धर्म के 5 जानकारों ने 1st टाइम किया आदिपुरुष का पोस्टमॉर्टमः हजम नहीं हुआ रावण-विभीषण का शराब पीना, तिलक-मुकुट जैसे सीन ने खड़े किए कई सवाल

Adipurush Movie: फिल्म आदिपुरुष बडे़ परदे पर आ चुकी है। पहले ही दिन फिल्म को लेकर कई नए विवाद भी शुरू हो चुके हैं। वहीं कुछ लोगों को कहना है कि ये मूवी नई पीढ़ी को जरूर देखना चाहिए, ताकि वे धर्म ग्रंथों के बारे में जान सकें।

 

Manish Meharele | Published : Jun 16, 2023 11:47 AM IST / Updated: Jun 16 2023, 05:57 PM IST
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जानें क्या कहा विद्वानों ने आदिपुरुष मूवी के बारे में...

फिल्म आदिपुरुष रिलीज होने के बाद ही कई मुद्दों पर घिर गई है। फिल्म के कई दृश्यों में स्तरहीन डायलॉग हैं तो कई स्थानों पर काल्पनिक दृश्य बनाए गए हैं। वीएफएक्स इफेक्ट जरूर लोगों को भा रहे हैं। आदिपुरुष (Adipurush Movie) मूवी रिलीज के पहले ही दिन एशियानेट हिंदी ने उज्जैन के विद्वतजनों ज्योतिषाचार्य पं. नलिन शर्मा, चिंतामन गणेश मंदिर के मुख्य पुजारी गणेश गुरु, धर्म मर्मज्ञ मुकेश खंडेलवाल, पं. धनंजय शर्मा व संस्कृति के विद्वान मोहन खंडेलवाल को उज्जैन स्थित पीवीआर में ये मूवी दिखाई और उनकी प्रतिक्रिया भी ली। ऐसा पहली बार हुआ है जब किसी न्यूज वेवसाइट द्वारा धर्म की विद्वानों द्वारा किसी मूवी का रिव्यू लिया गया है। आगे जानिए किस विद्ववान ने क्या है आदिपुरुष मूवी को लेकर…

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कई दृश्य काल्पनिक, लेकिन अंत तक बांधे रखती है फिल्म

अगर आप राम जी के चरित्र से भली भांति परिचित है तो आपको यह फिल्म जरूर देखना चाहिए। फिल्म पुराने कथानक के साथ नए विचारों का सम्मिश्रण है। संगीत बहुत सुमधुर है, जो आपको अंत बांधे रखते हैं। फिल्म में कुछ गलतियां जरूर है खासकर संवाद में फारसी/उर्दू शब्दों का भी समायोजन है जो बहुत ही जल्दी पकड़ में आ जाता है, निर्देशक को उससे बचना चाहिए था। रावण और लंका एक काल्पनिक चरित्र जैसी दिखाई देती है। रावण और विभीषण का साथ बैठकर शराब पीने का दृश्य मन में कई सवाल खड़े करता है। विभीषण और मंदोदरी का तिलक और बिंदी न लगाना भी खलता है। राम जी के कुछ संवाद बहुत ही अच्छे हैं, कुल मिलाकर फिल्म देखनी जरूर चाहिए और बच्चों को खासतौर पर जरूर दिखाएं।
ज्योतिषाचार्य पं.नलिन शर्मा
पीतांबरा ज्योतिष केंद्र, उज्जैन

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आदिपुरुष मूवी का कला पक्ष सशक्त, लेकिन भाव पक्ष कमजोर

फिल्म आदिपुरुष भगवान श्रीराम के चरित्र को वर्तमान परिप्रेक्ष्य में प्रस्तुत करती हुई एक ऐसी फिल्म जिसे प्रत्येक वर्ग का दर्शक देखना चाहेगा। फिल्म कई कारणों से बहुत ही शानदार बन पड़ी है, फिल्म में वीएफएक्स इफेक्ट बहुत ही बढ़िया है जो युवा वर्ग को आकर्षित करते हैं। फिल्म में दिखाया गया रावण का पात्र वर्तमान की आसुरी शक्तियों का प्रतिनिधत्व करता हुआ दिखाई देता है। फिल्म में एक-दो स्थानों पर मूल तथ्यों से हटकर प्रस्तुतिकरण किया गया है जो समझ से परे है। फिल्म फूहड़, अश्लील और अशालीन दृश्यों से पूरी तरह से मुक्त है। हर किसी को ये मूवी जरूर देखना चाहिए। 

मोहन खंडेलवाल 'मुकुल' 
संस्कृत व धर्म के विद्वान

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हर हिंदू को जरूर देखना चाहिए आदिपुरुष मूवी

आदिपुरुष युवा वर्ग को सनातन धर्म से जोड़ने का कार्य कर रही है। मूवी में एक नहीं कई संदेश छिपे हैं जो आज के युवाओं के लिए बहुत जरूरी है। फिल्म का संगीत ठीक है, कुछ काल्पनिक दृश्यों को छोड़ दिया जाए तो धर्म ग्रंथों से काफी मेल भी खाती है। फिल्म में कुछ पात्रों जैसे सुषेण वैद्य आदि को पूरी तरह से हटा दिया गया है, ये मूवी मेकर्स को ध्यान रखना चाहिए था। वहीं हनुमानजी को पात्र को भी इतना महत्व नहीं दिया गया, जिसका धर्म ग्रंथों में बताया गया है। मूवी पूरी तरह के सिर्फ और सिर्फ श्रीराम के इर्द-गिर्द ही घूमती दिखाई दे रही है।
मुकेश खंडेलवाल
धर्म विचारक और विश्व हिंदू परिषद मठ मंदिर विभाग प्रमुख मालवा प्रांत

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फिल्म के कई दृश्यों में सुधार की गुंजाइश है

फिल्म आदिपुरुष के कुछ दृश्य काफी अतिश्योक्ति पूर्ण हैं, उनका धर्म ग्रंथों से दूर-दूर तक कोई संबंध नहीं है। इस तरह के दृश्य लोगों के मन में भ्रम पैदा करते हैं, जो कि नहीं होना चाहिए। रावण का कैरेक्टर बिल्कुल भी धर्म ग्रंथों में बताए गए रावण के पात्र से मेल नहीं खाता। मूवी में मेघनाद का वध पूरी तरह से काल्पनिक है। धर्म ग्रंथों में हर कैरेक्टर की विशेष वेष-भूषा बताई गई है, जबकि मूवी में किसी के सिर पर मुकुट तक नहीं है। फिल्म में दिखाया गया राम और रावण का द्वंद युद्ध VFX इफेक्ट के चलते काफी अच्छा बन पड़ा है, लेकिन इसमें और सुधार की गुंजाइश थी। फिल्म का संगीत काफी अच्छा है।
गणेश गुरु, चिंतामन मंदिर पुजारी

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युवाओं के बड़ा संदेश देती है ये मूवी

आदिपुरुष मूवी में कई दृश्य मूल रामायण में काफी अलग दिखाए गए हैं, जैसे रावण द्वारा सीता हरण, मेघनाद वध और श्रीराम के सामने ही सीता हरण आदि। लेकिन इन सबके बावजूद कुछ दृश्य ऐसे भी हैं जो सीता के प्रति श्रीराम के प्रेम को दर्शाते हैं। फिल्म में श्रीराम के पात्र के अलावा अ्नय कोई भी पात्र अपनी भूमिका से न्याय करता हुआ नजर नहीं आ रहा। फिल्म का संगीत समधुर है, एक बार सभी को ये मूवी जरूर देखनी चाहिए। 
पं. धनंजय शर्मा

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