Putrada Ekadashi Kab Hai: 9 या 10 जनवरी, कब करें साल 2025 का पहला एकादशी व्रत?

Paush Putrada Ekadashi 2025: एक हिंदू वर्ष में कुल 24 एकादशी होती है। इन सभी के नाम, महत्व और कथा अलग-अलग है। पौष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को पुत्रदा एकादशी कहते हैं। धर्म ग्रंथों में इसका विशेष महत्व है।

 

Kab Hai Putrada Ekadashi 2025: हिंदू धर्म में एकादशी तिथि को बहुत ही पवित्र माना गया है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा विशेष रूप से की जाती है। एक महीने में 2 बार एकादशी तिथि का संयोग बनता है। इस तरह एक वर्ष में 24 एकादशी होती है। इनमें से पौष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को पुत्रदा एकादशी कहते हैं। मान्यता है कि इस एकादशी का व्रत करने से योग्य संतान की प्राप्ति होती है। आगे जानिए इस बार कब करें पुत्रदा एकादशी का व्रत, पूजा विधि, शुभ योग, मुहूर्त व अन्य खास बातें…

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कब करें पुत्रदा एकादशी व्रत 2025?

पंचांग के अनुसार, पौष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 09 जनवरी, गुरुवार की दोपहर 12 बजकर 22 मिनिट से शुरू होगी, जो 10 जनवरी, शुक्रवार की सुबह 10 बजकर 19 मिनिट तक रहेगी। चूंकि एकादशी तिथि का सूर्योदय 10 जनवरी को होगा, इसलिए इसी दिन ये व्रत किया जाएगा। इस दिन छत्र, मित्र, सर्वार्थसिद्धि और अमृतसिद्धि नाम के 4 शुभ योग भी रहेंगे, जिसके चलते इस व्रत का महत्व और भी बढ़ जाएगा।

पुत्रदा एकादशी 2025 शुभ मुहूर्त (Putrada Ekadashi 2025 Shubh Muhurat)

- सुबह 08:34 से 09:54 तक
- दोपहर 12:13 से 12:55 तक
- दोपहर 12:34 से 01:54 तक
- शाम 04:34 से 05:54 तक

पुत्रदा एकादशी व्रत-पूजा विधि (Putrada Ekadashi 2025 Puja Vidhi)

- 10 जनवरी, शुक्रवार की सुबह स्नान आदि करने के बाद व्रत-पूजा का संकल्प लें। घर के किसी हिस्से की अच्छी तरह से सफाई करें और गौमूत्र या गंगाजल से पवित्र करें।
- ऊपर बताए गए किसी भी शुभ मुहूर्त से पहले पूजा की पूरी तैयारी कर लें। शुभ मुहूर्त में भगवान भगवान विष्णु की प्रतिमा या चित्र लकड़ी के पटिए पर स्थापित करें।
- भगवान विष्णु की प्रतिमा के पास ही लड्डू गोपाल की प्रतिमा भी रखें। भगवान को कुमकुम से तिलक लगाएं। शुद्ध घी का दीपक जलाएं। फूलों की माला पहनाएं।
- इसके बाद अबीर, गुलाल, रोली, चावल, चंदन, फूल आदि चीजें एक-एक करके चढ़ाते रहें। भगवान को भोग लगाएं, इसमें तुलसी के 2-3 पत्ते भी जरूर रखें।
- भगवान को केसरिया या पीले वस्त्र अर्पित करें। पूजा के बाद आरती करें। रात में जागरण करें और अगले दिन सुबह पारणा करें। इससे योग्य पुत्र की प्राप्ति संभव है।


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Disclaimer
इस आर्टिकल में जो जानकारी है, वो ज्योतिषियों द्वारा बताई गईं हैं। हम सिर्फ इस जानकारी को आप तक पहुंचाने का एक माध्यम हैं। यूजर्स इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।

 

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