Annakoot 2024: कब है अन्नकूट, क्यों मनाते हैं ये उत्सव, कैसे शुरू हुई ये परंपरा?

Annakoot 2024: दिवाली के दूसरे दिन यानी गोवर्धन पूजा के साथ ही अन्नकूट महोत्सव भी मनाया जाता है। इस दिन कृष्ण मंदिरों में भगवान को 56 अलग-अलग पकवानों का भोग लगाया जाता है।

 

Manish Meharele | Published : Nov 1, 2024 2:53 AM IST

Annakoot 2024 Details: हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि पर यानी दिवाली के दूसरे दिन अन्नकूट महोत्सव मनाया जाता है। इस बार ये उत्सव 2 नवंबर, शनिवार को मनाया जाएगा। अन्नकूट में भगवान श्रीकृष्ण को 56 प्रकार के पकवानों का भोग लगाया जाता है जिसमें तीखा, मीठा, नमकीन आदि सभी स्वाद के व्यंजन शामिल होते हैं। अन्नकूट की परंपरा कैसे शुरू हुई और भगवान श्रीकृष्ण को 56 भोग हो क्यों लगाते हैं, आगे जानिए…

कैसे शुरू हुई अन्नकूट की परंपरा? (How did the tradition of Annakoot start?)

अन्नकूट से जुड़ी एक प्रचलित कथा है जो इस प्रकार है- ‘द्वापरयुग में भगवान श्रीकृष्ण के अवतार काल में वृंदावन के लोग अच्छी बारिश के लिए इंद्रदेव की पूजा करते थे। श्रीकृष्ण ने जब ये देखा तो उन्होंने कहा कि ‘बारिश करना तो इंद्र का काम है, अगर पूजा ही करनी है तो गोवर्धन पर्वत की करें क्योंकि उसी से हमारे गायों को चारा और हमें फल-फूल आदि मिलते हैं।
श्रीकृष्ण की बात मानकर वृंदावनवासियों को गोवर्धन पर्वत की पूजा की, जिससे क्रोधित होकर देवराज इंद्र ने मूसलाधार बारिश शुरू कर दी। तब श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी उंगली पर उठाकर छाते जैसा बना दिया। गोवर्धन पर्वत के नीचे गांव वाले पूरे 7 दिनों तक बैठे रहे। तब देवराज इंद्र को अपनी गलती का अहसास हुआ और उन्होंने श्रीकृष्ण से क्षमा मांगी।
7 दिन बाद भगवान श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को नीचे रखा। इसके बाद गांव वालों ने मिलकर भगवान श्रीकृष्ण अलग-अलग तरह का भोजन करवाया। उस दिन कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा तिथि थी। तभी से इस तिथि पर भगवान श्रीकृष्ण को 56 भोग लगाने की परंपरा शुरू हुई, जिसे अन्नकूट कहते हैं।

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ये हैं भगवान श्रीकृष्ण के 56 भोग के नाम

1. गोधूम (दलिया), 2. परिखा, 3. सुफलाढय़ा (सौंफ युक्त), 4. दधिरूप (बिलसारू), 5. मोदक (लड्डू), 6. शाक (साग) 7. सौधान (अधानौ अचार), 8. मंडका (मोठ), 9. पायस (खीर), 10. परिष्टाश्च (पूरी), 11. शतपत्र (खजला), 12. सधिद्रक (घेवर), 13. गोघृत, 14. मंडूरी (मलाई), 15. प्रलेह (चटनी), 16. सदिका (कढ़ी), 17. दधिशाकजा (दही शाक की कढ़ी), 18. सुफला (सुपारी), 19. सिता (इलायची), 20. हैयंगपीनम (मक्खन), 21. फल, 22. तांबूल, 23. लसिका (लस्सी), 24. सुवत, 25. संघाय (मोहन), 26. मोहन भोग, 27. लवण, 28. कषाय, 29. मधुर, 30. तिक्त, 31. सुधाकुंडलिका (जलेबी), 32. धृतपूर (मेसू), 33. वायुपूर (रसगुल्ला), 34. चन्द्रकला (पगी हुई), 35. दधि (महारायता), 36. स्थूली (थूली), 37. कर्पूरनाड़ी (लौंगपूरी), 38. खंड मंडल (खुरमा), 39. भक्त (भात), 40. सूप (दाल), 41. चिल्डिका (चोला), 42. दधि (दही), 43. इक्षु खेरिणी (मुरब्बा), 44. त्रिकोण (शर्करा युक्त), 45. बटक (बड़ा), 46. मधु शीर्षक (मठरी), 47. फेणिका (फेनी), 48. कूपिका, 49. पर्पट (पापड़), 50. शक्तिका (सीरा), 51. कटु, 52. सिखरिणी (सिखरन), 53. अवलेह (शरबत), 54. बालका (बाटी), 55. चक्राम (मालपुआ), 56. अम्ल


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इस आर्टिकल में जो भी जानकारी दी गई है, वो ज्योतिषियों, पंचांग, धर्म ग्रंथों और मान्यताओं पर आधारित हैं। इन जानकारियों को आप तक पहुंचाने का हम सिर्फ एक माध्यम हैं। यूजर्स से निवेदन है कि वो इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।

 

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