Navratri 2024: 7 अक्टूबर को करें देवी स्कंदमाता की पूजा, जानें दिन भर के मुहूर्त

Navratri 2024 Skandmata: शारदीय नवरात्रि की पंचमी तिथि पर देवी स्कंदमाता की पूजा की जाती है। इनकी पूजा से जीवन में सुख-शांति बनी रहती है और मानसिक स्थिति मजबूत होती है।

 

Navratri 2024 Devi Skandmata Puja Vidhi: इस बार शारदीय नवरात्रि का पर्व 3 अक्टूबर, गुरुवार से शुरू हो चुका है, जो 11 अक्टूबर तक रहेगा। नवरात्रि के पांचवें दिन देवी स्कंदमाता की पूजा की जाती है। इस बार ये तिथि 7 अक्टूबर, सोमवार को है। इस दिन कईं शुभ योग भी बनेंगे, जिसके इस दिन का महत्व और भी बढ़ गया है। आगे जानिए देवी स्कंद माता की पूजा विधि, मंत्र, आरती, कथा और महत्व आदि पूरी डिटेल…

7 अक्टूबर, सोमवार 2024 शुभ मुहूर्त (7 October 2024 Shubh Muhurat)
- सुबह 06:24 से 07:52 तक
- सुबह 09:19 से 10:47 तक
- सुबह 11:51 से दोपहर 12:37 तक
- दोपहर 01:42 से 03:09 तक
- शाम 04:37 से 08:04 तक

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इस विधि से करें देवी स्कंदमाता की पूजा (Skandmata Ki Puja Vidhi-Mantra)
- 7 अक्टूबर, सोमवार को स्नान आदि करने के बाद घर का कोई हिस्सा साफ करें और उसे गौमूत्र छिड़ककर पवित्र कर लें।
- यहां एक लकड़ी का पटिया रखकर उसके ऊपर लाल कपड़ा बिछाएं। यहां देवी स्कंदमाता की तस्वीर रखें।
- देवी स्कंदमाता की तस्वीर पर फूलों की माला पहनाएं, कुमकुम से तिलक करें और शुद्ध घी का दीपक लगाएं।
- इसके बाद अबीर, गुलाल, सिंदूर, मेहंदी, हल्दी, चावल आदि चीजें चढ़ाएं। देवी को केले का भोग भी लगाएं।
- नीचे लिखा मंत्र बोलने के बाद आरती करें-
या देवी सर्वभूतेषु स्कंदमाता रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

स्कंदमाता की आरती (Skandmata Ki Aarti)
नाम तुम्हारा आता, सब के मन की जानन हारी।
जग जननी सब की महतारी।।
तेरी ज्योत जलाता रहूं मैं, हरदम तुम्हें ध्याता रहूं मैं।
कई नामों से तुझे पुकारा, मुझे एक है तेरा सहारा।।
कहीं पहाड़ों पर है डेरा, कई शहरो मैं तेरा बसेरा।
हर मंदिर में तेरे नजारे, गुण गाए तेरे भगत प्यारे।
भक्ति अपनी मुझे दिला दो, शक्ति मेरी बिगड़ी बना दो
इंद्र आदि देवता मिल सारे, करे पुकार तुम्हारे द्वारे
दुष्ट दैत्य जब चढ़ कर आए, तुम ही खंडा हाथ उठाए
दास को सदा बचाने आई, चमन की आस पुराने आई।

ये है स्कंदमाता की कथा (Skandmata Ki Katha)
पुराणों के अनुसार, प्राचीन समय में तारकासुर नाम का एक राक्षस था। उसे वरदान था कि उसकी मृत्यु सिर्फ भगवान शिव के पुत्र के हाथों होगी। शिव और देवी पार्वती के पुत्र हुए, जिनका नाम कार्तिकेय रखा गया। कार्तिकेय का एक नाम स्कंद भी है। इनकी माता होने के कारण ही देवी का एक नाम स्कंदमाता पड़ा।


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इस आर्टिकल में जो भी जानकारी दी गई है, वो ज्योतिषियों, पंचांग, धर्म ग्रंथों और मान्यताओं पर आधारित हैं। इन जानकारियों को आप तक पहुंचाने का हम सिर्फ एक माध्यम हैं। यूजर्स से निवेदन है कि वो इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।

 

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