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Shri Ramcharit Manas: कितने कांड हैं श्रीरामचरित मानस में, इनमें से पांचवें का नाम सुंदरकांड ही क्यों रखा गया?

Shri Ramcharit Manas: मान्यता है कि कलयुग में हनुमान की पूजा ही सबसे अधिक शुभ फल देने वाली है। इसलिए हनुमानजी को प्रसन्न करने के लिए कई तरह के उपाय किए जाते हैं, सुंदरकांड का पाठ करना भी इनमें से एक उपाय है। 

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Manish Meharele
Published : Feb 02 2023, 08:17 AM IST| Updated : Feb 02 2023, 08:19 AM IST
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क्यों करते हैं सुंदरकांड का पाठ?
Image Credit : google

क्यों करते हैं सुंदरकांड का पाठ?

वर्तमान समय में हनुमानजी को प्रसन्न करने का सबसे आसान तरीका है सुंदरकांड का पाठ। लेकिन बहुत कम लोग सुंदरकांड (Sunderkand) से जुड़ी खास बातें जानते हैं। सुंदरकांड का पाठ घरों में सुख-शांति के लिए किया जाता है। कुछ लोग जीवन में सफलता पाने के लिए सुंदरकांड का पाठ करते हैं। और भी कई समस्याओं के निदान के लिए सुंदरकांड का पाठ किया जाता है। लेकिन श्रीरामचरित मानस (Shri Ramcharit Manas) के इस कांड को सुंदरकांड क्यों कहते हैं, इसके बारे में कम ही लोग जानते हैं। आगे जानिए श्रीरामचरित मानस के 7 कांड कौन-कौन से हैं और इनके नाम किस आधार पर रखे गए…
 

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कितने कांड हैं श्रीरामचरित मानस में? (How many Kand in Shri Ramcharit Manas?)
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कितने कांड हैं श्रीरामचरित मानस में? (How many Kand in Shri Ramcharit Manas?)

श्रीरामचरित मानस में कुल 7 कांड यानी अध्याय हैं। इन सभी कांडों के नाम स्थान व स्थितियों के आधार पर रखे गए हैं, जो कि अनुकूल जान पड़ते हैं। इन सातों कांड में भगवान श्रीराम के पूरे जीवन का वर्णन है। हालांकि महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित रामायण और गोस्वामी तुलसीदास द्वारा लिखी गई श्रीरामचरित मानस में आंशिक परिवर्तन देखने को भी मिलता है। 
 

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पहला है बाल कांड (Bal Kand)
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पहला है बाल कांड (Bal Kand)

श्रीराम चरित मानस का पहला कांड है बाल कांड। इसमें भगवान श्रीराम व अन्य भाइयों के जन्म की कथा का वर्णन है। कैसे राजा दशरथ ने पुत्रकामेष्ठि यज्ञ के लिए ऋषि श्रृंग को मनाया और इसी के फल स्वरूप भगवान विष्णु ने श्रीराम के रूप में जन्म लिया। इस कांड में श्रीराम के बाल रूप का सुंदर वर्णन किया है इसलिए इसे बाल कांड का नाम दिया गया है।
 

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दूसरा है अयोध्या कांड (Ayodhya Kand)
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दूसरा है अयोध्या कांड (Ayodhya Kand)

श्रीरामचरित मानस का दूसरा कांड है अयोध्या कांड। इस कांड में श्रीराम द्वारा विश्वामित्र के साथ वन में जाने और ताड़का राक्षसी के वध का वर्णन मिलता है। साथ ही साथ श्रीराम द्वारा धनुष तोड़कर स्वयंवर में सीता के वरण का प्रसंग भी इसी कांड में है। अयोध्या में हुई घटनाओं के वर्णन के कारण ही श्रीरामचरित मानस के दूसरे कांड का नाम अयोध्या कांड रखा गया है।
 

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तीसरा है अरण्य कांड (Aranya Kand)
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तीसरा है अरण्य कांड (Aranya Kand)

अरण्य का अर्थ है जंगल। जब श्रीराम पिता की आज्ञा से पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ वन जाने को निकले और वहां क्या-क्या घटनाएं हुई। इन सभी प्रसंगों का वर्णन अरण्य कांड में मिलता है। सीता हरण की घटना के बारे में भी अरण्य कांड में बताया गया है। इस तरह जंगल के प्रसंगों के चलते इस कांड को अरण्य कांड कहा गया है।
 

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चौथा है किष्किंधा कांड (Kishkindha Kand)
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चौथा है किष्किंधा कांड (Kishkindha Kand)

जब रावण देवी सीता का हरण कर ले गया तो उनकी खोज करते-करते श्रीराम वानरों की नगरी किष्किंधा में आ गए। यहां उन्होंने वाली का वध किया और सुग्रीव को राजा बनाया। श्रीराम ने काफी समय इस नगर में रहते हुए व्यतीत किया। इसलिए इस कांड का नाम किष्किांड कांड रखा गया है।
 

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पांचवा है सुंदर कांड (Sundar Kand)
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पांचवा है सुंदर कांड (Sundar Kand)

पांचवें कांड की सबसे अहम घटना है हनुमानजी द्वारा माता सीता की खोज। लंका तीन पर्वतों पर बसी हुई थी, इनका नाम था नील पर्वत, सुबैल पर्वत और सुंदर पर्वत। जिस स्थान पर हनुमानजी ने देवी सीता को देखा वो सुंदर पर्वत पर थी, इसलिए श्रीरामचरित मानस के इस कांड को सुंदर कांड का नाम दिया गया है। सुंदर कांड में हनुमान के बल-बुद्धि का वर्णन मिलता है। इसलिए हनुमानजी की प्रसन्नता के लिए सुंदर कांड का पाठ किया जाता है।
 

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छठा है लंका या युद्ध कांड (Yudh Kand)
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छठा है लंका या युद्ध कांड (Yudh Kand)

श्रीराम चरित मानस का छठा कांड है युद्ध कांड, जिसे लंका कांड भी कहते हैं। इस कांड में श्रीराम और रावण के युद्ध के संपूर्ण वर्णन मिलता है। लंका में हुई प्रत्येक घटना का वर्णन इस कांड में होने से इसे लंका कांड कहा जाता है। रावण वध का प्रसंग भी इसी कांड में है।
 

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अंतिम है उत्तर कांड (Uttar Kand)
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अंतिम है उत्तर कांड (Uttar Kand)

जब श्रीराम रावण का वध कर अयोध्या लौटे तो यहां उनका राज्याभिषेक किया गया है। जनकनंदिनी सीता के त्याग और लव-कुश के जन्म का वर्णन इसी कांड में है। इस कांड में श्रीराम ने ऋषि-मुनियों के अनेक प्रश्नों का उत्तर भी दिया है, इसलिए इसे उत्तर कांड कहा जाता है।
 

About the Author

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Manish Meharele
मनीष मेहरेले। मीडिया जगत में इनके पास 19 साल से ज्यादा का अनुभव है। वर्तमान समय में ये एशियानेट न्यूज हिंदी के साथ जुड़कर धर्म-आध्यात्म बीट पर काम कर रहे हैं। करियर की शुरुआत इन्होंने स्थानीय अखबार दैनिक अवंतिका से की थी। इसके बाद वह दैनिक भास्कर प्रिंट उज्जैन में वाणिज्य डेस्क प्रभारी रहे और 2010-2019 तक दैनिक भास्कर डिजिटल में धर्म डेस्क पर काम किया। इन्हें महाभारत, रामायण जैसे धार्मिक ग्रंथों का अच्छा ज्ञान है। इनके पास जीव विज्ञान में बीएससी स्नातक की डिग्री है।

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