं, जिससे इसका महत्व और भी बढ़ गया है।
Putrada Ekadashi 2024 Details: धर्म ग्रंथों के अनुसार, श्रावण (सावन) मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को पुत्रदा एकादशी कहते हैं। मान्यता है कि इस एकादशी पर भगवान विष्णु की पूजा करने से योग्य संतान की प्राप्ति होती है। इस बार पुत्रदा एकादशी का व्रत अगस्त 2024 में किया जाएगा। इस दिन कईं शुभ योग भी बन रहे हैं, जिसके इस व्रत का महत्व और भी बढ़ गया है। आगे जानिए कब करें पुत्रदा एकादशी व्रत, पूजा विधि, शुभ मुहूर्त आदि की डिटेल…
कब है पुत्रदा एकादशी 2024? (kab Hai Putrda Ekadashi 2024)
पंचांग के अनुसार, श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 15 अगस्त, बुधवार की सुबह 10 बजकर 27 मिनिट से शुरू होगी, जो अगले दिन यानी 16 अगस्त, गुरुवार की सुबह 09 बजकर 39 मिनिट तक रहेगी। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. प्रवीण द्विवेदी के अनुसार, चूंकि एकादशी तिथि का सूर्योदय 16 अगस्त, गुरुवार को होगा, इसलिए इसी दिन पुत्रदा एकादशी का व्रत किया जाएगा।
पुत्रदा एकादशी 2024 शुभ मुहूर्त-योग (Putrada Ekadashi 2024 Shubh Muhurat-Yog)
16 अगस्त, गुरुवार को ग्रह-नक्षत्रों के संयोग से सुस्थिर, वर्धमान, प्रीति आदि शुभ योग बनेंगे। इस दिन सूर्य राशि बदलकर अपनी स्वराशि सिंह में प्रवेश करेगा। ये स्थिति भी शुभ फल देने वाली रहेगी। इस दिन वरलक्ष्मी व्रत भी किया जाएगा। पूजा के शुभ मुहूर्त इस प्रकार हैं-
- सुबह 06:07 से 07:43 तक
- सुबह 07:43 से 09:19 तक
- दोपहर 12:31 से 02:06 तक
- शाम 05:18 से 16:54 तक
पुत्रदा एकादशी की पूजा विधि (Putrada Ekadashi Puja Vidhi)
- 16 अगस्त, गुरुवार की सुबह स्नान आदि करने के बाद व्रत-पूजा का संकल्प लें।
- शुभ मुहूत में भगवान विष्णु की प्रतिमा घर में किसी साफ स्थान पर स्थापित करें।
- भगवान विष्णु को तिलक लगाएं, फूलों की माला पहनाएं। शुद्ध घी का दीपक जलाएं।
- एक-एक करके चावल, फूल, अबीर, गुलाल, आदि चीजें चढ़ाएं। पीले वस्त्र अर्पित करें।
- मौसमी फल, खीर का भोग लगाएं। अंत में आरती करें और प्रसाद भक्तों में बांट दें।
- दिन भर व्रत के नियमों का पालन करें। रात को सोएं नहीं, भजन-कीर्तन करें।
- अगली सुबह ब्राह्मणों को भोजन करवाएं, दान-दक्षिणा देने के बाद स्वयं भोजन करें।
- इस तरह जो व्यक्ति पुत्रदा एकादशी का व्रत करता है उसे योग्य संतान मिलती है।
ये है पुत्रदा एकादशी की कथा (Putrada Ekadashi 2022 Katha)
प्रचलित कथा के अनुसार, किसी समय सुकेतुमान नाम के एक दयावान राजा थे। उनके राज्य में सभी सुखी थे, लेकिन उनकी कोई संतान नहीं थी। एक बार वे इस बात पर इतने विचलित हो गए कि जंगल में चले गए। वहां उन्हें एक ऋषि मिले। राजा ने उन्हें अपनी समस्या के बारे में बताया। ऋषि ने राजा को श्रावण मास में आने वाले पुत्रदा एकादशी का व्रत रखने को कहा। राजा ने ये व्रत पूरी भक्ति और निष्ठा से किया, जिससे उन्हें यहां योग्य पुत्र हुआ।
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