Sawan Puja Vidhi: सावन में नहीं है ज्यादा समय तो इन 5 स्टेप्स में फटाफट करें शिव पूजा, बनी रहेगी महादेव की कृपा

Published : Jul 02, 2023, 05:24 PM IST
shiv puja in sawan 2023

सार

Sawan Puja Vidhi: सावन भगवान शिव का प्रिय मास है। ये हिंदू पंचांग का पांचवां महीना है। इस बार सावन मास 4 जुलाई से शुरू होकर 31 अगस्त तक रहेगा। इस महीने में की गई शिव पूजा बहुत शुभ फल देने वाली मानी गई है। 

उज्जैन. हिंदू पंचांग का पांचवां महीना सावन है। ये महीना शिव पूजा के लिए बहुत शुभ माना गया है। मान्यता है कि सावन (Sawan Puja Vidhi) में शिव पूजा का फल कई गुना होकर मिलता है। वैसे तो शिवजी सिर्फ एक लोटा जल चढ़ाने से भी प्रसन्न हो जाते हैं लेकिन सावन में यदि रोज छोटी-सी विधि से शिवजी की पूजा की जाए तो हर परेशानी दूर हो सकती है। जिन लोगों के पास अधिक समय न हो वे भी कम समय में शिव पूजा कर सकते हैं। आगे जानिए कम समय में कैसे करें शिव पूजा…

शिव पूजा में उपयोग होने वाली सामग्री (Shiv Puja Samgri List)
गाय का कच्चा दूध, कपूर, धूप, दीप, फूल, फल, शुद्ध घी, शहद, पवित्र जल, इत्र, गंध रोली, मौली, जनेऊ, मिठाई, बिल्वपत्र, धतूरा, भांग, बेर आदि

5 स्टेप्स में करें शिवजी की पूजा (Sawan shiv Puja Vidhi)
1. सावन के पहले दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद हाथ में जल, चावल और फूलकर व्रत-पूजा का संकल्प लें।
2. इसके बाद घर में ही या किसी शिव मंदिर में जाकर शिवलिंग का साफ पानी जल से अभिषेक करें।
3. इसके बाद गाय के दूध से अभिषेक कर फिर से साफ जल चढ़ाएं। दीपक और धूप जलाएं।
4. इसके बाद एक-एक करके इत्र, गंध, रोली, मौली, जनेऊ, बिल्वपत्र, धतूरा, भांग, बेर आदि चीजें चढ़ाएं।
5. अंत में अपनी इच्छा अनुसार भोग लगाकर आरती करें। सावन में रोज इस विधि से शिव पूजा करें।

शिवजी की आरती (Shivji Ki Aarti)
ॐ जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा।
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
एकानन चतुरानन पञ्चानन राजे।
हंसासन गरूड़ासन वृषवाहन साजे॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
दो भुज चार चतुर्भुज दसभुज अति सोहे।
त्रिगुण रूप निरखते त्रिभुवन जन मोहे॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
अक्षमाला वनमाला मुण्डमाला धारी।
त्रिपुरारी कंसारी कर माला धारी॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे।
सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
कर के मध्य कमण्डलु चक्र त्रिशूलधारी।
सुखकारी दुखहारी जगपालन कारी॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका।
मधु-कैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
लक्ष्मी व सावित्री पार्वती संगा।
पार्वती अर्द्धांगी, शिवलहरी गंगा॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
पर्वत सोहैं पार्वती, शंकर कैलासा।
भांग धतूर का भोजन, भस्मी में वासा॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
जटा में गंग बहत है, गल मुण्डन माला।
शेष नाग लिपटावत, ओढ़त मृगछाला॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
काशी में विराजे विश्वनाथ, नन्दी ब्रह्मचारी।
नित उठ दर्शन पावत, महिमा अति भारी॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
त्रिगुणस्वामी जी की आरति जो कोइ नर गावे।
कहत शिवानन्द स्वामी, मनवान्छित फल पावे॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥


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