Shivratri August 2023: 14 अगस्त को दुर्लभ संयोग में करें सावन अधिक मास शिवरात्रि का व्रत, जानें विधि, मंत्र और आरती

Shivratri August 2023: अधिक मास 3 साल में एक बार आता है, इसलिए इस महीने के व्रत-त्योहारों का बहुत ही खास महत्व धर्म ग्रंथों में बताया गया है। वर्तमान में सावन का अधिक मास चल रहा है, जो 19 साल बाद आया है।

 

उज्जैन. धर्म ग्रंथों के अनुसार, प्रत्येक महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मासिक शिवरात्रि (Shivratri August 2023) का व्रत किया जाता है। इस बार सावन अधिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि 14 अगस्त, सोमवार को है। इसी दिन अधिक मास की शिवरात्रि का व्रत किया जाएगा। इस दिन कई शुभ योग बन रहे है, जिसके चलते इसका महत्व और भी बढ़ गया है। आगे जानिए इस दिन कौन-कौन से शुभ योग बनेंगे और पूजा विधि आदि…

मासिक शिवरात्रि पर बनेगा ये दुर्लभ संयोग (Adhik Maas Shivratri 2023 Shubh Yog)
सावन का अधिक मास साल 2004 में आया था, इसके बाद ये 19 साल बाद आया है। यानी सावन अधिक मास की शिवरात्रि का संयोग भी 19 साल बाद बना है। खास बात ये है कि ये संयोग सोमवार को बना है, जो दिन शिवजी को अतिप्रिय है। ऐसा दुर्लभ संयोग सैकड़ों सालों में एक बार बनता है। इस दिन सर्वार्थसिद्धि योग और प्रजापति नाम के अन्य योग भी रहेंगे।

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सावन अधिक मास शिवरात्रि की पूजा विधि (Shiv Chaturdashi Puja Vidhi)
14 अगस्त, सोमवार की सुबह स्नान आदि करने के बाद व्रत-पूजा का संकल्प लें। शिव चतुर्दशी व्रत की पूजा रात्रि में होती है, इसलिए दिन में उपवास रखें और मन में ऊं नम: शिवाय मंत्र का जाप करते रहें। किसी भी तरह का कोई गलत विचार मन में न लाएं। रात में एक बार फिर से नहाएं और शिवजी की पूजा शुरू करें। शुद्ध घी का दीपक और अगरबत्ती लगाएं। शिव के मस्तक पर चंदन का तिलक लगाएं। इसके बाद फूल, बिल्व पत्र, आंकड़े के फूल, धतूरा, आदि चीजें चढ़ाएं। इस दौरान ऊं नम: शिवाय मंत्र का जाप करते रहें। भोग लगाएं और आरती करें। रात में जागरण करें और अगली सुबह व्रत का पारणा करें।

भगवान शिव की आरती (Shiv ji Ki aarti)
जय शिव ओंकारा ॐ जय शिव ओंकारा ।
ब्रह्मा विष्णु सदा शिव अर्द्धांगी धारा ॥
॥ ॐ जय शिव ओंकारा ॥
एकानन चतुरानन पंचानन राजे ।
हंसानन गरुड़ासन वृषवाहन साजे ॥
॥ ॐ जय शिव ओंकारा॥
दो भुज चार चतुर्भुज दस भुज अति सोहे ।
त्रिगुण रूपनिरखता त्रिभुवन जन मोहे ॥
॥ ॐ जय शिव ओंकारा॥
अक्षमाला बनमाला रुण्डमाला धारी।
चंदन मृगमद सोहै भाले शशिधारी ॥
॥ ॐ जय शिव ओंकारा॥
श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे ।
सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे ॥
॥ ॐ जय शिव ओंकारा॥
कर के मध्य कमंडलु चक्र त्रिशूल धर्ता ।
जगकर्ता जगभर्ता जगसंहारकर्ता ॥
॥ ॐ जय शिव ओंकारा॥
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका ।
प्रणवाक्षर मध्ये ये तीनों एका ॥
॥ ॐ जय शिव ओंकारा॥
काशी में विश्वनाथ विराजत नन्दी ब्रह्मचारी ।
नित उठि भोग लगावत महिमा अति भारी ॥
॥ ॐ जय शिव ओंकारा॥
त्रिगुण शिवजीकी आरती जो कोई नर गावे ।
कहत शिवानन्द स्वामी मनवांछित फल पावे ॥
॥ ॐ जय शिव ओंकारा॥


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Disclaimer : इस आर्टिकल में जो भी जानकारी दी गई है, वो ज्योतिषियों, पंचांग, धर्म ग्रंथों और मान्यताओं पर आधारित हैं। इन जानकारियों को आप तक पहुंचाने का हम सिर्फ एक माध्यम हैं। यूजर्स से निवेदन है कि वो इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।

 

 

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