Kamika Ekadashi Vrat Katha: कामिका एकादशी पर जरूर सुनें ये कथा, इसके बिना नहीं मिलेगा व्रत का पूरा फल

Published : Jul 13, 2023, 08:43 AM IST
kamika ekadashi vrat katha

सार

Kamika Ekadashi Vrat Katha: हिंदू धर्म में एकादशी का विशेष महत्व है। ये व्रत प्रत्येक महीने के दोनों पक्षों को किया जाता है। इस तरह साल में 24 एकादशी व्रत किया जाते हैं। इस बार कामिका एकादशी का व्रत 13 जुलाई, गुरुवार को किया जाएगा। 

उज्जैन. ग्रंथों के अनुसार, एकादशी तिथि के स्वामी भगवान विष्णु है, इसलिए प्रत्येक एकादशी तिथि (Kamika Ekadashi On 13 July) पर भगवान विष्णु के निमित्त व्रत और पूजा की जाती है। सावन के कृष्ण पक्ष की एकादशी को कामिका एकादशी कहा जाता है। इस बार ये एकादशी 13 जुलाई, गुरुवार को है। इस व्रत की कथा भी अन्य एकादशियों से भिन्न है। कहते हैं कि इस व्रत की कथा स्वयं नारदजी गंगापुत्र भीष्म को सुनाई थी। जानें क्या है कामिका एकादशी की ये कथा…

ये हैं कामिका एकादशी व्रत की कथा (Kamika Ekadashi Vrat Katha)
- पौराणिक कथा के अनुसार, किसी समय एक गांव में बहुत ही पराक्रमी क्षत्रिय युवक रहता था। एक दिन पास ही रहने वाले एक ब्राह्मण से उसका विवाद हो गया। विवाद इतना बढ़ा कि दोनों में हाथापाई होने लगी। इसी हाथापाई में ब्राह्मण की मृत्यु हो गई।
- ब्राह्मण की मृत्यु होने पर क्षत्रिय को अपने किए पर पश्चाताप होने लगा। तब उसने स्वयं ही ब्राह्मण का दाह संस्कार करने का विचार किया, लेकिन अन्य ब्राह्मणों ने उसे ऐसा करने से रोक दिया और कहा कि “तुम पर ब्रह्म हत्या का दोष है। पहले तुम्हें इस पाप से मुक्ति पानी होगी।”
- क्षत्रिय ने ब्राह्मणों से इसका उपाय पूछा तो उन्होंने बताया कि “तुम श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी पर सच्चे मन में भगवान विष्णु की पूजा और व्रत करो, साथ ही ब्राह्मणों को भोजन कराके दक्षिणा विधि पूर्वक पारणा करो। इससे तुम ब्रह्म हत्या के पाप से मुक्त हो जाओगे।”
- जैसा उपाय ब्राह्मणों ने क्षत्रिय युवक को बताया था, उसने ठीक वैसा ही किया। तब भगवान विष्णु ने उस क्षत्रिय को दर्शन दिए और उससे कहा कि तुम्हें ब्राह्मण हत्या से मुक्ति मिल गई है। कहते हैं कि जो भी व्यक्ति विधि पूर्वक कामिका एकादशी का व्रत करता है उसे ब्रह्म हत्या जैसे बड़े से बड़े पाप से मुक्ति मिल जाती है।


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