
Beliefs related to lunar eclipse: चंद्र ग्रहण वैसे तो खगोलीय घटना है लेकिन हमारे देश में इसे धर्म और ज्योतिष से जोड़कर देखा जाता है। जब भी कोई ग्रहण होता है इससे जुड़ी अनेक परंपराओं का पालन किया जाता है। चंद्र ग्रहण के शुरू होने से 9 घंटे पहले से ही उसका सूतक शुरू हो जाता है। सूतक के दौरान अनेक नियमों का पालन किया जाता है। ग्रहण का सूतक शुरू होने से पहले ही खाने-पीने की चीजों में तुलसी के पत्ते रख दिए जाते हैं। इस परंपरा के पीछे का कारण बहुत कम लोग जानते हैं। आगे जानिए इस परंपरा के पीछे का धार्मिक और वैज्ञानिक कारण…
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हिंदू परंपरा के अनुसार, किसी भी ग्रहण के सूतक के शुरू होने से पहले खाने-पीने की चीजों में तुलसी के पत्ते जरूर रखे जाते हैं। मान्यता है कि ग्रहण के दौरान निकलने वाली हानिकारक किरणों से खाने-पीने की चीजें दूषित हो जाती हैं। जबकि इसमें तुलसी की पत्ते यदि रख दिए जाएं तो ग्रहण समाप्त होने के बाद भी वो खाने योग्य बनी रहती हैं। इसी मान्यता के चलते किसी भी ग्रहण के सूतक से पहले खाने-पीने की चीजों में तुलसी के पत्ते रखे जाते हैं।
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तुलसी का महत्व हमारे पूर्वज हजारों साल पहले से जानते थे, इसलिए उन्होंने सूतक से पहले इसके पत्ते खाने-पीने की चीजों में रखने की परंपरा शुरू की। वैज्ञानिक शोधों से पता चला है कि तुलसी के पत्तों में एंटीबायोटिक गुण होते हैं जो बैक्टीरिया और वायरस को पनपने नहीं देते, जिससे ग्रहण के बाद भी भोजन शुद्ध और खाने योग्य बना रहता है। यही कारण है कि सूतक शुरू होने से पहले ही खाने-पीने की चीजों में तुलसी के पत्ते रख दिए जाते हैं।
धर्म ग्रंथों के अनुसार, जब भी कोई चंद्र ग्रहण होता है तो उसका सूतक 9 घंटे पहले से शुरू हो जाता है। सूतक को अशुभ समय माना जाता है। इसलिए इस दौरान पूजा-पाठ आदि नहीं किए जाते। 7 सितंबर 2025 को होने वाले चंद्र ग्रहण का सूतक दोपहर 12.27 से शुरू हो जाएगा जो ग्रहण के साथ ही यानी रात 01:27 पर समाप्त होगा।
Disclaimer
इस आर्टिकल में जो जानकारी है, वो धर्म ग्रंथों, विद्वानों और ज्योतिषियों से ली गईं हैं। हम सिर्फ इस जानकारी को आप तक पहुंचाने का एक माध्यम हैं। यूजर्स इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।