- Home
- Religion
- Puja Vrat Katha
- Masik Shivratri: 6 मई को करें दुर्लभ संयोग में करें मासिक शिवरात्रि व्रत, जानें पूजा विधि, शुभ मुहूर्त, मंत्र सहित पूरी डिटेल
Masik Shivratri: 6 मई को करें दुर्लभ संयोग में करें मासिक शिवरात्रि व्रत, जानें पूजा विधि, शुभ मुहूर्त, मंत्र सहित पूरी डिटेल
Kab Hai Masik Shivratri May 2024: भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए हर महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को विशेष पूजा-व्रत किया जाता है। इसे मासिक शिवरात्रि और शिव चतुर्दशी भी कहते हैं।
- FB
- TW
- Linkdin
मई 2024 में शिव चतुर्दशी व्रत कब?
Masik Shivratri May 2024 Details: धर्म ग्रंथों के अनुसार, प्रत्येक हिंदू मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए व्रत और पूजा की जाती है। इसे मासिक शिवरात्रि और शिव चतुर्दशी कहते हैं। इस व्रत का महत्व अनेक धर्म ग्रंथों में बताया गया है। इस व्रत में शिवजी की रात्रि पूजा का विधान है। जो भी व्यक्ति ये व्रत सच्ची श्रद्धा और भक्ति से करता है, उसे अपने जीवन का हर सुख मिलता है। आगे जानिए मई 2024 में ये व्रत कब किया जाएगा…
मई 2024 में मासिक शिवरात्रि पर दुर्लभ संयोग
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. प्रवीण द्विवेदी के अनुसार, मई 2024 में वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि 6 मई, सोमवार को है। इसी दिन मासिक शिवरात्रि का व्रत किया जाएगा। खास बात ये है कि इस दिन सोमवार रहेगा, जो भगवान शिव से संबंधित है। इस तरह सोमवार और शिवरात्रि का दुर्लभ संयोग इस दिन बन रहा है।
जानें शुभ योग और शुभ मुहूर्त
ज्योतिषाचार्य पं. द्विवेदी के अनुसार, 6 मई, सोमवार को ग्रह-नक्षत्रों के संयोग से कईं शुभ योग बनेंगे। इस दिन प्रीति योग दिन भर रहेगा, इसके अलावा मातंग नाम का एक अन्य शुभ योग भी इस दिन बनेगा। मासिक शिवरात्रि व्रत में रात्रि पूजा का विधान है। रात के चारों प्रहर में शिवजी की पूजा करनी चाहिए।
- प्रथम प्रहर शाम 6 से रात 9 बजे तक
- दूसर प्रहर रात 9 से 12 बजे तक
- तीसरा प्रहर रात 12 से 3 बजे तक
- चौथा प्रहर तड़के 3 से सुबह 6 बजे तक
इस विधि से करें मासिक शिवरात्रि व्रत
- 6 मई, सोमवार की सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करें और हाथ में जल-चावल लेकर व्रत-पूजा का संकल्प लें। दिन भर व्रत के नियमों का पालन करें।
- पूजा शुरू करने से पहले ही सभी तैयारी कर लें। शाम 6 से पहले घर में किसी साफ स्थान पर शिवलिंग स्थापित करें और इसके बाद पूजा शुरू करें।
- शिवलिंग का अभिषेक करें, फूल, चावल आदि चीजें चढ़ाएं। शुद्ध घी का दीपक जलाएं। अबीर, गुलाल, रोली, बिल्व पत्र, धतूरा आदि चीजें भी चढ़ाएं।
- इसी प्रकार अन्य तीन प्रहर में भी शिवजी की पूजा इसी विधि-विधान से करें। शिव चतुर्दशी व्रत की कथा और रात भर जागरण करते रहें।
- अंतिम प्रहर की पूजा के बाद शिवजी को भोग लगाएं और आरती करें। इस प्रकार मासिक शिवरात्रि की पूजा करने से भक्त की सभी इच्छाएं पूरी हो सकती हैं।
भगवान शिव की आरती (Shiv ji Ki aarti)
जय शिव ओंकारा ॐ जय शिव ओंकारा।
ब्रह्मा विष्णु सदा शिव अर्द्धांगी धारा ॥
॥ ॐ जय शिव ओंकारा ॥
एकानन चतुरानन पंचानन राजे ।
हंसानन गरुड़ासन वृषवाहन साजे ॥
॥ ॐ जय शिव ओंकारा॥
दो भुज चार चतुर्भुज दस भुज अति सोहे ।
त्रिगुण रूपनिरखता त्रिभुवन जन मोहे ॥
॥ ॐ जय शिव ओंकारा॥
अक्षमाला बनमाला रुण्डमाला धारी।
चंदन मृगमद सोहै भाले शशिधारी ॥
॥ ॐ जय शिव ओंकारा॥
श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे ।
सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे ॥
॥ ॐ जय शिव ओंकारा॥
कर के मध्य कमंडलु चक्र त्रिशूल धर्ता ।
जगकर्ता जगभर्ता जगसंहारकर्ता ॥
॥ ॐ जय शिव ओंकारा॥
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका ।
प्रणवाक्षर मध्ये ये तीनों एका ॥
॥ ॐ जय शिव ओंकारा॥
काशी में विश्वनाथ विराजत नन्दी ब्रह्मचारी ।
नित उठि भोग लगावत महिमा अति भारी ॥
॥ ॐ जय शिव ओंकारा॥
त्रिगुण शिवजीकी आरती जो कोई नर गावे ।
कहत शिवानन्द स्वामी मनवांछित फल पावे ॥
॥ ॐ जय शिव ओंकारा॥
ये भी पढ़ें-
Pili Puja Kya Hoti Hai: क्या होती है ‘पीली पूजा’, ये क्यों की जाती है?
Parshuram Jayanti 2024 Date: कब है परशुराम जयंती, जानें सही डेट?
Disclaimer : इस आर्टिकल में जो भी जानकारी दी गई है, वो ज्योतिषियों, पंचांग, धर्म ग्रंथों और मान्यताओं पर आधारित हैं। इन जानकारियों को आप तक पहुंचाने का हम सिर्फ एक माध्यम हैं। यूजर्स से निवेदन है कि वो इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।