Sharad Purnima 2023: शरद पूर्णिमा पर कब और कैसे करें लक्ष्मी पूजा? जानें विधि, मुहूर्त, मंत्र, कथा और आरती

Sharad Purnima 2023 Puja Vidhi: आश्विन मास की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा करते हैं। इस बार ये तिथि 28 अक्टूबर, शनिवार को है। कुछ धर्म ग्रंथों में इसे कोजागर या कोजागरी पूर्णिमा भी कहा गया है। इस तिथि से जुड़ी कई खास मान्यताएं हैं।

 

Sharad Purnima 2023 Full detail: इस बार 29 अक्टूबर, शनिवार को शरद पूर्णिमा का पर्व मनाया जाएगा। इस दिन देवी लक्ष्मी की पूजा की भी परंपरा है। मान्यता है कि शरद पूर्णिमा की रात देवी लक्ष्मी पृथ्वी पर घूमने आती हैं। इस बार शरद पूर्णिमा की रात चंद्र ग्रहण होगा, इसलिए देवी लक्ष्मी की पूजा कब करें, इस पर लोगों के मन में संशय बना हुआ है। आगे जानिए शरद पूर्णिमा पर लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि…

शरद पूर्णिमा पर कब करें लक्ष्मी पूजा? (Sharad Purnima 2023 Shubh Muhurat)
धर्म ग्रंथों के अनुसार, वैसे तो शरद पूर्णिमा की रात में देवी लक्ष्मी की पूजा का विधान है, लेकिन इस बार चंद्र ग्रहण होने से रात्रि में पूजा करना शास्त्र सम्मत नहीं रहेगा। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार, 28 अक्टूबर, शनिवार को चंद्र ग्रहण का सूतक काल शाम 04.44 से शुरू हो जाएगा, जो रात 02.24 तक रहेगा। ऐसी स्थिति में आप चंद्र ग्रहण का सूतक काल शुरू होने से पहले ही यानी दोपहर 4.44 बजे से पहले ही लक्ष्मी पूजा करना श्रेष्ठ रहेगा।

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शरद पूर्णिमा पर इस विधि से करें पूजा (Sharad Purnima 2023 Puja Vidhi)
- शरद पूर्णिमा पर देवी लक्ष्मी की पूजा से पहले स्नान आदि कर शुद्ध हो जाएं और साफ कपड़े पहन लें। घर में किसी साफ स्थान पर एक बाजोट यानी पटिया स्थापित कर इसके ऊपर देवी लक्ष्मी की प्रतिमा स्थापित करें।
- लक्ष्मी प्रतिमा के सामने शुद्ध घी का दीपक जलाएं। कुमकुम से तिलक कर फूलों की माला पहनाएं। देवी लक्ष्मी को अबीर, गुलाल, रोली, वस्त्र, चावल, सुपारी, पान आदि चीजें एक-एक करके चढ़ाते रहें।
- इसे बाद देवी लक्ष्मी को अपनी इच्छा अनुसार मौसमी फल और मिठाई का भोग लगाएं। घर के प्रमुख स्थानों जैसे दरवाजे के दोनों ओर, किचन में, छत पर, मंदिर में दीपक लगाएं। सबसे अंत में आरती करें।
- रात में सोएं नहीं, देवी लक्ष्मी के मंत्रों का जाप करते रहें। घर के दरवाजे भी बंद न करें और साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें। देवी लक्ष्मी के मंत्र जाप के लिए स्फटिक की माला का उपयोग करें।
- अगली सुबह यानी 29 अक्टूबर, रविवार को पुन: एक बार देवी लक्ष्मी की पूजा करें और ब्राह्मणों को भोजन कराएं। साथ ही कपड़े व दक्षिणा देकर ससम्मान विदा करें। इससे आपके जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहेगी।

ये है देवी लक्ष्मी की आरती (Devi laxmi Ki Aarti)
महालक्ष्मी नमस्तुभ्यं, नमस्तुभ्यं सुरेश्वरि ।
हरि प्रिये नमस्तुभ्यं, नमस्तुभ्यं दयानिधे ॥
पद्मालये नमस्तुभ्यं, नमस्तुभ्यं च सर्वदे ।
सर्वभूत हितार्थाय, वसु सृष्टिं सदा कुरुं ॥

ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता ।
तुमको निसदिन सेवत, हर विष्णु विधाता ॥
उमा, रमा, ब्रम्हाणी, तुम ही जग माता ।
सूर्य चद्रंमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता ॥
॥ॐ जय लक्ष्मी माता...॥

दुर्गा रुप निरंजनि, सुख-संपत्ति दाता ।
जो कोई तुमको ध्याता, ऋद्धि-सिद्धि धन पाता ॥
॥ॐ जय लक्ष्मी माता...॥

तुम ही पाताल निवासनी, तुम ही शुभदाता ।
कर्म-प्रभाव-प्रकाशनी, भव निधि की त्राता ॥
॥ॐ जय लक्ष्मी माता...॥

जिस घर तुम रहती हो, ताँहि में हैं सद्गुण आता ।
सब सभंव हो जाता, मन नहीं घबराता ॥
॥ॐ जय लक्ष्मी माता...॥

तुम बिन यज्ञ ना होता, वस्त्र न कोई पाता ।
खान पान का वैभव, सब तुमसे आता ॥
॥ॐ जय लक्ष्मी माता...॥

शुभ गुण मंदिर सुंदर, क्षीरोदधि जाता ।
रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता ॥
॥ॐ जय लक्ष्मी माता...॥

महालक्ष्मी जी की आरती, जो कोई नर गाता ।
उँर आंनद समाता, पाप उतर जाता ॥
॥ॐ जय लक्ष्मी माता...॥

ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता ।
तुमको निसदिन सेवत, हर विष्णु विधाता ॥

ये है शरद पूर्णिमा की कथा (Sharad Purnima Ki Katha)
प्राचीन समय में मगध देश में वलित नाम का गरीब ब्राह्मण रहता था। उसकी पत्नी उसे हमेशा गरीबी के कारण ताने देती थी, साथ ही पूरे गांव में भी वह अपने पति की बुराई करती थी। ब्राह्मण की पत्नी उसे अक्सर चोरी के लिए उकसाती थी। एक बार जब वह ब्राह्मण श्राद्ध कर रहा था तो पत्नी ने पूजन में रखे सभी पिण्डों को उठाकर कुएं में फेंक दिया। इससे ब्राह्मण काफी दुखी हो गया और जंगल में चला गया। उसे उसे नाग कन्याएं मिलीं। नाग कन्याओं ने उसे बताया कि आज आश्विन मास की पूर्णिमा को तुम रात्रि जागरण कर लक्ष्मी को प्रसन्न करने वाला कोजागर व्रत करो। ब्राह्मण ने ऐसा ही किया, जिसके फलस्वरूप ब्राह्मण को अतुल धन-सम्पत्ति की प्राप्ति हुई। भगवती लक्ष्मी की कृपा से उसकी पत्नी की बुद्धि भी निर्मल हो गई और वे पति-पत्नी सुखपूर्वक रहने लगे।

 

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Disclaimer : इस आर्टिकल में जो भी जानकारी दी गई है, वो ज्योतिषियों, पंचांग, धर्म ग्रंथों और मान्यताओं पर आधारित हैं। इन जानकारियों को आप तक पहुंचाने का हम सिर्फ एक माध्यम हैं। यूजर्स से निवेदन है कि वो इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।

 

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