
budget 2025: 1 फरवरी को देश की वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण देश का बजट पेश करेंगी। बजट हर आम आदमी को सीधे प्रभावित करता है, इसलिए इसका हमारे जीवन में विशेष महत्व है। देश के नागरिकों से कर लेते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए और बजट बनाते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए, इसके बारे में आचार्य चाणक्य ने भी कुछ टिप्स दिए हैं। आगे जानिए क्या लिखा है आचार्य चाणक्य ने…
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अलब्धलाभार्था लब्धपरिरक्षणी रक्षितविवर्धनी वृद्धस्य तीर्थे प्रतिपादनी च
अर्थ – आचार्य चाणक्य के अनुसार राजा को जो प्राप्त न हो उसे प्राप्त करना, जो प्राप्त है उसे संरक्षित करना यानी बचाकर रखना, जो संरक्षित हो गया उसे समानता के आधार पर बांटना चाहिए।
आचार्य चाणक्य के अनुसार, सरकार को सबसे पहले इस बात पर विचार करना चाहिए कि खजाने में किस तरह से वृद्धि हो और आम जनता पर इसका ज्यादा बोझ भी न पड़े। सरकार के पास जितना अधिक धन होगा, उतने ही वे विकास के कार्य कर पाएंगे।
आचार्य चाणक्य के अनुसार, सरकार के पास जितना भी धन टैक्स व अन्य तरीकों से आता है, उसे बचाकर रखना चाहिए, क्योंकि सरकारी खजाने में जितना धन होगा, सरकार उतनी मजबूती से विकास के कामों के बारे में सोच सकेगी।
आचार्य चाणक्य के अनुसार, सरकार को खजाने में गरीबों के उत्थान के लिए, बेहतर शिक्षा और स्वास्थ्य के लिए व नागरिकों की अन्य सुविधाओं के लिए समानता से धन खर्च करना चाहिए।
आचार्य चाणक्य ने अपनी एक नीति में टैक्स लेने के तरीके के बारे में भी बहुत ही आसानी से समझाया है। उन्होंने कहा है ‘सरकार को अपने नागरिकों को इस तरह से टैक्स लेना चाहिए, जैसे मधुमक्खी फूलों से शहद लेती है यानी इससे न तो फूल को कोई नुकसान होता है और मधुमक्खी धीरे-धीरे बहुत साला शहद भी इकट्ठा कर लेती है।
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