Hindu Tradition: इस राक्षस के मांस से हुई है तांबे की उत्पत्ति, फिर भी पूजा में क्यों करते हैं इसका उपयोग? जानें वैज्ञानिक कारण भी

Hindu Tradition: प्रतिदिन घर में पूजा करने से सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है। पूजा के दौरान कई बातों का ध्यान रखा जाता है। पूजा में किस धातु से बने बर्तनों का उपयोग करना चाहिए, इसके बारे में भी धर्म ग्रंथों में बताया गया है।

 

Manish Meharele | Published : Feb 22, 2023 5:01 AM IST

उज्जैन. पूजा के दौरान कई छोटे-छोटे बर्तनों का उपयोग किया जाता है। ये बर्तन किस धातु के होने चाहिए, इस बारे में भी हमारे धर्म ग्रंथों में बताया गया है। वैसे तो पूजा के बर्तन कई धातुओं के बने हो सकते हैं, लेकिन इन सभी धातुओं में तांबे को सबसे अधिक महत्व दिया गया है। (Hindu Tradition) तांबे से जुड़ी एक कथा भी है, उसके अनुसार, भगवान विष्णु द्वारा मारे गए एक राक्षस के मांस से तांबा धातु उत्पन्न हुई है। आगे जानिए क्या है वो कथा और तांबा धातु से जुड़ी अन्य खास बातें

इस राक्षस के मांस से बना है तांबा
वराह पुराण के अनुसार, किसी समय गुडाकेश नाम का एक राक्षस था, वह भगवान विष्णु का परम भक्त था। उसने भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए घोर तपस्या की और जब भगवान प्रकट हुए थे उसने वरदान मांगा कि “ आपके सुदर्शन चक्र से ही मेरी मृत्यु हो। मृत्यु के बाद मेरा शरीर तांबे का हो जाये और इस धातु का उपयोग आपकी पूजा में होती रहे।” भगवान विष्णु ने उसे ये वरदान दे दिया और अपने सुदर्शन चक्र से उस राक्षस के शरीर के कई टुकड़े कर दिए। गुडाकेश के मांस से तांबा, रक्त से सोना, हड्डियों से चांदी आदि धातुओं का निर्माण हुआ। यही वजह है कि भगवान की पूजा के लिए हमेशा तांबे के बर्तनों का ही प्रयोग किया जाता है।

देव पूजा के लिए तांबा अत्यन्त शुभ
तत्ताम्रभाजने मह्म दीयते यत्सुपुष्कलम्।
अतुला तेन मे प्रीतिर्भूमे जानीहि सुव्रते।।
माँगल्यम् च पवित्रं च ताम्रनतेन् प्रियं मम।
एवं ताम्रं समुतपन्नमिति मे रोचते हि तत्।
दीक्षितैर्वै पद्यार्ध्यादौ च दीयते।

(वराहपुराण 129/41-42, 51/52)

अर्थ- पूजा-पाठ के लिए तांबा सबसे पवित्र और शुभ धातु है। पूजा में इसके उपयोग से जीवन में सुख-शांति बनी रहती है।

इसलिए भी खास है तांबा
वैज्ञानिक शोधों से पता चला है कि तांबे में रखे जल को पीने से कई तरह के रोग दूर होते हैं और रक्त प्रवाह बढ़ता है। इसलिए इसमें रखे गए जल को चरणामृत के रूप में पीने की परंपरा बनाई गई है। तांबे में कभी भी जंग नही। इसके ऊपर की सतह पानी और हवा के साथ रासायनिक क्रिया कर के एक सतह बना लेती है, जो आसानी से साफ हो जाती है। इसलिए तांबा लंबे समय तक उपयोग में लिया जा सकता है।


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