Hal Shashthi 2025: 14 अगस्त को करें हल षष्ठी व्रत, जानें पूजा विधि, मुहूर्त और कथा

Published : Aug 12, 2025, 03:16 PM IST

Hal Shashthi 2025 Date: भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि को हल षष्ठी का पर्व मनाया जाता है। इसे हलछठ, उपछठ भी कहते हैं। इस दिन गाय के दूध से बनी चीजें खाने की मनाही होती है जैसे दही, मक्खन आदि।

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जानें हल षष्ठी व्रत 2025 से जुड़ी हर बात

Hal Shashthi Vart 2025 Kab Hai: भाद्रपद मास अनेक व्रत-त्योहार मनाए जाते हैं। हल षष्ठी भी इनमें से एक है। इस दिन महिलाएं अपनी संतान की लंबी और अच्छी सेहत के लिए व्रत व पूजा करती हैं। इस दिन गाय के दूध से बनी चीजें जैसे दही, मक्खन, पनीर आदि खाने की मनाही है। धर्म ग्रंथों के अनुसार, द्वापर युग में इसी तिथि पर भगवान शेषनाग ने श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलराम के रूप में अवतार लिया था। आगे जानिए इस बार कब करें हल षष्ठी व्रत, शुभ मुहूर्त व रोचक कथा आदि डिटेल…

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कब करें हल षष्ठी व्रत 2025?

पंचांग के अनुसार, इस बार भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि 14 अगस्त, गुरुवार की सुबह 04 बजकर 23 मिनिट से शुरू होगी जो 15 अगस्त की रात 02 बजकर 07 मिनिट तक रहेगी। चूंकि षष्ठी तिथि का सूर्योदय 14 अगस्त को होगा, इसलिए इसलिए इसी दिन ये व्रत किया जाएगा। इस दिन सर्वार्थसिद्धि, मानस और मित्र नाम के 3 शुभ योग बनेंगे।


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हल षष्ठी 2025 शुभ मुहूर्त

सुबह 10:55 से दोपहर 12:31 तक
दोपहर 12:05 से 12:57 तक (अभिजीत मुहूर्त)
दोपहर 12:31 से 02:07 तक
दोपहर 02:07 से 03:43 तक

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हल षष्ठी व्रत-पूजा विधि

- हल षष्ठी की सुबह जल्दी उठकर स्नान करने के बाद हाथ में जल, चावल और फूल लेकर व्रत-पूजा का संकल्प लें। इस व्रत में कुछ भी खाते-पीते नहीं हैं। अगर ऐसा करना संभव न हो तो फलाहार कर सकते हैं।
- ऊपर बताए गए किसी भी शुभ मुहूर्त में गाय के गोबर से छठ माता का चित्र बनाएं। छठ माता की पूजा से पहले भगवान श्रीगणेश और माता पार्वती की पूजा करें। इसके बाद छठ माता को पूजें।
- छठ माता के गीत गाएं और आरती करें। जो महिलाएं इस दिन हल षष्ठी की पूजा करें, उनके लिए इस व्रत की कथा सुनना भी जरूरी है। कथा सुने बिना व्रत का पूरा फल नहीं मिलता।
- कुछ स्थानों पर इस दिन खेत जोतने के हल की पूजा भी की जाती है। क्योंकि इसी दिन भगवान शेषनाग ने बलराम के रूप में अवतार लिया थ। भगवान बलराम का मुख्य शस्त्र हल ही था।
- हल षष्ठी के व्रत में गाय के दूध व उससे बनी चीजें खाने की मनाही है। साथ ही इस व्रत में बिना हल चले धरती का अन्न व शाक भाजी खाने का विशेष महत्व है जैसे मोरधन, आलू आदि।

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हल षष्ठी व्रत की कथा

- किसी गांव में एक महिला गाय का दूध-दही बेचकर अपना जीवन गुजारती थी। एक दिन गर्भवती अवस्था में ही वह दूध बेचने जा रही थी, तभी रास्ते में उसे प्रसव पीड़ा हुई और उसने एक पेड़ के पुत्र को जन्म दिया।
- कुछ देर बाद महिला को ध्यान आया कि दूध समय पर नहीं बेचा गया तो वो खराब हो सकता है। ये सोचकर उसने नवजात शिशु को पेड़ के नीचे सुलाया और दूध बेचने गांव चली गई।
- उस दिन हलछठ का व्रत था, जिसमें गाय का दूध निषेध रहता है लेकिन फिर भी महिला ने झूठ बोलकर गाय का दूध भैंस का बता कर बेच दिया। ऐसा करने से उसके नवजात शिशु की मृत्यु हो गई।
- महिला ने लौटकर अपने शिशु को मृत पाया तो अपनी गलती का अहसास हुआ। उसने छठ माता से माफी मांगी, जिससे उसका पुत्र पुन: जीवित हो गया। इसलिए पुत्र की लंबी आयु के लिए ये व्रत किया जाता है।


Disclaimer
इस आर्टिकल में जो जानकारी है, वो धर्म ग्रंथों, विद्वानों और ज्योतिषियों से ली गईं हैं। हम सिर्फ इस जानकारी को आप तक पहुंचाने का एक माध्यम हैं। यूजर्स इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।

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