Angarak Chaturthi 2025: साल 2025 के अंतिम महीने दिसंबर में अंगारक चतुर्थी का संयोग बन रहा है। अंगारक चतुर्थी का महत्व अनेक धर्म ग्रंथों मे बताया गया है। इस दिन भगवान श्रीगणेश के साथ-साथ मंगलदेव की पूजा भी की जाती है।
Angarak Chaturthi December 2025: जब किसी महीने की चतुर्थी तिथि का संयोग मंगलवार को होता है तो इसे अंगारक चतुर्थी कहते हैं। साल में 2 या 3 बार ही अंगारक चतुर्थी का संयोग बनता है, इसलिए इसे बहुत ही शुभ मानते हैं। साल 2025 की अंतिम अंगारक चतुर्थी का संयोग इस बार 23 दिसंबर, मंगलवार को बन रहा है। इस दिन भगवान श्रीगणेश के साथ-साथ मंगलदेव की पूजा करना भी शुभ रहेगा। आगे जानिए अंगारक चतुर्थी पर कैसे करें पूजा, कौन-सा मंत्र बोलें और शुभ मुहूर्त की डिटेल…
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अंगारक चतुर्थी दिसंबर 2025 शुभ मुहूर्त
सुबह 09:47 से 11:06 तक
सुबह 11:06 से दोपहर 12:25 तक
दोपहर 12:04 से 12:47 तक (अभिजीत मुहूर्त)
दोपहर 12:25 से 01:45 तक
दोपहर 03:04 से 04:23 तक
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अंगारक चतुर्थी व्रत-पूजा विधि
- 23 दिसंबर, मंगलवार की सुबह जल्दी उठकर स्नान करने के बाद हाथ में जल-चावल लेकर व्रत-पूजा का संकल्प लें। दिन भर व्रत के नियम का पालन करें।
- शुभ मुहूर्त से पहले पूजा की पूरी तैयारी कर लें। पूजन सामग्री को एक स्थान पर एकत्रित करके रख लें। पूजन स्थान को गंगाजल छिड़ककर पवित्र करें।
- शुभ मुहूर्त शुरू होने पर पूजा स्थान पर लकड़ी का पटिया रखकर इसके ऊपर भगवान श्रीगणेश का चित्र या प्रतिमा स्थापित करें। पास में ही दीपक भी जलाएं।
- भगवान की प्रतिमा पर कुमकुम से तिलक करें, फूलों की माला पहनाएं। एक-एक करके दूर्वा, अबीर, गुलाल, चावल रोली, हल्दी, फल, फूल आदि चीजें चढ़ाएं।
- पूजा करते समय ऊं गं गणेशाय नम: मंत्र का जाप भी करें। श्रीगणेश को लड्डू का भोग लगाएं और आरती करें। समय हो तो कुछ देर मंत्र जाप भी करें।
- रात को चंद्रमा उदय होने पर पहले जल से अर्ध्य दें और फूल, चावल आदि चीजें चढ़ाकर पूजा करें। घर के बुजुर्गों के पैर छुएं। इसके बाद स्वयं भोजन करें।
- चतुर्थी तिथि का व्रत महिलाओं के साथ पुरुष भी कर सकते हैं। इस व्रत को करने से जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है। दुखों से छुटकारा मिलता है।
भगवान श्रीगणेश की आरती लिरिक्स हिंदी में
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी ।
माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
पान चढ़े फल चढ़े, और चढ़े मेवा ।
लड्डुअन का भोग लगे, संत करें सेवा ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया ।
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
'सूर' श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी ।
कामना को पूर्ण करो, जाऊं बलिहारी ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
Disclaimer
इस आर्टिकल में जो जानकारी है, वो धर्म ग्रंथों, विद्वानों और ज्योतिषियों से ली गईं हैं। हम सिर्फ इस जानकारी को आप तक पहुंचाने का एक माध्यम हैं। यूजर्स इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।
