- 19 अक्टूबर, रविवार की शाम शुभ मुहूर्त में दक्षिण दिशा की ओर मुख करके यमराज का स्मरण करते हुए जल चढाएं और ये मंत्र बोलें। इसे यम तर्पण कहते हैं।
ऊं यमाय नम:, ऊं धर्मराजाय नम:, ऊं मृत्यवे नम:, ऊं अन्तकाय नम:, ऊं वैवस्वताय नम:, ऊं कालाय नम:, ऊं सर्वभूतक्षयाय नम:, ऊं औदुम्बराय नम:, ऊं दध्राय नम:, ऊं नीलाय नम:, ऊं परमेष्ठिने नम:, ऊं वृकोदराय नम:, ऊं चित्राय नम:, ऊं चित्रगुप्ताय नम:।
- इसके बाद यमराज की प्रसन्नता के लिए दीपदान करें और घर की सुख-समद्धि के लिए प्रार्थना करें।
- अगले दिन यानी 20 अक्टूबर, सोमवार की सुबह शरीर पर तिल के तेल की मालिश करें और सूर्योदय से पहले स्नान करें। इसे अभ्यंग स्नान कहते हैं। स्नान के दौरान ये मंत्र बोलें-
सितालोष्ठसमायुक्तं सकण्टकदलान्वितम्।
हर पापमपामार्ग भ्राम्यमाण: पुन: पुन:।।