कल्कि जयंती 10 अगस्त को, कैसे करें पूजा? जानें आरती, मुहूर्त और रोचक बातें

Kalki Jayanti 2024 Kab Hai: हर साल सावन मास में भगवान कल्कि की जयंती मनाई जाती है। इस बार ये पर्व अगस्त 2024 में मनाया जाएगा। खास बात ये है कि भगवान विष्णु को कल्कि अवतार लेने में अभी हजारों साल बाकी है।

 

Manish Meharele | Published : Aug 8, 2024 9:32 AM IST / Updated: Aug 10 2024, 08:35 AM IST

Kalki Jayanti Puja Vidhi: धर्म ग्रंथों में भगवान विष्णु के अनेक अवतारों के बारे में बताया गया है, कल्कि अवतार भी इनमें से एक है। भगवान विष्णु का ये अवतार कलयुग के अंत में आएगा और दुनिया से अधर्म का नाश कर धर्म की स्थापना करेगा। ये अवतार कहां अवतार लेगा, इसके बारे में ग्रंथों में लिखा है। हर साल सावन में कल्कि जयंती का पर्व मनाय जाता है। आगे जानिए इस बार कब है कल्कि जयंती, पूजा विधि, शुभ मुहूर्त, आरती आदि की डिटेल…

कब है कल्कि जयंती 2024-शुभ मुहूर्त? (Kalki Jayanti 2024 Date-Shubh Muhurat)
ग्रंथों के अनुसार, भगवान कल्कि की जयंती श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाई जाती है। इस बार ये तिथि 10 अगस्त, शनिवार को है। इसलिए इसी दिन भगवान कल्कि की जयंती मनाई जाएगी। इस दिन साध्य, शुभ और सिद्धि नाम के 3 शुभ योग रहेंगे। 10 अगस्त को पूजा के शुभ मुहूर्त इस प्रकार हैं-
- सुबह 07:42 से 09:18 तक
- दोपहर 12:32 से 02:08 तक
- दोपहर 12:06 से 12:57 तक
- दोपहर 03:45 से शाम 05:22 तक

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भगवान कल्कि की पूजा विधि (Kalki Jayanti Puja Vidhi )
- 10 अगस्त, शनिवार की सुबह सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करें और हाथ में जल-चावल और फूल लेकर व्रत-पूजा का संकल्प लें।
- इसके बाद भगवान विष्णु (कल्कि की प्रतिमा न हो तो) की प्रतिमा का जल से अभिषेक करें। कुंकुम से तिलक करें।
- शुद्ध घी का दीपक जलाएं। फूलों की माला पहनाएं। अबीर, गुलाल, रोली, चावल आदि चीजें एक-एक करके चढ़ाएं।
- इस तरह भगवान को भोग लगाएं और आरती करें। प्रसाद भक्तों में बांट टें और अपनी कामना भगवान से कहें।
- इस प्रकार भगवान कल्कि की पूजा विधि-विधान से करने पर घर में सुख-समृद्धि और शांति बनी रहती है।

भगवान कल्कि की आरती (Bhagwan Kalki Aarti)
ॐ जय जय सुर रक्षक असुर विनाशक,
पद्मावत के प्यारे॥
जय जय श्री कल्कि भक्त हितकारी,
दुष्टन मारन हारे॥
जय जय खड्गधारी जय असुरारी,
गऊ विप्रन के रखवारे॥
क्षीर सागरवासी जय अविनाशी,
भूमि भार उतारन हारे॥
अलख निरंजन भव भय भंजन,
जय संभल सरकारे॥
भक्त जानो के पालनकर्ता,
जय गउन रखवारे॥
जय जयकार करत सब भक्तजन,
सुनिए प्राण प्यारे॥
वेगहि सुधि लेना मेरे स्वामी,
हम सब दास पुकारे॥
ॐ जय जय कल्कि भगवान
ॐ जय जय कल्कि भगवान
बार बरोबर बाढ़ है,
तापर चलत ब्यार॥
श्री कल्कि पार उतारिये,
अपनी और निहार॥


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Disclaimer
इस आर्टिकल में जो भी जानकारी दी गई है, वो ज्योतिषियों, पंचांग, धर्म ग्रंथों और मान्यताओं पर आधारित हैं। इन जानकारियों को आप तक पहुंचाने का हम सिर्फ एक माध्यम हैं। यूजर्स से निवेदन है कि वो इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।

 

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