जब दुर्योधन को घटोत्कच को हराने का कोई मार्ग नहीं सूझा तो उसने कर्ण से उसका वध करने को कहा। कर्ण ने इंद्र की दी हुई शक्ति से घटोत्कच का वध कर दिया। ये देखकर पांडव सेना में शोक छा गया, लेकिन श्रीकृष्ण प्रसन्न हो गए। जब अर्जुन ने इसका कारण पूछा तो उन्होंने बताया कि “ जब तक कर्ण के पास इंद्र की शक्ति थी, उसे पराजित नहीं किया जा सकता था। अब अर्जुन को कर्ण से कोई खतरा नहीं है।” श्रीकृष्ण ने ये भी कहा कि “यदि आज घटोत्चक नहीं मरता तो एक दिन मैं ही उसका वध कर देता क्योंकि वह ब्राह्मणों व यज्ञों से शत्रुता रखने वाला राक्षस था।”
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