
मान्यताओं के अनुसार, चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से हिंदू नववर्ष का आरंभ होता है, इसे विक्रम संवत कहा जाता है। इस बार 22 मार्च को विक्रम संवत 2080 (Vikram Samvat 2023) का आरंभ होने वाला है। हिंदुओं की तरह ही अन्य धर्मों में भी अलग कैलेंडर की मान्यता है। हालांकि अधिकांश कैलेंडर 12 महीनों में ही बंटे होते हैं। अलग-अलग धर्मों में नया साल अलग-अलग दिन से शुरू होता है। आज हम आपको प्रमुख धर्मों से जुड़े कैलेंडर की रोचक बातों के बारे में बता रहे हैं, जो इस प्रकार है…
हिंदू परंपराओं के अनुसार, नए साल की शुरूआत चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से होता है। इसे विक्रम संवत कहते हैं। ये दुनिया का सबसे पहला कैलेंडर माना जाता है। इस बार 22 मार्च से विक्रम संवत 2080 आरंभ होगा, जबकि इस समय अंग्रेजी कैलेंडर का 2023वां साल ही चल रहा है। इसके अनुसार हिंदू कैलेंडर आधुनिक कैलेंडर से भी 57 साल पुराना है। देश के अलग-अलग हिस्सों में इसे गुड़ी पड़वा, उगादी आदि नामों से मनाया जाता है।
इस्लामी कैलेंडर को हिजरी कहते हैं। वर्तमान में हिजरी कैलेंडर का 1444वां साल चल रहा है। इस्लामी या हिजरी कैलेंडर चंद्र आधारित है, जो न सिर्फ मुस्लिम देशों में इस्तेमाल होता है, बल्कि दुनियाभर के मुस्लिम भी इस्लामिक धार्मिक पर्वों को मनाने का सही समय जानने के लिए इसी का इस्तेमाल करते हैं। मोहर्रम महीने की पहली तारीख को मुस्लिम समाज का नया साल हिजरी शुरू होता है। इसमें भी 12 महीने होते हैं।
वर्तमान में अंग्रेजी कैलेंडर सबसे ज्यादा प्रचलित है, उसे ग्रिगोरियन कैलेंडर कहते हैं। रोम के तानाशाह जूलियस सीजर ने ईसा पूर्व 45वें वर्ष में जूलियन कैलेंडर की स्थापना की, उस समय विश्व में पहली बार 1 जनवरी को नए वर्ष का उत्सव मनाया गया। तब से आज तक ईसाई धर्म के लोग इसी दिन नया साल मनाते हैं। यह सबसे ज्यादा प्रचलित नववर्ष है।
पारसी लोग वैसे तो पूरी दुनिया में फैले हुए हैं, लेकिन इनकी उत्पत्ति ईरान से हुई मानी जाती है। इनका कैलेंडर भी अलग होता है। पारसी धर्म के नए साल का पहला दिन नवरोज के रूप में मनाया जाता है। फ़ारसी में 'नव' और 'रोज़' शब्द का मतलब होता है कि 'नया' और 'दिन'। आमतौर पर 19 अगस्त को नवरोज का उत्सव पारसी लोग मनाते हैं।
जैन धर्म सनातम धर्म की ही एक शाखा है। लेकिन इसकी कुछ मान्यताएं और परंपराएं इससे भिन्न है। जैन धर्म को मानने वालों का नया साल दीपावली के अगले दिन से शुरू होता है। इसे वीर निर्वाण संवत कहते हैं, क्योंकि इसी तिथि पर भगवान महावीर स्वामी को मोक्ष की प्राप्ति हुई थी। इस दिन जैन धर्म के लोग कई आयोजन भी करते हैं।
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