Bakra Eid: 2023: हज यात्रा के दौरान बकरीद पर क्यों निभाई जाती है शैतान को पत्थर मारने की परंपरा?

दुनिया भर के मुसलमानों के लिए हज यात्रा (Hajj 2023) एक जरूर फर्ज है। हर साल लाखों मुस्लिम हज करने मक्का जाते हैं। हज यात्रा इस्लामिक कैलेंडर के धुल हिज्ज महीने में की जाती है। इसी महीने में ईद-उल-अधा यानी बकरा ईद भी मनाई जाती है।

 

उज्जैन. मुस्लिम धर्म के लोगों के लिए इस्लामिक कैलेंडर का अंतिम महीना धुल हिज्ज बहुत ही खास है क्योंकि इस महीने में हज यात्रा (Hajj 2023) की जाती है और ईद-उल-अधा (eid ul adha 2023) यानी बकरा ईद (Bakra Eid 2023) का पर्व भी इसी महीने में मनाया जाता है। इस बार बकरा ईद 29 जून, गुरुवार को है। हज यात्रा के दौरान इस दिन एक खास परंपरा निभाई जाती है। वो परंपरा है शैतान को पत्थर मारना। आगे जानिए क्या है ये परंपरा…

अल्लाह ने दिया कुर्बानी का हुकुम
इस्लामी मान्यताओं के अनुसार, हजरत इब्राहिम अल्लाह के पैगंबर थे। एक बार अल्लाह ने सपने में आकर उन्हें अपनी सबसे प्यारी चीज कुर्बान करने का हुकुम दिया। पैगंबर हजरत इब्राहिम ने सोचा कि उन्हें सबसे ज्यादा प्यार तो अपने इकलौते बेटे इस्माइल से है। उन्होंने अल्लाह के हुकुम को मानते हुए उसे ही कुर्बान करने का फैसला लिया। ये बात जब इस्माइल को पता चली तो वह भी अल्लाह की राह पर कुर्बान होने के लिए खुशी-खुशी तैयार हो गया।

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जब पैगंबर को रास्ता में मिला शैतान
हजरत इब्राहिम ने तय कर लिया कि वे अल्लाह के हुकुम के अनुसार, अपनी सबसे प्यारी चीज यानी अपन बेटे की कुर्बानी देंगे। जब वे बेटे की कुर्बानी देने जा रहे थे तो रास्ते में उन्हें शैतान मिला। शैतान ने पैगंबर को से ऐसा न करने के लिए कहा और बहुत कोशिश की कि किसी तरह हजरत पैगंबर अपना इरादा बदल लें। लेकिन शैतान के कहने पर भी हजरत पैगंबर ने अपना इरादा नहीं बदला और पत्थर मारकर शैतान को भगा दिया।

जब इस्माइल की जगह दुंबा हो गया कुर्बान
जब हजरत इब्राहिम कुर्बानी देने के लिए तैयार हुए तो उन्हें लगा कि कहीं बेटे को कुर्बान करते समय उनके हाथ रुक न जाएं, इसलिए उन्होंने अपनी आंखों पर पट्टी बांध ली। पैगंबर ने अल्लाह के बताए रास्ते पर चलते हुए अपने बेटे की कुर्बानी के लिए हाथ चलाए और जब आंखों से पट्टी हटाई तो देखा कि बेटा हजरत इस्माईल सही सलामत था और उसकी जगह एक दुम्बा (भेड़) पड़ा था। पैंगबर ने अल्लाह का शुक्रिया अदा किया। तभी से कुर्बानी का सिलसिला शुरू हुआ।

आज भी शैतान को मारते हैं पत्थर
इस्लामिक मान्यताओं के अनुसार, शैतान ने 1 नहीं बल्कि 3 बार हजरत पैगंबर का रास्ता रोका था और तीनों ही बार पैगंबर ने शैतान को पत्थर मारकर भगाया था। जिन 3 जगहों पर हजरत इब्राहीम ने शैतान को पत्थर मारे, वहीं पर तीन स्तंभ आज भी हैं। इन्हीं तीन स्तंभों को शैतान मानकर उस पर पत्थर मारे जाने की परंपरा हज यात्रा के दौरान निभाई जाती है। इस रस्म को सुन्नत-ए-इब्राहीमी भी कहा जाता है।


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Disclaimer : इस आर्टिकल में जो भी जानकारी दी गई है, वो ज्योतिषियों, पंचांग, धर्म ग्रंथों और मान्यताओं पर आधारित हैं। इन जानकारियों को आप तक पहुंचाने का हम सिर्फ एक माध्यम हैं। यूजर्स से निवेदन है कि वो इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।

 

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