अंबानी की शादी में परपंराओं की जय-जय: नारियल से क्यों की शंकराचार्यों की आरती?

Anant Ambani-Radhika Merchant wedding: 12 जुलाई को मुंबई में अनंत अंबानी और राधिका मर्चेंट की शादी हुई। इस शादी में हिंदू पंरपराओं का खास तौर पर ध्यान रखा गया। शंकराचार्य आदि कईं धर्म गुरु भी इस फंक्शन में शामिल हुए।

 

Hindu traditions in Ambani family wedding: एशिया के सबसे अमीर बिजनेसमैन मुकेश अंबानी के बेटे अनंत अंबानी की शादी 12 जुलाई को मुंबई के जिओ वर्ल्ड में राधिका मर्चेंट के साथ हुई। इस शादी की चर्चा न सिर्फ भारत बल्कि विदेश में भी है। इस समारोह में देश-विदेश के कईं बिजनेसमैन, लीडर के साथ-साथ नामचीन हस्तियों ने शिरकत थी। ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद और द्वारका पीठ के शंकराचार्य स्वामी सदानंद सरस्वती भी इस कार्यक्रम में आशीर्वाद देने पहुंचें। इस दौरान नीता अंबानी ने दोनों शंकराचार्यों की नारियल से आरती उतारी। नारियल से आरती क्यों उतारते हैं, जानिए उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. नलिन शर्मा से…

नारियल से आरती क्यों उतारते हैं?
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. नलिन शर्मा के अनुसार, भारतीय परंपरा में आरती उतारने के दो विधि है कर्पूर से और जल से। कर्पूर से मुख्य रूप से भगवान की आरती उतारी जाती है और जल से किसी भी व्यक्ति की आरती उतार सकते हैं। इसके लिए एक लोटे में शुद्ध जल लेकर इसके ऊपर आम के पत्ते और नारियल रखा जाता है और 7 या 11 बार घूमाकर आरती उतारते हैं। नारियल से आरती उतरना हिंदू परंपरा में बहुत शुभ मना जाता है। नीता अंबानी ने इसी परंपरा के अनुसार दोनों शंकराचार्यों की आरती उतारी।

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नारियल का धार्मिक महत्व
धर्म शास्त्र में पानी से भरे कलश के ऊपर नारियल रखकर आरती उतारने का विधान बताया गया है। हर शुभ काम में नारियल का उपयोग सबसे पहले किया जाता है। नारियल का एक नाम श्रीफल भी है यानी देवी लक्ष्मी का प्रिय फल। नारियल से आरती उतारने के पीछे ये सोच रहती है कि देवी लक्ष्मी की कृपा हम पर सदैव बनी रहे।

नारियल को कहा गया है पूर्ण फल
धर्म ग्रंथों में नारियल का महत्व बताया गया है और पूर्ण फल कहा गया है। जब भी किसी नए काम की शुरूआत की जाती है तो इसे देवी-देवताओं को अर्पण करते समय विशेष मंत्र बोला जाता है। मान्यता है कि ऐसा करने से सभी काम से देवताओं की कृपा हमारे ऊपर बनी रहेगी और हर काम में सफलता प्राप्त होगी। ये है वो मंत्र-
ॐ पूर्णमदः पूर्णमिदं पूर्णात् पूर्णमुदच्यते।
पूर्णस्य पूर्णमादाय पूर्णमेवावशिष्यते॥ -

जल से भरा कलश किसका प्रतीक?
ज्योतिषाचार्य पं. शर्मा के अनुसार, हिंदू धर्म में जल से भरे कलश को पवित्र माना जाता है। जब कोई विशेष मेहमान, विद्वान, नववधू, नवजात बालिक या बालिका पहली बार घर आती है तो जल से भरे कलश से ही उसकी आरती की जाती है। ऐसा करना बहुत ही शुभ माना जाता है। धर्म ग्रंथों में कलश को ब्रह्मांड का प्रतीक भी माना गया है।


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