Navratri 2024: 3 अक्टूबर को कैसे करें कलश स्थापना? जानें मुहूर्त सहित पूरी डिटेल

Navratri 2024 Kalash Sthapna Muhurat: हर साल आश्विन मास में शारदीय नवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। इन 9 दिनों में रोज देवी के अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है। इस बार ये पर्व अक्टूबर 2024 में मनाया जाएगा।

 

Manish Meharele | Published : Sep 27, 2024 4:08 AM IST / Updated: Oct 03 2024, 08:19 AM IST
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एक साल में आती है 4 नवरात्रि

Shardiy Navratri 2024 Date: नवरात्रि हिंदुओं का प्रमुख त्योहार है। साल में 4 बार नवरात्रि पर्व मनाया जाता है। इन सभी में आश्विन मास में आने वाली नवरात्रि बहुत ही खास होती है। इसे शारदीय नवरात्रि भी कहते हैं। शारदीय नवरात्रि में गरबा नृत्य कर देवी की उपासना की जाती है। इन 9 दिनों में रोज देवी के अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है। आगे जानिए इस बार कब से शुरू होगी शारदीय नवरात्रि, कलश स्थापना के मुहूर्त, पूजा विधि व अन्य डिटेल…

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कब से शुरू होगी शारदीय नवरात्रि 2024?

उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पंडित प्रवीण द्विवेदी के अनुसार, इस बार शारदीय नवरात्रि का पर्व 3 अक्टूबर, गुरुवार से शुरू होगा, जो 11 अक्टूबर, शुक्रवार तक रहेगी। इस बार नवरात्रि की महाष्टमी और महानवमी तिथि का संयोग एक ही दिन यानी 11 अक्टूबर शुक्रवार को बन रहा है।

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नवरात्रि 2024 कलश स्थापना के शुभ मुहूर्त

- सुबह 06:15 से 07:22 तक
- सुबह 11:46 से दोपहर 12:33 तक (अभिजीत मुहूर्त)
- सुबह 10:41 से दोपहर 12:10 तक
- दोपहर 12:10 से 01:38 तक
- शाम 04:36 से 06:04 तक
- शाम 06:04 से 07:36 तक

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इस विधि से करें कलश स्थापना

- घर या सार्वजनिक स्थानों पर घट स्थापना करने से पहले चुने गए स्थान की अच्छे से साफ-सफाई करें और उसे गोमूत्र या गंगा जल छिड़ककर पवित्र करें।
- इस पवित्र स्थान पर लकड़ी का बाजोट (पटिया) रखकर इसके ऊपर लाल कपड़ा बिछा दें। तांबे के कलश में शुद्ध जल लें और इसे लकड़ी के पटिए पर रख दें।
- कलश में चंदन, रोली, हल्दी, फूल, दूर्वा, चावल आदि चीजें डालें। इसके ऊपर कुंकुम से स्वस्तिक का चिह्न बनाएं। कलश के मुख पर मौली यानी पूजा का धागा बांधें।
- कलश के मुख पर आम के पत्ते रखकर इसे नारियल से ढंक दें। इसके बाद ये मंत्र बोलें- ऊं नमश्चण्डिकाये। नवरात्रि के दौरान ये कलश अपने स्थान पर ही रहे।
- कलश के पास देवी का चित्र भी रखें। इस पर भी कुमकुम से तिलक करें, फूलों की माला पहनाएं। शुद्ध घी का दीपक लगाएं और अबीर-गुलाल आदि चढ़ाएं।
- पूजा के बाद देवी को अपनी इच्छा अनुसार भोग भी लगाएं। इसके बाद विधि-विधान से आरती करें। 9 दिनों तक रोज इसी तरह कलश और देवी के चित्र की पूजा करें।
- इस तरह नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना कर रोज इसकी पूजा करें। इससे आपके घर में सुख-समृद्धि बनी रहेगी और हर इच्छा भी पूरी होगी।

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मां दुर्गा की आरती (Devi Durga Ki Aarti)

जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।
तुमको निशिदिन ध्यावत हरि ब्रह्मा शिव री ॥1॥ जय अम्बे…
माँग सिंदुर विराजत टीको मृगमदको।
उज्ज्वल से दोउ नैना, चन्द्रवदन नीको ॥2॥ जय अम्बे.…
कनक समान कलेवर रक्ताम्बर राजै।
रक्त-पुष्प गल माला, कण्ठनपर साजै ॥3॥ जय अम्बे…
केहरी वाहन राजत, खड्ग खपर धारी।
सुर-नर-मुनि-जन सेवत, तिनके दुखहरी ॥4॥ जय अम्बे…
कानन कुण्डल शोभित, नासाग्रे मोती।
कोटिक चन्द्र दिवाकर, सम राजत ज्योती ॥5॥ जय अम्बे…
शुंभ निशुंभ विदारे, महिषासुर-धाती।
धूम्रविलोचन नैना निशिदिन मदमाती ॥6॥ जय अम्बे…
चण्ड मुण्ड संहारे, शोणितबीज हरे।
मधु कैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे ॥7॥ जय अम्बे…
ब्रह्माणी, रूद्राणी तुम कमलारानी।
आगम-निगम-बखानी, तुम शिव पटरानी ॥8॥ जय अम्बे…
चौसठ योगिनि गावत, नृत्य करत भैरूँ।
बाजत ताल मृदंगा औ बाजत डमरू ॥9॥ जय अम्बे…
तुम ही जग की माता, तुम ही हो भरता।
भक्तन की दुख हरता सुख सम्पति करता ॥10॥ जय अम्बे…
भुजा चार अति शोभित, वर मुद्रा धारी।
मनवाञ्छित फल पावत, सेवत नर-नारी ॥11॥ जय अम्बे…
कंचन थाल विराजत, अगर कपूर बाती।
(श्री) मालकेतु में राजत कोटिरतन ज्योती ॥12॥ जय अम्बे…
(श्री) अम्बेजी की आरती जो कोई नर गावै।
कहत शिवानंद स्वामी, सुख सम्पति पावै ॥13॥ जय अम्बे...


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इस आर्टिकल में जो भी जानकारी दी गई है, वो ज्योतिषियों, पंचांग, धर्म ग्रंथों और मान्यताओं पर आधारित हैं। इन जानकारियों को आप तक पहुंचाने का हम सिर्फ एक माध्यम हैं। यूजर्स से निवेदन है कि वो इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।

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