Holi 2024: जिस खंबे से प्रकट हुए भगवान नृसिंह, जानें वो आज कहां है, कहां मनाई गई थी पहली होली?

Published : Mar 22, 2024, 05:09 PM IST

Interesting Facts of Holi: होली का त्योहार प्राचीन काल से मनाया जा रहा है। इस त्योहार से भक्त प्रह्लाद और भगवान नृसिंह की कथा भी जड़ी हुई है। भगवान नृसिंह कहां प्रकट हुए थे, इस बारे में कई अलग-अलग मत हैं। 

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कब है होली 2024?

Holi 2024 Kab Hai: इस बार होलिका दहन 24 मार्च, रविवार को किया जाएगा और इसके अगले दिन यानी 24 मार्च को होली उत्सव मनाया जाएगा। होलिका दहन से कईं कथाएं जुड़ी हैं, इनमें भक्त प्रह्लाद और भगवान नृसिंह की कथा भी शामिल हैं। भगवान नृसिंह कहां प्रकट हुए, इसे लेकर कईं मान्यताएं हैं। ऐसे एक नहीं कई स्थान हैं जिन्हें भगवान नृसिंह का प्राकट्य स्थल माना जाता है। इन सभी जगहों की मान्यताएं और परंपराएं भी एक-दूसरे से भिन्न हैं। आगे जानिए ऐसे ही 3 स्थानों के बारे में…

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कहां है वो खंबा, जिससे प्रकट हुए थे भगवान नृसिंह?

बिहार के पूर्णिया जिले में एक जगह है सिकलीगढ़ धरहरा। इसे स्थान को भगवान नृसिंह से जोड़कर देखा जाता है। यहां एक खंबा है, जिसे माणिक्य स्तंभ कहते हैं। मान्यता है कि इसी खंबे तो तोड़कर भगवान नृसिंह प्रकट हुए थे और भक्त प्रह्लाद के प्राणों की रक्षा की थी। इसी मान्यता के चलते यहां हर साल होली का त्योहार बड़ी ही धूम-धाम से मनाया जाता है।

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कहां हुआ था पहला होलिका दहन?

उत्तर प्रदेश में हरदोई नाम का एक जिला है। कहते हैं कि पूर्व में हरदोई का नाम हरिद्रोही था।, क्योंकि यहां राक्षसों के राजा हिरण्यकश्यिपु का राज था, जो भगवान हरि को अपना परम शत्रु मानता था। हरि यानी विष्णु और द्रोही यानी उनका शत्रु। यहां के लोगों का मानना है कि यही वो स्थान है जहां होलिका प्रह्लाद को गोद में लेकर बैठी थी। जिसमें होलिका तो जल गई और प्रह्लाद बच गए थे। यहां एक कुंड भी है, जिसे प्रह्लाद कुंड कहा जाता है।

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पाकिस्तान में भी है भक्त प्रह्लाद का मंदिर

पाकिस्तान में मुलतान नाम का एक शहर है। यहां भक्त प्रह्लाद का प्राचीन मंदिर है, जिसे प्रह्लादपुरी कहा जाता है। यहां भगवान नृसिंह भी विराजमान है। ऐसा कहा जाता है कि स्वयं स्वयं भक्त प्रह्लाद ने इस मंदिर का निर्णाण करवाया था। इस मान्यता के आधार पर ये मंदिर हजारों साल पुराना है। स्थानीय लोगों का मानना है कि इसी जगह पर होलिका प्रह्लाद को लेकर अग्नि में बैठी थी और भगवान नृसिंह भी खंबा फोड़कर यहीं प्रकट हुए थे।

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Disclaimer : इस आर्टिकल में जो भी जानकारी दी गई है, वो ज्योतिषियों, पंचांग, धर्म ग्रंथों और मान्यताओं पर आधारित हैं। इन जानकारियों को आप तक पहुंचाने का हम सिर्फ एक माध्यम हैं। यूजर्स से निवेदन है कि वो इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।

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