
Vighneshwar Chaturthi Vrat Katha In Hindi: इस बार 23 दिसंबर, मंगलवार को पौष मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि का व्रत किया जा रहा है। इसे विघ्नेश्वर चतुर्थी कहते हैं। इस व्रत का महत्व अनेक धर्म ग्रंथों में बताया गया है। इस व्रत से जुड़ी एक रोचक कथा भी है जो स्वयं अयोध्या के कुलपुरोहित ऋषि वशिष्ठ ने राजा दशरथ को सुनाई थी। इस कथा को सुने बिना विघ्नेश्वर चतुर्थी व्रत का पूरा फल नहीं मिलता। आगे आप भी पढ़िए ये कथा…
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प्राचीन समय में अवन्ती नगरी में सुदंत नाम का एक ब्राह्मण रहता था। वह सभी शास्त्रों में पारंगत था। उसकी पत्नी का नाम विलासिनी था, वह भी अत्यन्त पतिव्रता। सुदंत अवंती के राजा बृहद्रथ का पुरोहित था। राजा को धर्म के अनुसार राज्य चलाने का शिक्षा सुदंत ही देता था। वैसे तो सुदंत के जीवन में कोई परेशानी नहीं थी लेकिन उसकी कोई संतान नहीं थी।
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अनेक उपचार आदि करने के बाद भी जब सुदंत को संतान की प्राप्ति नहीं हुई तो वह अपनी पत्नी के साथ वन में जाकर तपस्या करने लगा। बहुत समय बाद जंगल में महामुनि वामदेव जी आए और उन्होंने सुदन्त से इस तपस्या का कारण पूछा। सुदंत ने उन्हें पूरी बात सच-सच बता दी। वामदेवजी ने सुदंत से कहा ‘संतानहीन व्यक्ति को मृत्यु के बाद मोक्ष नहीं मिलता।’
तब सुदंत ने वामदेवजी ने अपनी परेशानी का कारण पूछा तो उन्होंने बताया कि ‘तुम अवन्ती नरेश बृहद्रथ के पुरोहित थे, इसलिए जाने-अनजाने में उनसे जो पाप हुए, उसका फल तुम्हें भी भोगना पड़ रहा है। यही कारण है कि तुम्हारी कोई संतान नहीं है।’ तब सुदंत ने अपनी समस्या के समाधान के बारे में वामदेवजी से पूछा।
तब वामदेव जी ने कहा ‘तुम भगवान श्रीगणेश के भक्त हो जाओ और उनकी पूजा करो।’ इसके बाद वामदेवजी ने सुदंत को श्रीगणेश का एकाक्षर मंत्र प्रदान किया। वह मंत्र पाकर सुदंत नगर को लौट आया और राजा बृहद्रथ को पूरी बात बताई। राजा ने पूरे राज्य में चतुर्थी व्रत की घोषणा कर दी। इस तरह सभी चतुर्थी तिथि का व्रत करने लगे।
इसके बाद सबसे पहले पौष मास के शुक्लपक्ष की चतुर्थी तिथि आयी। राजा और सुदंत सहित सभी ने उस व्रत का पालन किया। इस व्रत के प्रभाव से सुदन्त की धर्मपत्नी गर्भवती हो गयी और उसने एक सुन्दर व दीर्घायु पुत्र को जन्म दिया। इसके बाद धरती पर सभी लोग शुक्ल व कृष्ण पक्ष की चतुर्थी पर गणेश जी का व्रत करने लगे। उस व्रत के प्रभाव से सभी लोग निरोगी, सुखी रहे लगे। तभी से ये व्रत किया जा रहा है।
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इस आर्टिकल में जो जानकारी है, वो धर्म ग्रंथों, विद्वानों और ज्योतिषियों से ली गईं हैं। हम सिर्फ इस जानकारी को आप तक पहुंचाने का एक माध्यम हैं। यूजर्स इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।