Maghi Purnima 2023: कब है माघी पूर्णिमा, क्यों इस तिथि को मानते हैं खास, इस दिन कौन-कौन से शुभ योग बनेंगे?

Maghi Purnima 2023: माघ मास के अंतिम दिन को माघी पूर्णिमा कहा जाता है। इस तिथि का विशेष महत्व धर्म ग्रंथों में बताया गया है। इस दिन दान-पुण्य, पूजा आदि करने से उसका फल कई गुना होकर प्राप्त होता है। इस बार ये तिथि 5 फरवरी, रविवार को है।

 

उज्जैन. हिंदू धर्म में हर महीने का अलग-अलग महत्व बताया गया है। माघ मास (Maghi Purnima 2023) भी इनमें से एक है। ये हिंदू पंचांग का 11वां महीना है। इस महीने के अंतिम दिन जो पूर्णिमा आती है, उसे माघी पूर्णिमा कहते हैं। धर्म ग्रंथों में इस तिथि का विशेष महत्व बताया गया है। इस बार ये तिथि 5 फरवरी, रविवार को है। ये संगम तट पर कल्पवास कर रहे लोगों की तपस्या का अंतिम दिन होता है। इसके बाद कल्पवास मेला समाप्त हो जाता है। आगे जानिए इस बार क्यों खास है माघी पूर्णिमा और इस दिन भगवान विष्णु की पूजा कैसे करें…

ये शुभ योग बनेंगे इस दिन (Maghi Purnima 2023 Shubh Yog)
पंचांग के अनुसार, माघ मास की पूर्णिमा तिथि 4 फरवरी, शनिवार की रात 09:30 से 5 फरवरी, रविवार की रात 11.38 तक रहेगी। चूंकि पूर्णिमा तिथि का सूर्योदय 5 फरवरी को होगा, इसलिए इसी दिन व्रत-पूजा की जाएगी। इस दिन पुष्य नक्षत्र होने से श्रीवत्स नाम का शुभ योग बनेगा। इसके अलावा सर्वार्थसिद्धि और रवियोग भी इस दिन रहेंगे। इन शुभ योगों के चलते इस तिथि का महत्व और भी बढ़ जाएगा।

Latest Videos

इस विधि से करें व्रत और पूजा (Maghi Purnima Puja Vidhi)
- धर्म ग्रंथों के अनुसार, माघी पूर्णिमा पर भगवान विष्णु गंगाजल में निवास करते हैं। इस दिन सुबह उठकर पवित्र नदी में स्नान करें और फिर भगवान विष्णु की पूजा विधि-विधान से करें।
- सबसे पहले उनके चित्र या प्रतिमा के आगे शुद्ध घी का दीपक जलाएं। फूल माला पहनाएं। तिलक लगाएं और एक-एक करके अबीर, गुलाल, रोली आदि चीजें चढ़ाते रहें। अंत में भोग लगाएं और आरती करें।
- इस तरह भगवान विष्णु की पूजा करने के बाद पितरों का श्राद्ध कर गरीबों को भोजन, वस्त्र, तिल, कंबल, कपास, गुड़, घी, जूते, फल, अन्न आदि का दान करें। इस दिन संयमपूर्वक आचरण कर व्रत करें।
- धर्म ग्रंथों के अनुसार, इस दिन ज्यादा जोर से बोलना या किसी पर क्रोध नहीं करना चाहिए। गृह क्लेश से बचना चाहिए। गरीबों एवं जरुरतमंदों की सहायता करनी चाहिए। ऐसा करने से में जीवन में सुख-शांति बनी रहती है।

इस दिन खत्म होता है कल्पवास
प्राचीन परंपराओं के अनुसार, माघ मास में कल्पवास की परंपरा है। यानी एक महीने तक लोग संगम तट पर कुटिया बनाकर रहते हैं और अनेक कठोर नियमों का पालन करते हैं। माघी पूर्णिमा कल्पवास का अंतिम दिन होता है। इसलिए इस दिन व्रत करने वाले माता गंगा की आरती और पूजा के बाद साधु संन्यासियों और ब्राह्मणों को भोजन कराते हैं। बची हुई सामग्री का दान कर देवी गंगा से फिर बुलाने का निवेदन कर अपने घर जाते हैं।


ये भी पढ़ें-

घर आए मेहमान का जरूर करें आदर-सत्कार, नहीं तो वो हमारी ये मूल्यवान चीज ले जाता है


Shani Ast 2023: 30 जनवरी को अस्त होगा शनि ग्रह, अगले 33 दिन इन 4 राशि वालों पर पड़ेंगे भारी


9 सबसे विषैले पदार्थों से बनी है स्वामी कार्तिकेय की ये प्रतिमा, जानें किस मंदिर हैं है स्थापित?


Disclaimer : इस आर्टिकल में जो भी जानकारी दी गई है, वो ज्योतिषियों, पंचांग, धर्म ग्रंथों और मान्यताओं पर आधारित हैं। इन जानकारियों को आप तक पहुंचाने का हम सिर्फ एक माध्यम हैं। यूजर्स से निवेदन है कि वो इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें। आर्टिकल पर भरोसा करके अगर आप कुछ उपाय या अन्य कोई कार्य करना चाहते हैं तो इसके लिए आप स्वतः जिम्मेदार होंगे। हम इसके लिए उत्तरदायी नहीं होंगे।

 

Share this article
click me!

Latest Videos

LIVE🔴: नेताओं ने पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय डॉ. मनमोहन सिंह जी को अंतिम श्रद्धांजलि अर्पित की।
Manmohan Singh Death News: जुड़े हाथ, भावुक चेहरा... मनमोहन सिंह के अंतिम दर्शन को पहुंचे PM Modi
Manmohan Singh Death News: जब नवजोत सिंह सिद्धू ने मांगी थी मनमोहन सिंह से माफी #Shorts
Manmohan Singh Passed Away: मंनमोहन सिंह के इन कारनामों ने बदली थी भारत की तस्वीर
Manmohan Singh Passed Away: जानें मनमोहन सिंह के बारे में 10 रोचक बातें