Vinayak Chaturthi May 2024: भगवान श्रीगणेश को प्रसन्न करने के लिए हर महीने में विनायकी चतुर्थी व्रत किया जाता है। इस व्रत को करने से घर-परिवार में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है।
Kab Hai Vinayaka Chaturthi May 2024: हर महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को भगवान श्रीगणेश को प्रसन्न करने के लिए व्रत किया जाता है, इसे विनायकी चतुर्थी कहते हैं। मान्यता है कि ये व्रत करने से घर-परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है और आने वाले संकट भी टल जाते हैं। आगे जानिए इस बार कब है वैशाख मास की विनायकी चतुर्थी, पूजा विधि, शुभ मुहूर्त आदि पूरी डिटेल…
कब है वैशाख मास की विनायकी चतुर्थी? (Vinayaka Chaturthi May 2024 Kab hai)
पंचांग के अनुसार, वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि 10 मई, शुक्रवार की रात 02:50 से शुरू होगी, जो अगले दिन यानी 11 मई, शनिवरा की रात 02:04 तक रहेगी। चूंकि चतुर्थी तिथि का सूर्य व चंद्रमा उदय 11 मई को होगा, इसलिए इस दिन वैशाख मास की विनायकी चतुर्थी का व्रत किया जाएगा। इस दिन सुकर्मा और धृति नाम के 2 शुभ योग भी रहेंगे, जिससे इस व्रत का महत्व और भी बढ़ गया है।
ये हैं वैशाख विनायकी चतुर्थी के शुभ मुहूर्त (Vinayaka Chaturthi May 2024 Shubh Muhurat)
शुभ- सुबह 07:29 से 09:07 तक
चर-दोपहर 12:23 से 14:01 तक
लाभ- दोपहर 02:01 से 03:39 तक
अमृत- दोपहर 03:39 से शाम 05:17 तक
इस विधि से करें विनायकी चतुर्थी व्रत-पूजा (Vinayaki Chaturthi Puja Vidhi)
- 11 मई, शनिवार की सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद हाथ में जल-चावल लेकर व्रत-पूजा का संकल्प लें। दिन भर व्रत के नियमों का पालन करें, यानी कम बोलें और सिर्फ एक समय फलाहार करें।
- कोई भी काम करते समय ऊं गं गणेशाय नम: मंत्र का जाप करें। ऊपर बताए गए किसी भी शुभ मुहूर्त में भगवान श्रीगणेश की प्रतिमा या चित्र घर के किसी साफ स्थान पर एक बाजोट के ऊपर स्थापित करें।
- सबसे पहले श्रीगणेश को तिलक लगाएं और फूलों की माला पहनाएं। इसके बाद शुद्ध घी का दीपक जलाएं। दूर्वा, अबीर, गुलाल, चावल रोली, हल्दी आदि चीजें चढ़ाएं। अंत में भोग लगाएं और भगवान की आरती करें।
- आरती के बाद प्रसाद भक्तों में बांट दें। संभव हो तो मंत्र जाप भी कर सकते हैं। इस प्रकार जो व्यक्ति विनायकी चतुर्थी का व्रत करता है, उसके सभी काम पूरे होते हैं और घर-परिवार में सुख-शांति बनी रहती है।
भगवान श्रीगणेश की आरती (Lord Ganesha Aarti)
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी ।
माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
पान चढ़े फल चढ़े, और चढ़े मेवा ।
लड्डुअन का भोग लगे, संत करें सेवा ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया ।
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
'सूर' श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी ।
कामना को पूर्ण करो, जाऊं बलिहारी ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
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