Published : Aug 11, 2025, 09:20 AM ISTUpdated : Aug 12, 2025, 08:05 AM IST
Kajri Teej 2025 Date: हर साल भाद्रपद मास में कजरी तीज का पर्व मनाया जाता है। इस दिन कुंवारी लड़कियां मनपसंद जीवनसाथी के लिए और विवाहित महिलाएं सुखी मैरिड लाइफ के लिए महादेव और देवी पार्वती की पूजा करती हैं। जानें इस बार कजरी तीज कब है?
Kajri Teej 2025 Kab Hai: धर्म ग्रंथों के अनुसार, भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को कजरी तीज का पर्व मनाया जाता है। इस दिन कुंवारी लड़कियां मनपसंद जीवन साथी पाने की कामना से शिवजी और देवी पार्वती की पूजा विशेष रूप से करती हैं, वहीं विवाहित महिलाएं सुखी वैवाहिक जीवन के लिए। कजरी तीज को बूढ़ी तीज, सतवा तीज आदि नामों से भी जाना जाता है। कुंवारी लड़कियों को इस पर्व का विशेष रूप से इंतजार रहता है। जानें इस बार कब है कजरी तीज…
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कब है कजरी तीज 2025?
पंचांग के अनुसार, इस बार भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि 11 अगस्त, सोमवार की सुबह 11 बजकर 34 मिनिट से शुरू होगी, जो 12 अगस्त, मंगलवार की सुबह 08 बजकर 41 मिनिट तक रहेगी। चूंकि तृतीया तिथि का सूर्योदय 12 अगस्त को होगा, इसलिए इसी दिन कजरी तीज का व्रत किया जाएगा।
सुबह 09:18 से 10:55 तक सुबह 10:55 से दोपहर 12:31 तक दोपहर 12:06 से 12:57 तक दोपहर 12:31 से 02:08 तक दोपहर 03:44 से शाम 05:21 तक
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कजरी तीज पूजा विधि
- 12 अगस्त, मंगलवार की सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद व्रत-पूजा का संकल्प लें। ऊपर बताए गए किसी भी शुभ मुहूर्त में पूजा शुरू करें। - घर में साफ स्थान पर लकड़ की चौकी पर शिव-पार्वती की मूर्ति स्थापित करें। कुमकुम से देवी-देवता को तिलक लगाएं। फूलों की माला पहनाएं। - इसके बाद शुद्ध घी का दीपक लगाएं। महादेव को धतूरा, बिल्व पत्र, फल, भांग, फूल, फल, चावल, रोली, अबीर आदि चीजें एक-एक करके अर्पित करें। - देवी पार्वती को सुहाग की सामग्री जैसे- लाल चुनरी, चूड़ी, सिंदूर, मेहंदी आदि चीजें भेंट करें। पूजा के बाद कजरी तीज की कथा पढ़ें या सुनें। - अंत में आरती करें। इस व्रत को करने से कुंवारी कन्याओं को मनचाहा जीवनसाथी मिलता है और गृहस्थ महिलाओं के जीवन में खुशहाली बनी रहती है।
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कजरी तीज की कथा (Kajari Teej Katha)
कजरी तीज की एक प्रचलित कथा है, उसके अनुसार, ‘किसी गांव में एक निर्धन ब्राह्मण रहता था। उसकी पत्नी कजरी तीज का व्रत करना चाहती थी। भगवान को भोग लगाने के लिए ब्राह्मण की पत्नी ने उसे सत्तू लाने को कहा। पैसे न होने के कारण ब्राह्मण ने चोरी करने की योजना बनाई और रात में वह एक दुकान में घुसकर सत्तू चुराने लगा। तभी दुकानदार ने उसे पकड़ लिया। ब्राह्मण ने उसे सारी बात सच-सच बता दी। पूरी बात जानकर दुकानदार खुद सत्तू लेकर ब्राह्मण के घर गया। भगवान के प्रति आस्था देखकर दुकानदार ने ब्राह्मण की पत्नी को अपनी बहन बना लिया और खून धन भी दिया।’
Disclaimer इस आर्टिकल में जो जानकारी है, वो धर्म ग्रंथों, विद्वानों और ज्योतिषियों से ली गईं हैं। हम सिर्फ इस जानकारी को आप तक पहुंचाने का एक माध्यम हैं। यूजर्स इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।