Hindu Tradition Belief: मृत पूर्वजों की अस्थियां गंगा में क्यों प्रवाहित करते हैं, कैसे शुरू हुई ये परंपरा?

Asthiya Ganga Mai Pravahit Kyo Karte Hai: हिंदू धर्म में अनेक मान्यताएं और परंपराएं हैं। ऐसे ही एक मान्यता ये भी है कि मृत पूर्वजों की अस्थियां गंगा में प्रवाहित करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है। इस परंपरा से जुड़ी एक खास कथा है।

 

Hindu Tradition Belief: हिंदू धर्म में गंगा को बहुत ही पवित्र नदी माना जाता है। इसे देवनदी भी कहते हैं क्योंकि मान्यता के अनुसार, गंगा स्वर्ग से उतरकर धरती पर आई है। ऐसा कहते हैं कि जो एक बार गंगा स्नान कर लेता है, उसे सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। हिंदू मान्यता के अनुसार, मृत पूर्वजों की अस्थियां गंगा नदी में प्रवाहित करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है। इस मान्यता से जुड़ी एक कथा है, जो इस प्रकार है…

ये हैं गंगा नदी से जुड़ी रोचक कथा
महाभारत के अनुसार, देवनदी गंगा का विवाह हस्तिनापुर के राजा शांतनु से हुआ था। विवाह के समय देवी गंगा ने राजा से वचन लिया कि वे कभी भी उनसे कोई प्रश्न नही पूछेंगे और न ही उन्हें कोई काम करने से रोकेंगे। राजा ने बिना सोचे-समझे ये वचन दे दिया।
कुछ समय बाद जब देवी गंगा ने एक पुत्र को जन्म दिया तो उसे उन्होंने गंगा नदी में प्रवाहित कर दिया। ये देखकर राजा शांतनु को बहुत आश्चर्य और दुख हुआ। लेकिन वचन में बंधे होने के कारण वे न तो गंगा को रोक पाएं और न ही इसका कारण ही जान पाए।
इसके बाद देवी गंगा ने अपने 6 अन्य पुत्रों के भी एक के बाद एक गंगा नदी में प्रवाहित कर दिया। हर बार राजा शांतनु चुप रहे, लेकिन जब गंगा अपने आठवे पुत्र को नदी में प्रवाहित करने जा रही थी, तब राजा शांतनु ने उन्हें रोक लिया और क्रोध में आकर इसका कारण पूछा।
तब देवी गंगा ने उन्हें बताया कि ‘आपके ये सभी पुत्र वसु नामक देवता हैं, जो एक श्राप के कारण मनुष्य रूप में आए हैं। मैंने ही इन्हें वचन दिया था कि जन्म लेते ही मैं इन्हें श्राप से मुक्त कर दूंगी। इसीलिए मैं अपने हर पुत्र को गंगा में डाल देती थी ताकि उन्हें इस मृत्युलोक से छुटकारा मिल जाए।’
राजा शांतनु ने सवाल पूछकर अपने वचन को तोड़ दिया, जिसके चलते देवनदी गंगा अपने आठवें पुत्र को साथ लेकर वहां से चली गई। युवा होने पर गंगा ने उन्हें ये संतान राजा शांतनु को पुन: सौंप दी। राजा शांतनु की ये आठवीं संतान महात्मा भीष्म के नाम से प्रसिद्ध हुई।

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ये है इससे जुड़ी मान्यता
ऐसी मान्यता है कि जिस तरह देव नदी गंगा ने अपने पुत्रों को गंगा नदी में प्रवाहित कर श्राप से मुक्त किया था, जिससे उन्हें स्वर्ग की प्राप्ति हुई थी। उसी तरह यदि मृत पूर्वजों की अस्थियां गंगा नदी में प्रवाहित की जाएं तो उन्हें भी स्वर्ग की प्राप्ति होगी और उनकी आत्मा का शांति मिलेगी।


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Disclaimer : इस आर्टिकल में जो भी जानकारी दी गई है, वो ज्योतिषियों, पंचांग, धर्म ग्रंथों और मान्यताओं पर आधारित हैं। इन जानकारियों को आप तक पहुंचाने का हम सिर्फ एक माध्यम हैं। यूजर्स से निवेदन है कि वो इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।

 

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