Guru Purnima 2023: क्यों मनाते हैं गुरु पूर्णिमा, किसके अवतार हैं महर्षि वेदव्यास, क्या वे आज भी जीवित हैं?
Guru Purnima 2023: इस बार गुरु पूर्णिमा का पर्व 3 जुलाई, सोमवार को मनाया जाएगा। इसे व्यास पूर्णिमा भी कहते हैं। धर्म ग्रंथों के अनुसार, इसी तिथि पर महर्षि वेदव्यास का जन्म हुआ था। उन्हीं के सम्मान में हर साल ये पर्व मनाया जाता है।
हर साल आषाढ़ पूर्णिमा पर गुरु पूर्णिमा (Guru Purnima 2023) का पर्व मनाया जाता है। इस बार ये तिथि 3 जुलाई, सोमवार को है। धर्म ग्रंथों के अनुसार, इसी तिथि पर महर्षि वेदव्यास का जन्म हुआ था, उन्होंने ही वेदों का विभाजन किया और महाभारत जैसे अनेक ग्रंथों की रचना की। उन्हीं के सम्मान में हर साल गुरु पूर्णिमा का व्रत किया जाता है। इसे व्यास पूर्णिमा भी कहते हैं। महर्षि वेदव्यास से जुड़ी ऐसी अनेक बातें हैं, जिनके बारे में कम ही लोगों को पता हैं। आगे जानें महर्षि वेदव्यास से जुड़ी रोचक बातें…
किसके अवतार हैं महर्षि वेदव्यास? (Who is Maharishi Vedvyas)
धर्म ग्रंथों के अनुसार, महर्षि वेदव्यास भगवान विष्णु के 24 अवतारों में से एक हैं। इनके पिता महर्षि पाराशर और माता सत्यवती थीं। इनका मूल नाम कृष्ण है। जन्म लेने के बाद द्वैपायन द्वीप चले गए। तपस्या से वे काले हो गया। इसलिए उन्हें कृष्ण द्वैपायन कहा जाने लगा। वेदों का विभाग करने से वे वेदव्यास के नाम से प्रसिद्ध हुए।
क्या महर्षि वेदव्यास आज भी जीवित हैं? (Is Maharishi Vedvyas still alive today?)
कहा जाता है कि महर्षि वेदव्यास आज भी जीवित हैं। इस मान्यता की वजह है एक श्लोक जो धर्म ग्रंथों में मिलता है। अश्वत्थामा बलिव्यासो हनूमांश्च विभीषण:। कृप: परशुरामश्च सप्तएतै चिरजीविन:॥ सप्तैतान् संस्मरेन्नित्यं मार्कण्डेयमथाष्टमम्। जीवेद्वर्षशतं सोपि सर्वव्याधिविवर्जित।। अर्थ- अश्वथामा, दैत्यराज बलि, वेद व्यास, हनुमान, विभीषण, कृपाचार्य, परशुराम और मार्कण्डेय ऋषि, इन आठ अमर है। रोज सुबह इनका नाम लेने से लंबी आयु मिलती है।
महर्षि वेदव्यास ने की थी महाभारत की रचना (who wrote mahabharat)
महर्षि वेदव्यास ने सर्वप्रथम एक वेद को चार भागों में बांटा, इसके बाद उन्होंने मन ही मन महाभारत की रचना की। महाभारत लिखने के लिए महर्षि वेदव्यास ने भगवान श्रीगणेश को आमंत्रित किया। श्रीगणेश ने एक शर्त रखी कि महाभारत के श्लोक बोलते समय महर्षि वेदव्यास एक क्षण के लिए भी रुकेंगे नहीं। महर्षि वेदव्यास ने ये शर्त मान ली और इस तरह महाभारत जैसा महाकाव्य संपूर्ण हुआ।
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