Vishwakarma Jayanti 2023: 3 फरवरी को करें भगवान विश्वकर्मा की पूजा, जानें विधि, आरती और महत्व

Vishwakarma Jayanti 2023: इस बार 3 फरवरी, शुक्रवार को विश्वकर्मा जयंती है। इस दिन मशीनों व औजारों की पूजा विशेष रूप से की जाती है। भगवान विश्वकर्मा देवताओं के शिल्पी यानी इंजीनियर कहे जाते हैं। 

 

Manish Meharele | Published : Feb 2, 2023 8:28 AM IST

उज्जैन. अनेक धर्म ग्रंथों में भगवान विश्वकर्मा के बारे में बताया गया है। इन्होंने ने पुष्पक विमान, सोने की लंका, इंद्रप्रस्थ और श्रीकृष्ण की द्वारिक नगरी का निर्माण किया था। विश्वकर्मा जयंती (Vishwakarma Jayanti 2023) की तिथि के संबंध में मतभेद हैं। उत्तर भारत में ये पर्व फरवरी में और दक्षिण भारत में सितंबर में मनाया जाता है। इस बार विश्वकर्मा जयंती का पर्व 3 फरवरी, शुक्रवार को मनाया जाएगा। इस दिन औजारों और मशीन की पूजा भी विशेष रूप से की जाती है। भगवान विश्वकर्मा की पूजा मुख्य रूप से कारीगर जैसे बढ़ाई, मिस्त्री, लोहार आदि करते हैं। आगे जानिए भगवान विश्वकर्मा की पूजा विधि व आरती…

इस विधि से करें भगवान विश्वकर्मा की पूजा (Vishwakarma Puja Vidhi 2023)
- 3 फरवरी की सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद पहले व्रत-पूजा का संकल्प लें। इसके लिए हाथ में थोड़ा जल लें और चावल। अपनी इच्छा अनुसार व्रत-पूजा का संकल्प लेकर, इसे धरती पर छोड़ दें।
- इसके बाद घर में एक साफ स्थान पर भगवान विश्वकर्मा की तस्वीर या मूर्ति स्थापित करें। शुद्ध घी का दीपक जलाएं और फूल माला चढ़ाएं। तिलक लगाएं, इसके बाद अन्य पूजन सामग्री एक-एक करके चढ़ाते जाएं।
- अपनी इच्छा अनुसार भगवान विश्वकर्मा को भोग लगाएं और आरती करें। भगवान विश्वकर्मा की पूजा बाद अपने काम आने वाले औजारों और मशीनों की भी पूजा करें। उन्हें तिलक लगाएं और फूल आदि चढ़ाएं।
- इस प्रकार विधि-विधान से भगवान विश्वकर्मा की पूजा से घर-परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है और व्यापार में भी वृद्धि होती है। औजारों और मशीनों से कमाई करने वालों के ये पूजा जरूर करनी चाहिए।

ये है भगवान विश्वकर्मा की आरती (Vishwakarma Aarti)
जय श्री विश्वकर्मा प्रभु, जय श्री विश्वकर्मा ।
सकल सृष्टि के करता, रक्षक स्तुति धर्मा ॥
जय श्री विश्वकर्मा प्रभु, जय श्री विश्वकर्मा ।
आदि सृष्टि मे विधि को, श्रुति उपदेश दिया ।
जीव मात्र का जग में, ज्ञान विकास किया ॥
जय श्री विश्वकर्मा प्रभु, जय श्री विश्वकर्मा ।
ऋषि अंगीरा तप से, शांति नहीं पाई ।
ध्यान किया जब प्रभु का, सकल सिद्धि आई ॥
जय श्री विश्वकर्मा प्रभु, जय श्री विश्वकर्मा ।
रोग ग्रस्त राजा ने, जब आश्रय लीना ।
संकट मोचन बनकर, दूर दुःखा कीना ॥
जय श्री विश्वकर्मा प्रभु, जय श्री विश्वकर्मा ।
जब रथकार दंपति, तुम्हारी टेर करी ।
सुनकर दीन प्रार्थना, विपत सगरी हरी ॥
जय श्री विश्वकर्मा प्रभु, जय श्री विश्वकर्मा ।
एकानन चतुरानन, पंचानन राजे।
त्रिभुज चतुर्भुज दशभुज, सकल रूप साजे ॥
जय श्री विश्वकर्मा प्रभु, जय श्री विश्वकर्मा ।
ध्यान धरे तब पद का, सकल सिद्धि आवे ।
मन द्विविधा मिट जावे, अटल शक्ति पावे ॥
जय श्री विश्वकर्मा प्रभु, जय श्री विश्वकर्मा ।
श्री विश्वकर्मा की आरती, जो कोई गावे ।
भजत गजानांद स्वामी, सुख संपति पावे ॥
जय श्री विश्वकर्मा प्रभु जय श्री विश्वकर्मा ।
सकल सृष्टि के करता, रक्षक स्तुति धर्मा ॥


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